जीएमसीएच में पहली बार बगैर चीरा लगाये बाहर निकाला पित्त नली का स्टोन
जीएमसीएच में पहली बार
पूर्णिया. मेडिकल साइंस में तकनीकों के विकास ने चिकित्सा जगत को काफी विशाल आयाम दिए हैं. जिनकी मदद से मुश्किल से मुश्किल मामलों का भी निपटारा आसानी से संभव हो पा रहा है. इन तकनीकों और आधुनिक उपकरणों की मदद से मरीजों की समस्याओं की न सिर्फ सटीकता से पहचान ही की जा रही है बल्कि उसका सफल इलाज भी किया जा रहा है. शल्य चिकित्सा के मामले में ऐसे अनेक उपकरण विकसित किये जा चुके हैं जिनसे कम समय में कम से कम परेशानियों के साथ मरीज का सफल ऑपरेशन किया जा रहा है और जल्द ही उन्हें अस्पतालों से छुट्टी भी दे दी जा रही है. स्थानीय राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में आधुनिक तकनीकों के आ जाने के बाद यहां का सर्जरी विभाग अपनी सम्पन्नता की ओर आगे बढ़ चला है. बीते दिनों लगातार यहां के चिकित्सकों ने दूरबीन, लेप्रोस्कोपिक तकनीक के जरिये अनेक मरीजों के बड़े ऑपरेशन को साधारण तरीके से अंजाम देते हुए उन्हें स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया है. इसी कड़ी में एक और मामले में जहां चीरा लगाकर ऑपरेशन संभव था उस मरीज को भी लेप्रोस्कोपिक तकनीक से समस्या से मुक्ति दिलाई गयी.
पित्ताशय के अलावा पित्त की नली में भी थी स्टोन की समस्या
हालांकि इससे पूर्व भी जीएमसीएच में पित्ताशय की पथरी का लेप्रोस्कोपिक तकनीक से सर्जरी किया जा चुका है लेकिन यह मामला एक महिला मरीज के पित्ताशय एवं पित्त की नली में पथरी से जुड़ा था. इसके लिए जीएमसीएच सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. तारकेश्वर कुमार ने अपनी टीम के सदस्यों के साथ मिलकर महिला के दोनों जगह की पथरी को लेप्रोस्कोपिक विधि से सफलतापूर्वक बाहर निकाला. सर्जन डॉ. तारकेश्वर ने बताया कि उक्त महिला सर्जिकल जोंडिस की समस्या से पीड़ित थी. यहां आने के बाद उसे भर्ती किया गया फिर जांच के जरिये पत्थर की स्थिति का पता लगाया गया और फिर लेप्रोस्कोपिक तकनीक से दोनों ही स्थानों के स्टोन को सफलता पूर्वक बाहर निकाला गया. उन्होंने बताया कि अमूमन लोगों के पित्ताशय में पथरी की शिकायत होती है लेकिन यहां पित्त की नली के स्टोन के अलावा मल्टिपल स्टोन का भी मामला था जिसका निराकरण बगैर चीरा लगाये किया गया.दो दूरबीन की मदद से सम्भव हुआ यह ऑपरेशन
डॉ. तारकेश्वर ने बताया कि ऐसे मामलों में दो दूरबीन की जरुरत पड़ती है जो अब जीएमसीएच के सर्जरी विभाग में उपलब्ध है जिसकी मदद से पहली बार यहां पित्ताशय के स्टोन के साथ साथ पित्त की नली के स्टोन को भी लेप्रोस्कोपिक तकनीक से सफलतापूर्वक बाहर निकाला गया. इस ऑपरेशन टीम में मुख्य रूप से सर्जन डॉ. तारकेश्वर कुमार एवं डॉ. अमर किशोर के अलावा एनेस्थेटिस्ट डॉ. विकास कुमार, ओटी सहायक प्रमोद कुमार ठाकुर एवं नर्सिंग इंचार्ज अर्चिता पटेल शामिल रहीं. इस नयी उपलब्धि पर जीएमसीएच के प्राचार्य डॉ. हरिशंकर मिश्र, अधीक्षक डॉ. संजय कुमार सहित सभी कर्मियों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए ऑपरेशन टीम में शामिल सभी लोगों को बधाई दी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
