Samastipur News:5.5 करोड़ खर्च के बाद गांवों में कचरे का अंबार

जिस योजना से पंचायत को चकाचक और रोगमुक्त बनाने के सपने देखे गये थे वही आज प्रखंड क्षेत्र के लिए नासूर बनता नजर आ रहा है.

By Ankur kumar | September 10, 2025 6:21 PM

Samastipur News:मोरवा : जिस योजना से पंचायत को चकाचक और रोगमुक्त बनाने के सपने देखे गये थे वही आज प्रखंड क्षेत्र के लिए नासूर बनता नजर आ रहा है. लगातार कचरे की हो रही डंपिंग और इसके निष्पादन की व्यवस्था नहीं होने के कारण अब बीमारी फैलने की भी आशंका व्यक्त की जा रही है. जगह-जगह पर डस्टबिन में भरा कचरा प्रदूषण फैला रहा है. बताया जाता है कि प्रखंड क्षेत्र के 18 पंचायतों में सात निश्चय फेज 2 के तहत करीब साढे 5 करोड़ रुपए स्वच्छता के लिए खर्च कर दिये गये. इसके लिए भारी भरकम कचरा प्रबंधन इकाई की स्थापना की गई. ठेला व रिक्शा खरीदा गया. हजारों की संख्या में डस्टबिन विभिन्न पंचायत में लगाये गये. इसकी देखभाल के लिए स्वच्छता पर्यवेक्षक और कचरा उठाव के लिए बड़े पैमाने पर स्वच्छता कर्मियों की बहाली की गई. इसके लिये मानदेय भी निर्धारित किये गये. लेकिन महज 2 साल के भीतर ही सब ने दम तोड़ दिया. आज मानदेय न मिलने के कारण स्वच्छता कर्मियों ने कचरा उठाने से हाथ खड़े कर दिये हैं. डस्टबिन में भरा कचरा की बदबू से लोगों का जीना मुहाल हो रहा है. कई जगहों पर कचरा भवन इकाई बुरी तरह क्षतिग्रस्त है. कर्मियों का कहना है कि जब से उनकी बहाली हुई तब से एकाध महीने का ही मानदेय मिला है. कचरों के निष्पादन के लिए प्रखंड मुख्यालय में लाखों की लागत से बनाये गये कचरा प्रबंधन अपशिष्ट इकाई का ताला सालों से बंद है. न तो पंचायत से कचरा प्रखंड पहुंच रहा है और न ही इसका कोई निपटारे की व्यवस्था हो रही है. हर कचरा प्रबंधन इकाई भवन पर 8 से 10 लाख रुपए खर्च हुए. मखिया संघ अध्यक्ष सह मोरवा दक्षिणी पंचायत के मुखिया प्रियरंजन गोपाल ने बताया कि जोर-शोर से योजना शुरू की गई लेकिन इसके लिए कोई ठोस प्रारूप तय नहीं दिया गया. न ही इसके मेंटेनेंस और कर्मियों के मानदेय के लिए राशि आवंटित की गई. जिसके कारण सभी पंचायत में यह दुर्गति हो रही है. प्रमुख सान्या नेहा ने बताया गया कि सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर शुरू होते ही बंद हो गई. चिंता का विषय है. इसके लिए बनाई गई नीति सही नहीं होने के कारण आज यह स्थिति उत्पन्न हो रही है. प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार निराला ने द्वारा बताया गया कि मानदेय नहीं मिलने के कारण स्वच्छता कर्मियों के द्वारा कचरा उठाने से आनाकानी किया जा रहा है. उसके मानदेय को लेकर कई बार पत्राचार भी किया गया है. उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही समस्या का हल निकलेगा.

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