Gujarat Election 2022 : गुजरात में आदिवासी वोटर किस पर करेंगे भरोसा ? जानें कौन है यहां का ‘दादा’

Gujarat Election 2022 : गुजरात की बात करें तो यहां की करीब 27 ऐसी सीटे हैं, जो आदिवासीप्रभावित हैं. झगडिया विधानसभा सीट पर पिछले 35 सालों से छोटू भाई वसावा ने लोगों का भरोसा जीतकर रखा हुआ है.

By Amitabh Kumar | September 17, 2022 11:20 AM

Gujarat Election 2022 : गुजरात विधानसभा चुनाव का बिगुल कुछ दिनों के बाद चुनाव आयोग फूंक देगा. इस बार आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ के चुनावी मैदान में आ जाने से मुकाबला रोचक हो गया है. ‘आप’ के सयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस ऐलान के बाद भाजपा और कांग्रेस ने तैयारी और तेज कर दी है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इन करीब पांच सालों में कांग्रेस के 12 विधायक भाजपा का दामन थाम चुके हैं.

गुजरात की झगडिया विधानसभा सीट पर आज नजर डालते हैं. इस बार यहां भाजपा और कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ भी चुनावी मैदान में नजर आने वाली है. ‘आप’ के साथ गठबंधन करने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी ने 12 सितंबर को अचानक गठबंधन तोड़ दिया था जिसके बाद से तरह-तरह की अटकलें लगायी जा रहीं हैं. ‘आप’ के साथ गंठबंधन तोड़ने के बाद भारतीय ट्राइबल पार्टी के छोटू वसावा ने अपनी बात रखी थी. उन्होंने कहा था कि ‘आप’ भी भाजपा की “बी” टीम है. इस चुनाव में आदिवासी वोटों की राजनीति अलग तरह से देखने को मिल रही है. भारतीय ट्राइबल पार्टी आदिवासियों पर अपनी अच्छी पकड़ का लाभ आगामी चुनाव में लेना चाहती है.

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कितनी सीट आदिवासी क्षेत्र की

गुजरात की बात करें तो यहां की करीब 27 ऐसी सीटे हैं, जो आदिवासीप्रभावित हैं. झगडिया विधानसभा सीट पर पिछले 35 सालों से छोटू भाई वसावा ने लोगों का भरोसा जीतकर रखा हुआ है. उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के साथ की थी. हालांकि बाद उन्होंने अपनी पार्टी भारतीय ट्राइबल का गठन किया. झगडिया विधानसभा सीट पर नजर डालें तो यहा से छोटू वसावा 7 बार विधायक रह चुके हैं. इस सीट पर ज्यादातर मतदाता आदिवासी समाज के हैं. बताया जाता है कि भरूच और नर्मदा जिले में छोटू वसावा पर मतदाताओं का ज्यादा भरोसा रहता है. यहां के लोग उन्हें भगवान मानते हैं और प्यार से उन्हें दादा कहते हैं.

कांग्रेस के साथ भी था गठबंधन

2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो छोटू वसावा ने झगडिया विधानसभा सीट को बीटीपी के लिए छोड़ने की बात कही थी. लेकिन, कांग्रेस को यह रास नहीं आया. कांग्रेस ने यहां से अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया. इसके बाद दोनों पार्टियों के रिश्तों में खटास आयी और गठबंधन टूट गया. स्थानीय निकाय चुनाव में छोटू वसावा ने AIMIM के साथ गठबंधन कर लिया. ऐसा करने से ओवैसी की पार्टी को सीटों के मामले में लाभ हुआ. 2017 विधानसभा चुनाव की बात करें, तो बीटीपी के छोटू भाई वसावा को झगडिया विधानसभा सीट पर 113,854 वोट प्राप्त हुए थे. जबकि, भाजपा से रवजी वसावा को 64,904 वोट मिले थे.

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