Samastipur News:कोई भी बच्चा आंखों की समस्याओं के कारण शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा

आमतौर पर आंखों की अहमियत तब पता चलती है, जब इनकी रोशनी कमजोर पड़ने लगती है.

By Ankur kumar | August 9, 2025 5:46 PM

Samastipur News:समस्तीपुर : आमतौर पर आंखों की अहमियत तब पता चलती है, जब इनकी रोशनी कमजोर पड़ने लगती है. इसलिए यदि वक्त रहते इसकी सही देखभाल की जाए तो आंखों को कई गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है. अब शिक्षा विभाग द्वारा जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पहल शुरू की गई है. इस पहल के तहत, बच्चों की मुफ्त नेत्र जांच की जायेगी, उन्हें मुफ्त चश्मे दिये जायेंगे. आवश्यकता पड़ने पर मुफ्त मोतियाबिंद की सर्जरी भी की जायेगी. शिक्षा विभाग ने इसकी जिम्मेदारी अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल को दी है. वर्तमान में, यह सारण, वैशाली, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण जिलों में उक्त हॉस्पिटल द्वारा संचालित की जा रही है. इसे विस्तारित कर पूरे बिहार के सभी सरकारी विद्यालयों में लागू करने का निर्णय लिया गया है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा आंखों की समस्याओं के कारण शिक्षा से वंचित न रहे. इस योजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, प्रत्येक विद्यालय से कम से कम एक शिक्षक को प्राथमिक नेत्र जांच के लिए संबंधित अस्पताल द्वारा प्रशिक्षित किया जायेगा. यह कदम बच्चों की आंखों की प्रारंभिक समस्याओं का पता लगाने में मदद करेगा. निदेशक प्राथमिक शिक्षा ने जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, विद्यालय प्रधान और संबंधित अस्पताल को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि इस कार्यक्रम के तहत छात्रों से किसी भी प्रकार का शुल्क न लिया जाये. इस पहल से हजारों बच्चों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे उनके स्वास्थ्य और शिक्षा के भविष्य में सुधार होगा. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि स्कूल जाने वाले बच्चों को हर वर्ष कम-से-कम एक बार आंखों की जांच करवानी चाहिए, भले ही उनकी नजर बिल्कुल ठीक हो. छोटी आयु में नजर का उपयुक्त परीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत जरूरी होता है कि आपके बच्चे के पास वह दृष्टि कौशल हो जो उसे स्कूल में अच्छे प्रदर्शन के लिए चाहिए.

नेत्र की समस्या से पढ़ाई होती है बाधित

डीपीओ एसएसए जमालुद्दीन ने बताया कि स्कूलों में नेत्र की समस्या के वजह से बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है, इसलिए सरकार ने यह कदम उठाया है. बच्चों में दृष्टि दोष एक बड़ी समस्या है. ऐसे बच्चे क्लास में बोर्ड पर लिखा प्रश्न और उत्तर को नहीं लिख पाते हैं और यही कारण है कि ऐसे बच्चे पढ़ाई में पिछड़ते जाते हैं. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि अभिभावक और बच्चों दोनों इस नेत्र समस्या को नहीं पहचान पाये. ऐसे बच्चों को सिर में अक्सर दर्द भी रहता है, जो दृष्टि दोष का एक बड़ा कारण माना जाता है. शिक्षक अभिभावक मीटिंग में भी इसकी जानकारी दी जायेगी. जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को विभाग की ओर से नि:शुल्क चश्मा दिया जायेगा. पढ़ाई के दौरान इस चश्मे का उपयोग करके छात्र-छात्राएं सहज महसूस कर पायेंगे.

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