12 को पटना से जानकी जन्मभूमि आएंगे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
गौमाता का स्थान भारतीय संस्कृति में सर्वश्रेष्ठ है. इसी कारण हर हिंदू के घर से गाय के लिए सबसे पहली रोटी निकलती है.
सीतामढ़ी. गौमाता का स्थान भारतीय संस्कृति में सर्वश्रेष्ठ है. इसी कारण हर हिंदू के घर से गाय के लिए सबसे पहली रोटी निकलती है. गाय के शरीर में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास माना गया है. वेदों में इन्हें विश्वमाता कहा गया है. हमारे धर्मशास्त्र हमें गाय को पशु न मानने का स्पष्ट आदेश भी देते हैं, लेकिन भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी आज गाय की स्थिति नहीं सुधरी है. गायों की निरंतर हत्याएं हो रही है. जब इस देश में गौमाता सुखपूर्वक विचरण करती थी, तो भारत विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित था. भारत के इसी प्राचीन गौरव को पुनः प्राप्त करने, गौमाता को राष्ट्रमाता के पद पर प्रतिष्ठित करने तथा भारत की धरती से गौहत्या का कलंक मिटाने के लिए ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामि श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में आगामी 12 सितंबर को बिहार आ रहे हैं. राज्य में प्रवेश करेंगे. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती सर्वप्रथम पटनापहुंचेंगे. इसके बाद माता सीता की जन्मभूमि सीतामढी में शक्ति उपासना करके गौ मतदाता संकल्प सभा करेंगे. बताया गया है कि इस गौ अभियान को देश के चारों शंकराचार्यों का आशीर्वाद प्राप्त है. गौ गंगा कृपाकांक्षी गोपालमणि द्वारा आरंभ किए गये इस अभियान को पूरे देश के गौ-भक्तों का भारी समर्थन मिल रहा है. इसकी जानकारी आयोजन समिति के सचिव रामशंकर शास्त्री ने दी है.
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