मेडिकल कचरा से प्रदूषित हो रहा शहर, बीमारी का बढ़ा खतरा

लाइन बाजार में सैकड़ों नर्सिंग होम व पांच सौ से अधिक हैं पैथोलॉजी लाइन बाजार के कप्तान पुल के आसपास सड़क किनारे फेंक दिया जाता है कचरा पूर्णिया : लाइन बाजार स्थित स्वास्थ्य नगरी इन दिनों मेडिकल कचरे के ढेर में तब्दील होता नजर आ रहा है. लाइन बाजार में सैकड़ों नर्सिंग होम और 500 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 16, 2018 6:25 AM

लाइन बाजार में सैकड़ों नर्सिंग होम व पांच सौ से अधिक हैं पैथोलॉजी

लाइन बाजार के कप्तान पुल के आसपास सड़क किनारे फेंक दिया जाता है कचरा
पूर्णिया : लाइन बाजार स्थित स्वास्थ्य नगरी इन दिनों मेडिकल कचरे के ढेर में तब्दील होता नजर आ रहा है. लाइन बाजार में सैकड़ों नर्सिंग होम और 500 सौ से अधिक पैथोलॉजी सेंटर हैं.
इन सेंटरों से रोजाना करीब पांच क्विंटल से अधिक मेडिकल कचरा बाहर निकलता है. विडंबना है कि इन कचरे के उठाव की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. समय पर कचरा का उठाव नहीं होने से यत्र-तत्र कचरा बिखरा देखा जा सकता है. स्थिति यह है कि कचरा उठाव नहीं होने से महीनों तक एक ही स्थान पर यह पड़ा रहा रहता है. जबकि कचरे में सूई, बैनडेज, दवा के अलावा मानव अंग भी मौजूद रहता है. जाहिर है कि यह मेडिकल कचरा खुले में रहकर वातावरण को प्रदूषित कर रहा है.
शहर में जलाया जा रहा है मेडिकल कचरा
हैरानी की बात यह है कि मेडिकल कचरा को शहर के बीचोबीच लाइन बाजार कप्तान पुल के आस-पास सड़क किनारे फेंक दिया जाता है और फिर उसमें आग लगा दी जाती है. मेडिकल कचरा में आग लगा देने से क्षेत्र में दुर्गंध फैल जाता है और यह पर्यावरण को प्रदूषित करता है. साथ ही आम लोगों की स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पहुंचाता है. यह आग और दुर्गंध कई बीमारी का कारण बन सकता है. यह सब जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के सामने हो रहा है और कार्रवाई नदारद है.
कचरा निष्पादन के लिए बनना था प्लांट
शहर के मेडिकल कचरा को खुले में जलाना या जमा करके रखना लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इस कचरा को भागलपुर ले जाकर प्लांट में वेस्ट किया जाता है. भागलपुर तक कचरा ले जाना संभव नहीं होने से इसके लिए सरकार ने सदर अस्पताल के जमीन में ही बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट लगाने के लिए योजना तैयार किया था. लेकिन प्लांट लगाने का सपना अधूरा ही रह गया. आइएमए ने कई बार प्लांट लगाने को लेकर सरकार से पत्राचार भी किया लेकिन प्लांट लगाने का काम सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित रहा.
सिनर्जी कंपनी को मिला है जिम्मा
शहर का मेडिकल कचरा को उठाने का जिम्मा भागलपुर की सिनर्जी मैनेजमेंट कंपनी को मिला है. उक्त कंपनी को प्रत्येक दिन मेडिकल कचरा का उठाव करना है. वहीं कंपनी द्वारा शहर के 30 नर्सिंग होम से कचरा उठाव के एवज में प्रति माह राशि की भी वसूली की जाती है. वहीं कचरा उठाव के नाम पर कंपनी द्वारा खानापूर्ति ही की जाती है. सच्चाई यह है कि कंपनी द्वारा नियमित रूप से मेडिकल कचरे का उठाव नहीं किया जाता है. यह अलग बात है कि वह नियमित रूप से शुल्क की उगाही करती है. समय पर कचरे का उठाव नहीं होने पर आइएमए भी कई बार अपना विरोध जता चुकी है. आइएमए के एक प्रतिनिधि मंडल नगर आयुक्त सह डीडीसी से मिलकर लाइन बाजार क्षेत्र में मेडिकल कचरा उठाव की मुकम्मल व्यवस्था किये जाने की मांग कर चुकी है. बावजूद इस दिशा में अबतक की कार्रवाई सिफर रही है.

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