बिहार में 1600 अस्पताल भवनों को बनाने का एक साथ होगा टेंडर, मंत्री मंगल पांडेय बोले- समय पर पूरा होगा काम

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मंगलवार को विधान परिषद की पहली पाली में कहा है कि राज्य में पहली पर 1600 अस्पताल भवनों को बनाने का टेंडर एक साथ किया गया है. इन सभी के निर्माण की समयसीमा 15 महीना है.

By Prabhat Khabar | July 28, 2021 10:38 AM

पटना. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मंगलवार को विधान परिषद की पहली पाली में कहा है कि राज्य में पहली पर 1600 अस्पताल भवनों को बनाने का टेंडर एक साथ किया गया है. इसके तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच-पांच स्वास्थ्य उपकेंद्र, एक-एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 122 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की मंजूरी दी गयी है. इन सभी के निर्माण की समयसीमा 15 महीना है.

मंत्री मंगल पांडे ने यह जानकारी विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा के अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में दिया. मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि स्वास्थ्य उपकेंद्रों में डॉक्टर की तैनाती नहीं होती है. वहां एएनएम के द्वारा स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करायी जाती है. विशेषज्ञ चिकित्सकों के 3706, सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी के 2590 पदों पर नियुक्ति के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.

सूची मिलने पर उनकी ज्वाइनिंग हो जायेगी. स्वास्थ्य मंत्री ने विधान पार्षद संजय प्रकाश के तारांकित प्रश्न के जवाब में कहा कि राज्य में विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी के 3706, और सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी के 2590 यानी कुल 6296 पद रिक्त हैं. इनकी नियुक्ति का निवेदन सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से बिहार तकनीकी सेवा अायोग को भेजा गया है.

मधेपुरा के मेडिकल कॉलेज का उठा मामला

जननायक कर्पूरी ठाकुर चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल, मधेपुरा का मामला विधान पार्षद ललन सर्राफ ने उठाया. तारांकित प्रश्न से पूछा था कि मधेपुरा मेडिकल कॉलेज में कितनी रिक्तियां हैं और ये कब तक भरी जायेंगी? इसका जवाब स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने दिया. उन्होंने कहा कि मधेपुरा मेडिकल कॉलेज में चिकित्सक शिक्षक 226, वर्ग-3 के 168, पारामेडिकल और वर्ग-चार सहित कुल 480 पद रिक्त हैं. विभिन्न माध्यमों से नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है.

सरकार की सहमति से एंबुलेंस खरीदने की अनुशंसा करें विधायक

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मंगलवार को विधान परिषद की पहली पाली में कहा है कि सरकार की सहमति से एंबुलेंस खरीदने की अनुशंसा सदस्य करें. यह जानकारी उन्होंने विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा के अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में दी. मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि एंबुलेंस खरीदने के पहले सरकार राज्य में इसकी जरूरत के अनुसार बजट बनाती है.

इस पर 60 फीसदी खर्च केंद्र और 40 फीसदी राज्य सरकार करती है. इसके लिए ड्राइवर, तकनीशियन, ऑक्सीजन, उपकरण और आउटसाेर्सिंग एजेंसी की व्यवस्था करनी होती है. इस पर खर्च होता है. यदि कोई विधायक या विधान पार्षद एंबुलेंस देना चाहते हैं तो इससे के लिए जिले के डीएम और डीडीसी को अपना प्रस्ताव भेज दें.

Posted by Ashish Jha

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