कई बार भेजे प्रशासन को पत्र
बिजली कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर की ओर से कई बार जिला प्रशासन को पत्र भेजकर भूमि उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है लेकिन अब तक कोई सटीक जवाब नहीं मिला है. इस देरी का असर सीधा जिले की बिजली व्यवस्था पर पड़ रहा है क्योंकि गर्मी के कारण ओवरलोडिंग और ट्रिपिंग जैसी समस्या लगातार सामने आ रही है. नालंदा सर्किल के इंजीनियर सुशिल कुमार ने बताया कि योजना को पूरा करने में भूमि अधिग्रहण की समस्या से काफी दिक्कत आ रही है. अभी तक सिर्फ डियावां (करायपरसुराय) और देकपुरा (रहुई) में जमीन तय हो सकी है. बाकी जगहों पर प्रयास किया जा रहा है.
पावर स्टेशनों की सूची
पावर स्टेशन की तकनीकी जानकारी
हर सब-स्टेशन की क्षमता 20 मेगावाट होगी जिसमे दो-दो 10 मेगावाट के पावर ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे. इस पूरी योजना से जिले के ऊर्जा क्षमता में 160 मेगावाट की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. तकनिकी विशेषज्ञों के अनुसार पीएसएस को दो अलग अलग सोर्स से बिजली की आपूर्ति की जाएगी. इस तकनीक से बिजली की क्वालिटी बेहतर होगी और ट्रिपिंग की समस्या में भारी कमी आएगी.
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जमीन के बिना कुछ भी संभव नहीं
फिलहाल परेशानी ये है कि जब तक जमीन नहीं मिलती तब तक निर्माण एजेंसियां काम शुरू नहीं कर सकती. आम तौर पर एक पावर सब-स्टेशन का निर्माण कार्य एक वर्ष में पूरा हो जाता है लेकिन अधिग्रहण में हो रही देरी के कारण यह पूरी परियोजना रुकी हुई है. यह काम तभी पूरा होगा जब जमीन कि समस्या का समाधान हो जाए.
मृणाल कुमार की रिपोर्ट