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Siwan News : बढ़ते प्रदूषण के बीच खुले में जलाया जा रहा कचरा

वायु प्रदूषण के मामले में जिले की स्थिति लगातार खराब हो रही है. वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गयी है. जहरीली हवा के आगोश में शहरी आबादी जीवन व मौत के बीच जूझ रही है. वहीं प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता बरती जा रही है. आलम यह है कि शहर के लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जवाबदेह नगर परिषद वायु की गुणवत्ता सुधार के प्रति सजग नहीं है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 27, 2025 10:04 PM
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सीवान. वायु प्रदूषण के मामले में जिले की स्थिति लगातार खराब हो रही है. वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गयी है. जहरीली हवा के आगोश में शहरी आबादी जीवन व मौत के बीच जूझ रही है. वहीं प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता बरती जा रही है. आलम यह है कि शहर के लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जवाबदेह नगर परिषद वायु की गुणवत्ता सुधार के प्रति सजग नहीं है. शहर से निकले कूड़े के ढेर में आग लगाकर छोड़ दिया जा रहा है. कूड़े के ढेर से निकल रहा धुआं लोगों के जीवन को संकट में डाल रहा है. गुरुवार की अहले सुबह प्रभात खबर की टीम ने नगर क्षेत्र का मुआयना किया. इस दौरान जो तस्वीर दिखी वह वायु प्रदूषण की भयावहता को उजागर कर रही है. बड़हरिया स्टैंड के चौक पर कूड़े की डंपिंग की जा रही है. इस कूड़े के ढेर में नगर परिषद द्वारा आग लगा दी गयी है. आलम यह है इस परिक्षेत्र के आसपास धुंध दिखाई दे रही है. धुंध में सांस लेना भी नामुमकिन है, जबकि के कुछ दिनों को छोड़ दिया जाये तो नवंबर माह से ही जिले के वायु गुणवत्ता सूचकांक 250 के पार रह रहा है. अगर स्थिति व रवैये में सुधार नहीं किया गया तो यह जहरीली हवा मानव आबादी के लिए संकट उत्पन्न कर देगी.

सांस और एलर्जी की समस्या से जूझ रहे लोग

बदलते मौसम में हर वर्ष सर्दी-खांसी, बुखार, निमोनिया, कोल्ड डायरिया समेत कई प्रकार के वायरल-बैक्टीरियल संक्रमण शिकंजा कस देते हैं. कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण बच्चे और बुजुर्ग आसानी से इसकी चपेट में आ जाते हैं. इस वर्ष लोग सांस व एलर्जी की समस्या से जूझ रहे हैं. चिकित्सक इसका प्रमुख कारण लापरवाही के साथ बढ़ते वायु प्रदूषण को भी मान रहे हैं. इसके ज्यादातर शिकार बुजुर्ग व बच्चे हो रहे हैं. चिकित्सकों का कहना है कि यदि बच्चों को एलर्जी व सांस की इन समस्याओं का अभी स्थायी निराकरण नहीं किया गया तो वे बचपन में ही अस्थमा और ब्रांकाइटिस की चपेट में आ सकते हैं. हवा में नमी के कारण 2.5 माइक्रोन के पार्टिकल्स नीचे आकर सांस के साथ शरीर में चले जाते हैं. इससे बच्चों को गले में दर्द व कफ, जुकाम, सिरदर्द, सीने में जकड़न से लेकर चिड़चिड़ेपन की समस्या बढ़ जाती है. अधिक समय तक दूषित हवा में रहने पर सांस लेने में तकलीफ, सिर व सीने में दर्द, आंखों में जलन व भूख कम होने की भी समस्या होती है. इनका इलाज नहीं कराने पर निमोनिया व अस्थमा तक की शिकायत हो सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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