राहत की खबर, बिहार में थम गया ब्लैक फंगस का कहर, पिछले 24 घंटे में नहीं गयी किसी की जान

कोरोना संक्रमण व ब्लैक फंगस की बीमारी से राहत मिलने के साथ ही इससे होने वाली मौत का सिलसिला भी थमा है. बुधवार को शहर के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में एक भी कोरोना व ब्लैक फंगस संक्रमित मरीज की मौत नहीं हुई.

By Prabhat Khabar | June 24, 2021 7:20 AM

पटना. कोरोना संक्रमण व ब्लैक फंगस की बीमारी से राहत मिलने के साथ ही इससे होने वाली मौत का सिलसिला भी थमा है. बुधवार को शहर के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में एक भी कोरोना व ब्लैक फंगस संक्रमित मरीज की मौत नहीं हुई.

दोनों अस्पताल में होने वाले कोविड व फंगस के मौत के आंकड़ों को देखें तो एक जून से अब तक तीन दिन ऐसा मामला सामने आया, जब कोविड व फंगस से इन दोनों अस्पतालों में एक भी मौत नहीं हुई थी, जबकि अकेले आइजीआइएमएस में इस महीने 20 दिन तक लगातार कोविड व फंगस से संक्रमित मरीजों की लगातार मौत हुई.

हालांकि बुधवार को आइजीआइएमएस में सात कोविड व चार ब्लैक फंगस के मरीजों को भर्ती किया गया. वर्तमान में आइजीआइएमएस के कोविड वार्ड में 149 नये मरीज भर्ती किये गये जबकि 26 ऑक्सीजन के बेड खाली हैं. 24 घंटे के अंदर आइजीआइएमएस संस्थान में चार नये ब्लैक फंगस के मरीजों के साथ वर्तमान में कुल 107 मरीज फंगस वार्ड में भर्ती हैं.

ब्लैक फंगस का नहीं मिल रहा इंजेक्शन, परेशानी

ब्लैक फंगस के मरीजों को समय पर दवा नहीं मिल पा रही है. कारण, अस्पतालों को समय पर उपलब्ध नहीं हो रही है. जिस अस्पताल में 100 से अधिक मरीज भर्ती हैं, वहां एक बार में एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन के महज 400 वायल दिए जा रहे हैं. ऐसे में सभी मरीजों को इंजेक्शन देना संभव नहीं हो पाता.

सबसे अधिक परेशानी पीएमसीएच अस्पताल को हो रही है. जहां एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की सप्लाइ नहीं होने की वजह से मरीजों के भर्ती पर संकट खड़ा हो गया है. यहां पिछले पांच दिन में महज तीन मरीजों को मुश्किल से भर्ती किया गया है.

चिकित्सकों के मुताबिक, एक मरीज को 24 घंटे में इंजेक्शन की पांच से छह डोज देना है. डोज में गैप होगा तो मरीज का रिकवरी टाइम बढ़ जायेगा. इंजेक्शन की कमी से अब आइजीआइएमएस अस्पताल में भी ब्लैक फंगस के मरीज को भर्ती करने में परेशानी हो रही है. ज्यादा गंभीर मरीजों को ही भर्ती किया जा रहा है. जबकि आइजीआइएमएस, पीएमसीएच और एनएमसीएच पूरी तरह से सरकारी सप्लाइ पर आश्रित हैं.

Posted by Ashish Jha

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