डेढ़ करोड़ से अधिक स्कूली विद्यार्थियों को दी जायेगी पोशाक

राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे करीब डेढ़ करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा विभाग विभिन्न पोशाक योजनाओं की तहत यूनिफॉर्म उपलब्ध करायेगा. बच्चों को यह यूनिफॉर्म रेडीमेड पोशाक के रूप में दी जायेगी.

By Prabhat Khabar News Desk | May 16, 2024 1:10 AM

-शिक्षा विभाग ने पोशाक के साथ-साथ जूता-मोजा और टाइ उपलब्ध कराने का भी लिया निर्णय – एक से आठवीं तक के छात्रों को दो जोड़ी मसलन गर्मियों के लिए हॉफ पेंट और हॉफ शर्ट और सर्दियों के लिए फुल पेंट और फुल शर्ट दी जायेगी -कक्षा एक से 12 वीं तक की छात्राओं के लिए भी दो जोड़ी यूनिफॉर्म दी जायेगी. ड्रेस में सलवार-समीज के अलावा जूते और मोजे अतिरिक्त रूप में दिये जायेंगे. संवाददाता,पटना राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे करीब डेढ़ करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा विभाग विभिन्न पोशाक योजनाओं की तहत यूनिफॉर्म उपलब्ध करायेगा. बच्चों को यह यूनिफॉर्म रेडीमेड पोशाक के रूप में दी जायेगी. पोशाक के अलावा प्रत्येक विद्यार्थी को कैनवास के जूते,मौजे और टाइ भी दिये जायेंगे. साथ ही सर्दियों के लिए स्वेटर भी देने का निर्णय लिया गया है. इस संदर्भ में बुधवार को आमंत्रित निविदाओं में से एक का चयन कर उसके सैंपल पर सहमति दी गयी. दरअसल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की अध्यक्षता में पोशाक मुहैया कराने के लिए चयनित एजेंसी के साथ उच्चस्तरीय बैठक बुधवार को हुई. बैठक में संबंधित एजेंसी की तरफ से पोशाक के सैंपल देखे गये. जानकारी के मुताबिक कक्षा एक से आठवीं तक के छात्रों को दो जोड़ी मसलन गर्मियों के लिए हॉफ पेंट और हॉफ शर्ट और सर्दियों के लिए फुल पेंट और फुल शर्ट दी जायेगी. साथ ही उन्हें कैनवास के जूते, मोजे और टाइ दिये जायेंगे. कक्षा एक से 12 वीं तक की छात्राओं के लिए भी दो जोड़ी यूनिफॉर्म दी जायेगी. यूनिफॉर्म में सलवार-समीज के अलावा जूते और मोजे अतिरिक्त रूप में दिये जायेंगे. खास बात यह है कि सर्दियों के लिए सभी कक्षाओं की बालिकाओं को स्वेटर और कक्षा एक से आठवीं तक के बालकों को एक-एक स्वेटर दिये जायेंगे. कक्षा नौ से 12 वीं तक के बालकों को पोशाक योजना का लाभ नहीं मिलता है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक वर्ष 2008-09 में राज्य के कक्षा एक से आठ वीं तक की छात्र और छात्राओं के लिए मुख्यमंत्री बालिका/बालक पोशाक योजना शुरू की गयी. शुरुआती दौर में पोशाक के लिए पैसे ही दिये जाते थे. बीच में डीबीटी के जरिये बच्चों के खाते में राशि दी जाने लगी. इसी तरह प्लस टू की छात्राओं के लिए बिहार शताब्दी मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना की शुरुआत 2011-12 से हुई. इस योजना के तहत पोशाक खरीदने के लिए 1500 रुपये डाले जाते रहे हैं. विभाग की समीक्षा के बाद हाल ही में यह तथ्य सामने आया कि बच्चों या उनके अभिभावकों के खाते में पैसा डाले जाने के बाद राशि का उपयोग नहीं हो रहा है. लिहाजा विभाग ने निर्णय लिया कि पैसा देने की बजाय बच्चों को स्कूल में ही ड्रेस मुहैया करा दी जाये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version