हाईकोर्ट बेंच की स्थापना को नये साल में बड़ा मुद्दा बनाएंगे पूर्णियावासी
दशकों से लंबित मांग को लेकर संजीदा है पूर्णिया का प्रबुद्ध जनमानस
दशकों से लंबित मांग को लेकर संजीदा है पूर्णिया का प्रबुद्ध जनमानस
तमाम संगठनों को एक मंच पर लाने के लिए हो रहा है सामूहिक प्रयास
पूर्णिया. करीब चार दशकों से आश्वासनों के बीच झूल रही पूर्णिया में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग अब नये साल में बड़ा मुद्दा के रूप में उभरेगी और इसमें न केवल आम नागरिक बल्कि प्रबुद्ध लोग भी आगे आएंगे. इसके लिए अभी से पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है जिसके तहत जिले के सभी संगठनों को एक मंच पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. समझा जाता है कि नये साल में आंदोलनात्मक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी जिसमें एयरपोर्ट फॉर पूर्णिया की तर्ज पर अनवरत कार्यक्रम किए जायेंगे. जानकारों का कहना है कि यह मांग करीब चार दशकों से लंबित है. जानकारों की मानें तो इसके लिए नब्बे के दशक में एक याचिका भी हाई कोर्ट में दायर की गयी थी, जबकि अलग-अलग माध्यमों से राज्य सरकार तक यह मांग मुखर रूप से पहुंचायी गयी थी.गौरतलब है कि, पूर्णिया में पटना उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना आज पूर्णिया की बड़ी जरूरत बन गई है. यहां के लोगों को 300 किलोमीटर की दूरी तय पटना उच्च न्यायालय जाना-आना पड़ता है. होटलों में दो-तीन दिनों तक रुकना और अधिवक्ताओं से संपर्क करना काफी खर्चीला हो जाता है, जो सबके वश की बात नहीं. खास कर गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों का पूर्णिया से पटना का सफर तय कर अपने मुकदमों की पैरवी करना मुश्किल हो जाता है. अधिक खर्च होने के कारण इस तबके के लोग नियमित रूप से वहां नहीं पहुंच पाते हैं और न्याय से वंचित रह जाते हैं. पूर्णिया के अधिवक्ताओं का भी मानना है कि यदि पूर्णिया में हाईकोर्ट की बेंच का गठन हो जाता है, तो यहां के लोगों को काफी सहूलियत होगी और सस्ते दर पर न्याय मिल सकेगा . याद रहे कि पूर्णिया के अधिवक्ताओं ने बीच के सालों में इस मांग को लेकर कई कार्यक्रम किए और अपनी आवाज पटना से दिल्ली तक पहुंचाने की कोशिश की थी. कालांतर में यह मांग वकीलों के साथ आम आवाम की भी हो गयी.
आसपास के कई जिलों को मिलेगा लाभ
आलम यह है कि भौगोलिक बनावट के दृष्टिकोण से इस जिले की दूरी राजधानी पटना से तीन सौ किलोमीटर से अधिक है और दूर-दराज के ग्रामीण इलाकोंं से लोगों को पटना जाकर न्याय हासिल करना काफी परेशानियों का सबब बन गया है. दूसरी तरफ सीमांचल क्षेत्र के केन्द्र में यह जिला अवस्थित है जहां हाइकोर्ट के बेंच की स्थापना से इससे जुड़े अन्य जिलों के वाशिंदो की मुश्किलें आसान हो सकती हैं.जानकारों का कहना है कि यदि पूर्णिया में हाई कोर्ट बेंच कीस्थापना हो जाती है तो न केवल पूर्णिया बल्कि आसपास के नौ जिलों को इसका लाभ मिलेगा और हर किसी को सुलभ रुप से न्याय मिलना संभव हो जाएगा.हाईकोर्ट के जस्टिस ने दिया था भरोसा
उपलब्ध जानकारी के अनुसार 1986 में पटना हाई कोर्ट के जस्टिस ए पी सिन्हा पूर्णिया आए थे और उनके समक्ष तर्क के साथ इस मांग को प्रस्तुत किया गया था. उन्होंने इस मांग को उचित ठहराते हुए चीफ जस्टिस को रिपोर्ट करने का भरोसा दिलाया था. जानकारों ने बताया कि 1992 में पूर्णिया आए पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बी सी बसाक के सामने भी यह मांग रखी गई थी. उन्होंने यह आश्वस्त किया था कि जसवंत कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इस पर विचार किया जाएगा. इसके बाद अनवरत पूर्णिया में इस मांग को लेकर बार एसोसिएशन समेत अन्य संगठनों द्वारा आवाज बुलंद की जाती रही है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस में भी हुई थी चर्चा
पूर्णिया के जाने माने अधिवक्ता स्व. के पी वर्मा की पहल पर इस मुद्दे की चर्चा 1981 में हुए आल इंडिया बार एंड बेंच यूनिटी कॉन्फ्रेंस में जबरदस्त रूप से हुई थी. इस कॉन्फ्रेंस में भाग लेने आये बाहर के अधिवक्ताओं ने भी पूर्णिया में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की वकालत की थी. इस मुतल्लिक नब्बे के दशक में स्व वर्मा ने पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका भी दायर कर पूर्णिया की इस मांग को वैधानिक आवाज देने की कोशिश की थी. ————————आंकड़ों का आइना
1981 में आल इंडिया बार एंड बेंच यूनिटी कॉन्फ्रेंस में उठा था मामला1986 में पटना हाई कोर्ट के जस्टिस के सामने रखी गयी थी मांग1992 में पूर्णिया आये पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दिया गया था ज्ञापन90 के दशक में इस मांग को लेकर हाई कोर्ट में दायर हुई थी रिट याचिका2018-19 में पूर्णिया के अधिवक्ताओं ने चलाया था अभियानडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
