1998 बैच के IAS अधिकारी ज्ञानेश भारती बने एकीकृत दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर, अधिसूचना जारी

ज्ञानेश भारती एजीएमयूटी कैडर के 1998 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम में अपनी सेवा दी है. वहीं, 1992 के आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार पुडुचेरी के मुख्य सचिव के पद पर सेवा दे चुके हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2022 7:29 PM

नयी दिल्ली: गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी कर सीनियर आईएएस अधिकारी ज्ञानेश भारती (Gyanesh Bharti) को एकीकृत दिल्ली नगर निगम का आयुक्त नियुक्त किया है. वहीं, 1992 बैच के आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार (IAS Ashwani Kumar) को विशेष अधिकारी नियुक्त किया है. बता दें कि केंद्र ने बुधवार को अधिसूचना जारी कर कहा था कि दिल्ली के तीन नगर निगम (उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी) को 22 मई को औपचारिक तौर पर विलय कर दिया जाएगा.

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नियुक्तियां 22 मई से होंगी प्रभावी

बता दें कि ज्ञानेश भारती एजीएमयूटी कैडर के 1998 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम में अपनी सेवा दी है. वहीं, 1992 के आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार पुडुचेरी के मुख्य सचिव के पद पर सेवा दे चुके हैं. केंद्र ने अधिसूचना जारी करते हुए दोनों आईएएस अधिकारियों की नियुक्तियां 22 मई से प्रभावी होने की बात कही है.

तीन नगर निगमों का 22 मई को होगा विलय

दिल्ली में तीनों नगर निगमों का 22 मई को विलय हो जाएगा. इससे पहले अधिसूचना में कहा गाय है, दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022 (2022 के 10) की धारा तीन की उप-धारा (एक) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार दिल्ली नगर निगम के गठन के लिए मई 2022 का 22वां दिन निर्धारित करती है. विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, दिल्ली के तीन नगर निगमों के एककीकरण क उद्देश्य संसाधनों का अधिकतम उपयोग, समन्वय और रणनीतिक योजना सुनिश्चित करना है.

राजधानी दिल्ली में नगर निकाय की सेवाएं होंगी बेहतर

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को अधिसूचना जारी की. संसद ने अप्रैल में ही दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दी थी. इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 18 अप्रैल को इसे मंजूरी दी थी. केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि एकीकृत नगर निगम पूरी तरह से सम्पन्न निकाय होगा और इसमें वित्तीय संसाधनों का सम विभाजन होगा जिससे तीन नगर निगमों के कामकाज को लेकर व्यय की देनदारियां कम होंगी तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नगर निकाय की सेवाएं बेहतर होंगी.

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