बिहार में 96 नक्सलियों ने पिछले नौ साल में किया सरेंडर, मुख्यधारा से जोड़ने के लिए किया जा रहा है पुनर्वास

आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवादियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिये वांछित योग्यता में छूट प्रदान की गयी है. प्री आइटीआई कोर्स की भी व्यवस्था है

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 18, 2023 1:49 AM

आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवादियों (नक्सली) को आत्मसमर्पण सह पुनर्वासन योजना के अन्तर्गत मुख्य धारा से जोड़ा जा रहा है. वर्ष 2013 से 2022 तक 96 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है. सरकार की राज्य स्तरीय आत्मसमर्पण सह पुनर्वासन समिति ने 42 उग्रवादियों को सुरक्षा संबंधी व्यय योजना (एसआरई) का लाभ देने की मंजूरी की है. साथ ही गतिविधि संदिग्ध पाये जाने पर सात को इसके लाभ से वंचित कर दिया गया है. 30 को पुनर्वासन का लाभ देने के लिये जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय स्क्रीनिंग समिति के स्तर पर कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.

10 जिलों में चल रही है योजना

एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि शिवहर में जमानत पर मुक्त इच्छुक 17 उग्रवादियों द्वारा बिना लाभ की शर्त पर आत्मसमर्पण किया गया था. गंगवार का कहना था कि वर्ष 2004 से 2012 तक 14 जिले नक्सल प्रभावित थे. 2012 से अप्रैल 2018 तक 22 तथा एक अप्रैल 2018 से एक जुलाई 2021 तक 16 जिले नक्सल प्रभावित थे. एक जुलाई 2021 के बाद यह संख्या घटकर 10 हो गयी है. वर्तमान में 10 जिलों में (एसआरई) योजना चल रही है.

आत्मसमर्पण पर दिए जाते हैं रुपये

आत्मसमर्पण सह पुनर्वासन योजना के अन्तर्गत उच्च श्रेणी के नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर पांच लाख रुपये तथा अन्य को 2.5 लाख रुपये दिये जा रहे हैं. हथियारों के सरेंडर करने पर अलग अलग इन्सेन्टिव दिया जाता है. योजना में नक्सली को प्रारम्भ में पुनर्वास केन्द्र रखा जाता है. वहां उनकी रुचि रुचि और योग्यता के आधार पर विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जाता है. इस दौरान हर महीने छह हजार रुपये भत्ता तीन साल के लिये देने का प्रावधान है.

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व्यावसायिक प्रशिक्षण देने की है व्यवस्था

आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवादियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिये वांछित योग्यता में छूट प्रदान की गयी है. प्री आइटीआई कोर्स की भी व्यवस्था है. इसके लिये बिहार में नौ औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान तथा 11 कौशल विकास चिह्नित हैं.

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