Samastipur News:सदियों पुरानी मान्यता गलत और गैलीलियो का कथन प्रमाणित हुआ : भारती
वैज्ञानिक जगत के इतिहास से प्रेरणा लें. मान्यता होना गलत नहीं है परन्तु उसे बिन परखे सहलाना गलत है. प्रत्येक मान्यता को कसौटी पर कसना ज़रूरी है.
Samastipur News:शाहपुर पटोरी : गुलाब बबुना उच्च विद्यालय के सामने आयोजित भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी आस्था भारती ने भागवत महापुराण के मर्म को बताया. उन्होंने कहा कि समाज की बुराइयों को दूर करने और भक्तों से मिलन के लिए ही भगवान अवतरित होते हैं. साध्वी ने बताया कि भक्ति या आराधना किसी भय व लोभ से नहीं की जाती, भक्ति के लिए प्रेम अनिवार्य है और प्रेम के लिए ईष्ट का दर्शन होना अनिवार्य है. एक समय था, जब वैज्ञानिक गैलीलियो ने महादंडाधिकारी की अदालत से बाहर निकलकर धरती पर जोर-जोर से पैर पटके थे, साथ ही, एक दर्द भरी कराह व विवश चीत्कार के साथ कहा था, ये लोग समझते क्यों नहीं, पृथ्वी अब भी घूम रही है और सूर्य की परिक्रमा कर रही है, पर उस समय गैलीलियो की इस कराहट और चींख पर किसी ने कान नहीं दिए थे. फलस्वरूप गैलीलियो को प्रताड़ना उम्रकैद झेलनी पड़ी. कारण उस समय के समाज की यह धारणा थी कि पृथ्वी स्थिर है व सूर्य उसके इर्द-गिर्द परिक्रमा करता है. वर्षों तक उनकी यह मान्यता वज्र-सी ठोस रही. वे उसे ही पालते-पोसते और सहेजते रहे, पर आगे चलकर एक दौर आया, जब आधुनिक विज्ञान की दुदुंभी बजी, वैज्ञानिकों ने दूरबीनों की आंखों से ब्रह्मांड को निहारा, सदियों पुरानी मान्यता का पुतला खंड-विखंड होकर धराशायी हुआ और गैलीलियो का कथन प्रमाणित हुआ. वैज्ञानिक जगत के इतिहास से प्रेरणा लें. मान्यता होना गलत नहीं है परन्तु उसे बिन परखे सहलाना गलत है. प्रत्येक मान्यता को कसौटी पर कसना ज़रूरी है. प्रयोगों की आंच में तपाकर देखना आवश्यक है. एक बार पूर्ण सद्गुरु की कृपा से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर अपने अंतर्जगत में उतरकर देखिए, आप स्वयं कहेंगे- हां भगवान दिखाई देता है और मैंने उसका प्रत्यक्ष अनुभव किया है.
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