पेपर मिल की जमीन में खुल रहे हैं कई लघु और कुटीर उद्योग
पेपर मिल की जमीन में खुल रहे हैं कई लघु और कुटीर उद्योग
उद्योग के नाम पर जमीन लेकर आवासीय मकान बनाने वाले लोगों पर है नजर सौरबाजार . कोसी का इकलौता उद्योग बैजनाथपुर पेपर मिल सरकार की उदसीनता के कारण चालू होने से पहले समाप्त हो गया. अब बिहार सरकार इसे बियाडा द्वारा क्षेत्र के छोटे-छोटे उद्योगपतियों को अपना उद्योग लगाने के लिए यह जमीन लीज पर दे रही है. अब तक लगभग पांच दर्जन से अधिक उद्योगपतियों द्वारा अपना कागजी प्रक्रिया पूरी कर अपना उद्योग स्थापित करने में जुटे हैं, जिससे क्षेत्र के लोगों को पेपर मिल जैसे बड़े उद्योग में रोजगार मिलने की आशा समाप्त होने के बाद अब इस लघु उद्योग में रोजगार की आशा जगी है. लगभग सौ एकड़ भूमि में फैले इस पेपर मिल की जमीन का आधा से अधिक हिस्सा, जो सहरसा-मधेपुरा मुख्य मार्ग एनएच के किनारे वाला भाग है, उनकी बुकिंग हो चुकी है. बाकी पीछे का हिस्सा खाली है. जहां तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़क बनायी जा रही है. फर्नीचर उद्योग, जूट उद्योग, चुरा मिल, प्लास्टिक उद्योग, स्टील उद्योग समेत छोटे छोटे उद्योगपतियों द्वारा अब अपना प्रोडक्ट यहां तैयार कर स्थानीय बाजार में बेचकर अपनी बेरोजगारी दूर करने के साथ-साथ दूसरे बेरोजगार लोगों को भी रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही है. सहरसा नगर निगम के बैजनाथपुर में स्थापित हो रहे इस औद्योगिक प्रक्षेत्र में उत्पादित सामान कोसी हीं नहीं बिहार के सभी बाजारों तक पहुंचेगी. घर नहीं उद्योग लगायें लोग सोमवार को कोसी विकास संघर्ष मोर्चा के संरक्षक पूर्व जिप सदस्य प्रवीण आनंद ने वहां पहुंचकर बताया कि कुछ लोग उद्योग लगा रहे हैं. लेकिन कुछ लोग उद्योग के नाम पर जमीन लेकर उनमें आवासीय मकान बनाकर रहने के साथ साथ किराए पर लगाने की जुगत में हैं. ऐसे लोग आगे अपने औद्योगिक प्रतिष्ठान के नाम का बोर्ड लगायेंगे और पीछे शीशमहल खड़ा करेंगे. जिससे सरकार और क्षेत्र के लोगों का सपना साकार नहीं हो पायेगा. उन्होंने बियाडा के अधिकारियों और डीजीएम से मांग की है कि जिन लोगों ने जिस उद्देश्य के लिए जमीन अधिग्रहण किया है, वहां वहीं काम यानी उद्योग स्थापित होना चाहिए. उन्होंने कहा सहरसा नगर निगम के हृदय स्थली के रूप में इस पेपर मिल की जमीन में वैसे उद्योग चालू हो, जिसके वायु और ध्वनि प्रदूषण कम हो.
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