रेरा: ऑनलाइन आवेदन करने के सात दिनों में हार्ड कॉपी नहीं दी तो रोज लगेगा एक हजार जुर्माना, जानें नयी नियमावली

Bihar News अधिसूचित विनियमावली में प्रावधान किया गया है कि बिल्डरों को अपने किसी अन्य रियल इस्टेट परियोजना में खुद के साथ ही पत्नी व आश्रित बच्चों के नाम से जुड़ेहितों का विस्तृत विवरण भी हर साल एक जनवरी को देना होगा.

By Prabhat Khabar | December 20, 2021 9:21 AM

Bihar News: बिहार में रियल इस्टेट प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन का आवेदन व निर्धारित शुल्क ऑनलाइन ही लिया जायेगा, लेकिन बिल्डरों को सात कार्य दिवस के भीतर उसकी हार्ड कॉपी रेरा कार्यालय में जमा कराना अनिवार्य होगा. ऐसा करने में विलंब होने पर उसके बाद प्रतिदिन 1000 रुपये प्रोसेसिंग चार्ज के रूप में जुर्माना लिया जायेगा. आवेदन अपूर्ण होने की स्थिति में रेरा लिखित या इ-मेल से प्रमोटर को सूचित करेगा.

बावजूद पूर्ण नहीं होने पर आवेदन 14 दिन बाद स्वत: अस्वीकृत कर दिया जायेगा. इसके बाद बिल्डर को पुन: शुल्क के साथ नया आवेदन करना होगा. यह प्रावधान बिहार रेरा की नयी नियमावली (बिहार भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (सामान्य) विनियमावली 2021) में किया गया है.

पत्नी व आश्रित बच्चों के हितों की भी देनी होगी जानकारी

अधिसूचित विनियमावली में प्रावधान किया गया है कि बिल्डरों को अपने किसी अन्य रियल इस्टेट परियोजना में खुद के साथ ही पत्नी व आश्रित बच्चों के नाम से जुड़ेहितों का विस्तृत विवरण भी हर साल एक जनवरी को देना होगा. इसके साथ ही प्रमोटर व डेवलपर हर साल अपने प्रोजेक्ट का वार्षिक खाता मसलन बैलेंस शीट, लाभ-हानि, कैश फ्लो स्टेटमेंट आदि ब्योरा प्रमाणित कर 15 अक्तूबर तक निश्चित रूप से जमा करायेंगे.

प्राधिकार के वेबसाइट पर भी उनको नियमित रूप से प्रोजेक्ट के प्रगति की डिटेल रिपोर्ट अपडेट करनी होगी. कंपनी के निदेशक मंडल में किसी भी तरह की परिवर्तन की सूचना घटना के एक माह के अंदर देने के साथ ही प्रत्येक साल एक जनवरी और एक जुलाई को देनी होगी.

Also Read: Bihar News: हर थाने में 100 से अधिक डिलिवरी ब्वॉय, नामजद व जमानत पर छूटे शराब तस्करों की बनी सूची, जाएंगे जेल

बैंक स्टेटमेंट में गड़बड़ी हुई तो आर्किटेक्ट-सीए पर भी कार्रवाई

विनियमावली में प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित बैंक खाते में हेरफेर पाये जाने पर संबंधित आर्किटेक्ट, इंजीनियर या चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) पर भी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. जांच में पता लगा कि इनके द्वारा प्रमाणित बैंक खाते के स्टेटमेंट में गड़बड़ी है तो प्राधिकार स्वविवेक से संबंधित वास्तुविद, इंजीनियर या चार्टर्ड अकाउंटेंट के व्यावसायिक विनियामक निकाय के समक्ष उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए कदम उठायेगा.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

Next Article

Exit mobile version