Common Man Issues: देवघर के मधुपुर सब डिविजनल हाॅस्पिटल में मरीजों को नहीं मिल रही सुविधाएं, जानें कारण

देवघर के मधुपुर अनुमंडलीय अस्पताल में संसाधन उपलब्ध कराने के बाद भी मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल रही है. 11 साल पहले लाखों खर्च कर अल्ट्रासाउंड मशीन लगायी गयी, वहीं नौ साल पहले ब्लड स्टोरेज सेंटर का कक्ष बनकर तैयार है, लेकिन किसी का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है.

By Samir Ranjan | November 21, 2022 8:13 PM

Common Man Issues: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए करोड़ों खर्च कर संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं, मगर विभागीय अनदेखी की वजह से आज भी ग्रामीणों को इसकी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. यही वजह है कि आज भी कमजोर तबके के लोग प्राइवेट अस्पतालों में इलाज पर अपनी गाढ़ी कमाई खर्च कर रहे हैं. मधुपुर अनुमंडलीय अस्पताल (Madhupur Sub-Divisional Hospital) में 11 साल पहले लाखों की अल्ट्रासाउंड मशीन लायी गयी, मगर आजतक एक भी मरीज काे इसका लाभ नहीं मिल सका है. जबकि प्रत्येक माह करीब 300 से अधिक मरीजों के अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है. वहीं, ब्लड स्टोर के लिए उपलब्ध उपकरण पिछले नौ साल से जंग खा रहे हैं.  वहीं, उदघाटन के तीन साल बाद भी पोस्टमार्टम हाउस शुरू नहीं किया जा सका है. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकारी पैसों की बर्बादी के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है.

Common man issues: देवघर के मधुपुर सब डिविजनल हाॅस्पिटल में मरीजों को नहीं मिल रही सुविधाएं, जानें कारण 3

पिछले नौ साल से जंग खा रहा उपकरण

अनुमंडलीय अस्पताल में मरीजों को ब्लड स्टोरेज सेंटर एवं अल्ट्रासाउंड की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है. ब्लड स्टोरेज सेंटर के लिए नौ साल पहले 2012- 13 में ही कक्ष बनकर तैयार हो गया था. इसके लिए फ्रीजर समेत लाखों के सभी जरूरी मशीन एवं उपकरण भी आ गये थे. लेकिन, सभी उपकरण पिछले नौ सालों से रखे-रखे जंग खा रहा है.

Common man issues: देवघर के मधुपुर सब डिविजनल हाॅस्पिटल में मरीजों को नहीं मिल रही सुविधाएं, जानें कारण 4

ब्लड बैंक चालू करने का नहीं मिला लाइसेंस

पहले अनुमंडल अस्पताल के पुराने भवन में ही एक वातानुकूलित कक्ष तैयार कर स्टोरेज सेंटर तैयार किया गया था. इसके कुछ वर्ष पूर्व पुराने भवन से हटाकर अनुमंडलीय अस्पताल के नये भवन में ब्लड स्टोरेज स्थापित किया गया है. लेकिन, अभी तक ब्लड बैंक चालू करने के लिए लाइसेंस नहीं मिला है. इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने गंभीरता से प्रयास भी नहीं किया, जिस कारण लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं.

Also Read: झारखंड के इस राशन दुकान में प्लास्टिक का चावल मिलने का दावा, लाभुकों ने जतायी नाराजगी

अल्ट्रासाउंड करने के लिए टेक्नीशियन भी नहीं

अल्ट्रासाउंड के लिए अस्पताल में टेक्नीशियन भी नहीं है. अनुमंडलीय अस्पताल में 11 वर्ष पूर्व लाखों की लागत से अल्ट्रासाउंड मशीन लगायी गयी थी, लेकिन शुरू से ही मशीन खराब निकली. इस मशीन से आज तक एक भी मरीज का अल्ट्रासाउंड नहीं हुआ. गर्भवती महिलाओं को नौ महीने में दो बार अल्ट्रासाउंड कराने का नियम है. अनुमंडल अस्पताल और उपस्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से महिलाओं का प्रसव होता है. उन सभी का अल्ट्रासाउंड अति आवश्यक है. प्रसव के अलावा भी औसतन 25 से 30 मरीजों को प्रत्येक माह में अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता होती है. अगर गर्भवती महिलाओं का एक बार ही अल्ट्रासाउंड हो तो कम से कम प्रत्येक माह अनुमंडल में औसतन 325 महिला व अन्य रोगियों काे अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता होती है.

ब्लड स्टोरेज के प्रभारी का तबादला, सेंटर बंद

ब्लड स्टोरेज के लिए जिस चिकित्सक को प्रभारी बनाया गया था, उनका तबादला भी अन्यत्र हो गया है. अस्पताल में ब्लड स्टोरेज सेंटर रहने के कारण दुर्घटना या महिलाओं को प्रसव के दौरान जब खून की जरूरत पड़ती है, तो मरीज के परिजन को काफी परेशानी होती है. कई बार अत्यधिक खून बहने के कारण दुर्घटना के शिकार लोगों की मौत हो जाती है. अगर, मधुपुर में स्टोरेज सेंटर नियमित रूप से काम करता तो कई मरीजों की जान बच सकती थी. लेकिन, विभाग की ओर से गंभीरता नहीं दिखाने के कारण मधुपुर, करौं, मारगोमुंडा व आसपास के इलाके के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

रिपोर्ट : बलराम भैया, मधुपुर, देवघर.

Next Article

Exit mobile version