सरकार बताए कि गरीब आखिर जाएं तो कहां जाएं : सांसद

पूर्णिया के सांसद ने सदन में उठाया गरीबों को उजाड़े जाने का मामला

By AKHILESH CHANDRA | December 4, 2025 6:30 PM

पूर्णिया के सांसद ने सदन में उठाया गरीबों को उजाड़े जाने का मामला

केंद्र व राज्य सरकार से की इस अभियान पर शीघ्र रोक लगाने की मांग

पूर्णिया. बिहार में अचानक युद्ध स्तर पर शुरू हुए अतिक्रमण हटाओ अभियान का हवाला देते हुए सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा है कि पुश्त दर पुश्त रहने वाले लोगों को अवैध बताकर उजाड़ देना न्याय नहीं, अत्याचार है. इस पर बड़ा सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा है कि सरकार बताए कि गरीब आखिर जाएं तो कहां जाएं! उन्होंने कहा है कि जब तक उन्हें पांच डिस्मिल जमीन उस पंचायत में नहीं दी जाती, शहरों में दुकानें आवंटित नहीं की जातीं, तब तक किसी भी गरीब, दलित, बेरोजगार या छोटे दुकानदार को उजाड़ना बंद किया जाए. दरअसल, सांसद श्री यादव ने यह मामला सदन में रखा है कहा है कि शहर के साथ पूर्णिया पूर्व, हरदा, मझैली धमदाहा, रुपौली बड़हरा समेत सभी प्रखंड, नगर परिषद, नगर पंचायत में बसे छोटे छोटे दुकानदार, सब्जी-फल वाले जीवन यापन कर रहे थे. गरीब लोग घर बनाकर रह रहे थे. यह स्थिति पूरे बिहार की है. सदन में मामला उठाते हुए उन्होंने कहा है कि सूबे के हर शहर-गांव में लगातार गरीबों, दलितों और छोटे व्यवसायियों के घर-दुकान उजाड़े जा रहे हैं. श्री यादव ने विशेष रूप से अरोरा गुहा का जिक्र किया, जहां लगभग 150 दलित परिवार पीढ़ियों से बसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि उस बस्ती में पहले से एमएलए फंड से सड़क बनी है. बिजली का बिल भी उनकी तरफ से वहन किया जाता रहा है और कई परिवारों को इंदिरा आवास भी आवंटित है. बावजूद इसके, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया, नोटिस या पुनर्वास की व्यवस्था किए पूरे गांव को उजाड़ दिया गया. सांसद ने कहा कि राज्य के विभिन्न इलाकों में एक संगठित पैटर्न के तहत गरीब परिवारों, ठेला-पटरी वालों, फल-सब्ज़ी कारोबारियों और छोटे दुकानदारों को हटाया जा रहा है. उन्होंने बेगूसराय की हालिया घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि वहां महादलित बस्ती को बेरहमी से ढहा दिया गया, लाठीचार्ज किया गया और अत्याचार भी हुए. उन्होंने केंद्र और बिहार सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की कि गरीबों के पुनर्वास की स्पष्ट नीति बनाई जाए और हर जिले की ऐसी घटनाओं की जांच कराई जाए.

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