Sitamarhi : आजादी के 78 साल बाद भी भाले से बेली तक पक्की सड़क नहीं

इन दोनों गांव के अलावा बगल के दर्जनों गांव का सड़क संपर्क बाढ़ एवं बरसात के समय पूरी तरह बाधित हो जाता है.

By DIGVIJAY SINGH | September 19, 2025 10:10 PM

— संयुक्त छात्र युवा संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री व ग्रामीण विकास मंत्री को पत्र भेजकर की मांग सीतामढ़ी. जिला मुख्यालय से करीब आठ किमी की दूरी पर रुन्नीसैदपुर प्रखंड के भाले और डुमरा प्रखंड के बेली गांव के बीच करीब एक किमी लंबी कच्ची सड़क का आजादी के 78 साल बीतने पर भी पक्कीकरण नहीं कराये जाने से बड़ी आबादी को आवागमन में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. इन दोनों गांव के अलावा बगल के दर्जनों गांव का सड़क संपर्क बाढ़ एवं बरसात के समय पूरी तरह बाधित हो जाता है. सोनबरसा सीतामढ़ी से मुजफ्फरपुर को जाने वाली एनएच-22 के प्रेमनगर अंबेडकर चौक से करीब एक किमी पश्चिम भाले गांव है, जहां से एक सड़क धनुषी तो दूसरी सड़क सीरा लखनदेई नदी घाट पर बने पुल होकर सुमहुति, बरहरवा सहित कई गांवों तक को जाती है. वहींं, एक पीसीसी सड़क भाले गांव की बस्ती होते हुए दयाल बाबा स्थान और महादेव मंदिर तक जाती है, इसके आगे भाले श्मशान होते हुए लखनदेई नदी के किनारे से एक किमी लंबी कच्ची सड़क बेली गांव तक जाती है, इस सड़क का पक्कीकरण निर्माण कार्य आजादी के 78 वर्ष बाद भी आजतक नहीं हुआ है. बाढ़, बरसात के समय सिर्फ भाले और बेली के ग्रामीणों का सड़क संपर्क ही बाधित नहीं होता, बल्कि कई दर्जन गांवों के लोगों को बेली और भाले गांव होते हुए एनएच 22 के प्रेमनगर अंबेडकर चौक जाने में चार से पांच किमी अतिरिक्त दूरी तय करके गणेश परिक्रमा कर आने-जाने मे हजारों की आबादी को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इस संदर्भ में संयुक्त छात्र युवा संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष हरिओम शरण नारायण नें मुख्यमंत्री एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्री को अलग-अलग पत्र भेजकर एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड के सड़कों को प्राथमिकता के आधार पर जोड़ने के सरकारी निर्देश का अनुपालन नहीं होने के मामले से अवगत कराते हुए जनहित मे भाले से बेली गांव तक कि इस सड़क को पक्कीकरण कराने की मांग की है.

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