महफूज नहीं रही पूर्णिया की आबो हवा, सड़कों पर उड़ती धूल निकाल रही फेफड़े का दम
सड़कों पर उड़ती धूल निकाल रही फेफड़े का दम
सांस की बीमारी फैला रहे शहर की हवा में घुलने वाले धूल, धुआं और कचरा
परेशानी का सबब बना है वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर, नहीं किसी को सरोकार
पूर्णिया. कभी मिनी दार्जलिंग के नाम से चर्चित पूर्णिया की आबो हवा भी अब महफूज नहीं रह गई है. पूर्णिया की फिजां इस समय वायु प्रदूषण की भयंकर चपेट में आ गई है. आलम यह है कि एक तरफ सड़कों पर उड़ने वाली धूल शूल बन कर आंखों में चुभ रही है तो दूसरी ओर धुआं फेफड़े का दम निकाल रहे हैं. धूल और धुआं के कारण खुली हवा में सांस लेना मुहाल हो गया है. शहर में वायु प्रदूषण के स्तर में जिस तरह वृद्धि हो रही है उससे आम लोग परेशान हो उठे हैं जबकि बेहतर स्वास्थ्य को लेकर प्रबुद्ध नागरिकों की चिन्ता बढ़ गई है क्योंकि इससे सांसों की बीमारी फैलने की संभावना बढ़ गई है. यह विडम्बना है कि धूल व धुआं के जरिये खामोशी से पैर पसारने वाली बीमारियों से किसी को कोई सरोकार नहीं रह गया है. गौरतलब है कि शहर में मिट्टी, गिट्टी व बालू लदे ट्रैक्टर-ट्रक दिन भर बेरोकटोक चल रहे हैं. खास कर पूर्णिया-श्रीनगर रोड में जनता चौक के इलाके में रहने वाले लोग काफी परेशान हैं क्योंकि इस सड़क पर दिन-रात ट्रोक्टरों से मिट्टी व बालू की ढुलाई हो रही है. जानकारों का कहना है कि कायदे से मिट्टी व बालू लदे ट्रैक्टरों को ढक कर चलना चाहिए ताकि धूलकण उसके अंदर दबा रहे पर यहां इसकी परम्परा ही विकसित नहीं हो सकी है. आलम यह है कि ईंट, बालू और मिट्टी ढोने वाले ट्रैक्टरों के पीछे चलने वाले बाइक सवार को कुछ ही देर में आंख धोने की जरुरत पड़ जाती है क्योंकि हवा में उड़ते धूलकण आंखों में जलन देने लगते हैं. जानकारों का कहना है कि सड़क पर उड़ रही धूल की वजह से लोगों की आंखों में जलन और श्वांस की बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं. लोगों का कहना है कि हर तरफ खुले में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है और सड़कों पर यत्र-तत्र कचरा फैले हुए हैं जो इस मौसम में परेशानी का सबब बने हुए हैं.धुआं भी बना है परेशानी का सबब
लापरवाही के कारण कहीं घरों में लोगों का दम घुट रहा है तो कहीं सड़कों पर आवाजाही करने वाले लोग बेदम हो रहे हैं. आलम यह है कि शहर और आसपास के इलाकों में एक तरफ जहां कचरों में आग सुलगने के कारण जहां खतरनाक गैसें निकलती हैं वहीं दूसरी ओर उससे निकल रहे धुएं के कारण लोगों का खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाता है. सड़कों पर फर्राटा भरते वाहनों का धुआं भी परेशानी का सबब बना है. विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों ही स्थिति मानव जीवन के लिए खतरा बन रही है क्योंकि इससे अस्थमा, आंखों की एलर्जी तथा कैंसर जैसे रोग होने की संभावना रहती है. कप्तान पुल दक्षिण सौरा के तटबंध पर और उत्तर सौरा नदी के बाघमारा बांध के आसपास आए दिन कचरा में सुलगती आग नजर आ जाती है जिससे धुएं भी निकलते हैं और वायू में घुल जाते हैं. जानकारों की मानें तो यह भी प्रदूषण का बड़ा कारण है. ————धूल उड़ने के प्रमुख कारण
मिट्टी, बालू, ईंट व सीमेंट को बिना ढके ट्रक-ट्रैक्टरों का परिचालनसड़कों पर नियमित रुप से पानी का छिड़काव नहीं किया जानासफाई के नाम पर नाले का गाद निकाल कर सड़कों पर छोड़ देना
सड़क किनारे घरों का कचरा फेंकना और डम्पिंग किया जानाकहते हैं डाक्टर
वातावरण में उड़ने वाली धूल की वजह से श्वांस से सम्बंधित दमा के मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है. जबकि जन सामान्य के लिए भी यह धूल एलर्जी को पैदा कर दे सकती है इनमें मुख्य रूप से लोगों में आंख और नाक की एलर्जी का मामला सामने आ सकता है. दूसरी ओर आंखो में इन्फेक्शन, लाली आना साथ ही नाक और आंख से पानी जाना आम बात है. जो लोग सिगरेट बीडी का धुम्रपान करते हैं उनको बेहद कठिन स्थिति में पहुंचा सकता है यह प्रदूषण. डॉ गोपाल कुमार झा, ईएनटी विभाग जीएमसीएचडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
