राम नाम की प्रचंड शक्ति से ओतप्रोत था संत तपस्वी नारायण दास जी का जीवन
बगही धाम में मंगलवार को ब्रह्मलीन संत तपस्वी नारायण दास जी महाराज की 25 वीं पुण्यतिथि मनायी गयी.
सीतामढ़ी. बगही धाम में मंगलवार को ब्रह्मलीन संत तपस्वी नारायण दास जी महाराज की 25 वीं पुण्यतिथि मनायी गयी. जिले के विभिन्न प्रखंडो एवं नेपाल से आये श्रद्धालुओं ने संत की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. बाजार समिति हनुमान मंदिर के महंत राज नारायण दास ने महाराज जी को याद करते हुए कहा कि परम् पूज्य तपस्वी नारायण दास जी महाराज का जीवन श्रीराम नाम की प्रचंड शक्ति से ओतप्रोत था. उन्होंने अपने आप को विश्व कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. वर्ष 1951 में उन्होंने दारागंज प्रयाग से तपोनिष्ठ संत श्री श्री 108 राम किशुन दास जी महाराज से गुरु दक्षिणा प्राप्त किया था. गुजरात के द्वारिका में उसी वर्ष से अन्न जल का परित्याग कर गो दुग्धाहार लेना शुरू कर दिया. उन्होंने वर्ष 1966 में बगही मठ पर नवनिर्मित 108 पक्के कीर्तन कुंजों में नौ दिवसीय सीताराम नाम जप संकीर्तन यज्ञ शुरू किया. बगही समेत अयोध्या व वृंदावन में सीताराम नाम का कीर्तन वर्षो से अनवरत अबतक जारी है. संत के परम शिष्य संत शुकदेव दास जी महाराज के द्वारा तीनों आश्रमों में सीताराम नाम यज्ञ कराया जा रहा है. तपस्वी नारायण दास जी महाराज का जन्म बगही के रंजीतपुर में 1917 ने हुआ और 17 दिसंबर वर्ष 2000 में सीताराम नाम आश्रम छटिकरा वृंदावन में ब्रह्मलीन हो गए. बगही धाम में ब्रह्मलीन तपस्वी नारायण दास जी की प्रतिमा के समक्ष भक्तों ने आरती कर उनकी पूजा की. दर्जनों लोगों ने इस मौके पर सीताराम नाम जप संकीर्तन की. मौके पर हलेश्वर नाथ मंदिर न्यास समिति के सचिव सुशील कुमार, जानकी मंदिर पुनौरा के उत्तराधिकारी राम कुमार दास, इंद्रपाल व संजीव कुमार समेत दर्जनों भक्त मौजूद थे.
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