क्या धनबाद के निरसा में खदान धंसने की घटना सिर्फ अफवाह थी ? बीसीसीएल जिम्मेदारी से क्यों झाड़ रहा पल्ला?

अगले दिन 22 अप्रैल को यह जानकारी सामने आती है कि अवैध खदान से सभी लोग सुरक्षित निकल गये. जमीनी सच्चाई यह है कि कोई बचाव कार्य नहीं चलाया गया और बीसीसीएल के जीएम अपूर्व दास, सीवी एरिया ने यह बयान दिया कि खदान में कोई नहीं फंसा है, सिर्फ सड़क धंसने की घटना हुई है, बेवजह की अफवाह फैलाई जा रही है.

By Rajneesh Anand | April 23, 2022 6:33 AM

झारखंड की कोयला नगरी धनबाद जिले से 21 अप्रैल को एक बार फिर दिल दहला देने वाली घटना की जानकारी सामने आयी, जिसमें शुरुआत में यह बताया गया कि निरसा के डुमरीजोड़ में अवैध खदान के धंसने से लगभग 70 कोयला मजदूर खदान में दब गये हैं.

कई गांवों में बिजली बाधित हुई

घटना की जानकारी लोगों को सुबह 8.30 बजे तब मिली जब तेज आवाज के साथ वहां की सड़क धंस गयी और बिजली के खंभों के गिर जाने की वजह से दर्जनों गांवों में बिजली बाधित हो गयी. घटना की जानकारी मिलते ही बीसीसीएल की रेस्क्यू टीम वहां पहुंची और अवैध खनन के लिए बनाये गये मुहानों का जायजा लेने लगी. हालांकि पोकलेन मशीन से खुदाई नहीं की गयी.

ग्रामीणों में रोष

इस घटना के बाद स्थानीय लोग काफी नाराज नजर आये और उनका यह आरोप था कि यहां से प्रतिदिन 150 से 200 टन कोयले का अवैध खनन होता है. उन्होंने इस संबंध में प्रशासन को जानकारी दी है और लिखित तौर पर कार्रवाई की मांग भी की है, लेकिन परिणाम सिफर है.

बीसीसएल ने कहा खदान में कोई नहीं फंसा

अगले दिन 22 अप्रैल को यह जानकारी सामने आती है कि अवैध खदान से सभी लोग सुरक्षित निकल गये. जमीनी सच्चाई यह है कि कोई बचाव कार्य नहीं चलाया गया और बीसीसीएल के जीएम अपूर्व दास, सीवी एरिया ने यह बयान दिया कि खदान में कोई नहीं फंसा है, सिर्फ सड़क धंसने की घटना हुई है, बेवजह की अफवाह फैलाई जा रही है. गौरतलब है कि खदानों कि राष्ट्रीयकरण से पहले यह बंगाल कोल कंपनी ने खनन का काम किया था. हालांकि राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद डीसी ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये हैं.

खदानों की नहीं कराई गयी थी भराई

बड़ा सवाल यह है कि क्या सच में यह सिर्फ सड़क धंसने की घटना है? क्या इस इलाके में अवैध खनन नहीं हो रहा था? क्या यहां के स्थानीय लोग अवैध खनन की बात बेवजह करते हैं? क्या बीसीसीएल प्रबंधन बंद खदानों की भराई पूरी जिम्मेदारी से करता है? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या गरीबों के जान की कोई कीमत नहीं है? क्या उन्हें इसी तरह मरने के लिए छोड़ा जा सकता है?

बीसीसीएल की लापरवाही का परिणाम है यह घटना

यह जगजाहिर है कि झारखंड के खदान क्षेत्रों में अवैध खनन होता है, इस बात से प्रशासन भी वाकिफ है और कोल कंपनियां भी. गरीबी और भूख के मारे लोग जान हथेली पर लेकर अवैध खनन के लिए अकसर बंद पड़े खदानों में जाते हैं और कई बार दुर्घटना की वजह से जान से हाथ धो बैठते हैं. इसकी वजह है उनका अवैज्ञानिक तरीके से खनन करना. कोल कंपनियों की यह जिम्मेदारी है कि वह बंद पड़े खदानों की भराई ठीक से कराये, लेकिन अकसर यह देखा जाता है कि कोल कंपनियां इसमें कोताही करती हैं और जैसे-तैसे काम पूरा कर दिया जाता है,परिणाम होता है जानलेवा दुर्घटनाएं. एक बार अगर यह मान भी लिया जाये कि इस दुर्घटना में खदान में कोई नहीं दबा रहा और सभी सुरक्षित बाहर निकल गये, तो क्या यह बीसीसीएल की जिम्मेदारी नहीं है कि वह सड़क धंसने जैसी घटना को भी ना होने दे.

अवैध खनन में जुटे लोग सामने आने से डरते हैं

खदान क्षेत्र में अवैध खनन में जुटे लोगों को यह पता है कि वे गैरकानूनी काम कर रहे हैं, इसलिए जब कोई दुर्घटना होती है तो वे किसी पचड़े में फंसना नहीं चाहते और किसी तरह वहां से भागना चाहते हैं. कई बार ऐसी घटना सामने आयी है जब मजदूर अपने परिवार वालों और साथियों का शव लेकर भी फरार हो गये हैं. चूंकि दुर्घटना के बाद कोई हक मांगने वाला सामने नहीं आता है, इसलिए प्रशासन और कोल कंपनियां भी सच्चाई से वाकिफ होते हुए भी अपना पल्ला झाड़ लेती हैं और गरीब मजदूर भूख की वजह से कुर्बान हो जाता है.

जस्ट ट्रांजिशन से मजदूरों को मिलेगा हक

कोयला क्षेत्र में जस्ट ट्रांजिशन होने पर मजदूरों को उनका हक मिलेगा और वे इस तरह की कुव्यवस्था के शिकार नहीं होंगे. कई एनजीओर संगठन इस तरह की मांग लगातार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं आयी है. संभवत: जब जस्ट ट्रांजिशन की प्रक्रिया शुरु होगी तो मजदूरों को न्याय मिल पायेगा.

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