आचार संहिता लागू होने के पहले तीन कार्यों को अंजाम देना चाहते हैं रघुवंश बाबू, सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिख कर पूरा करने की अपील की

पटना : बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा देने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तीन मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है. जिन तीन कार्यों को वह पूरा नहीं कर पाये हैं, उन्हें पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2020 6:25 AM

पटना : बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा देने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तीन मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है. जिन तीन कार्यों को वह पूरा नहीं कर पाये हैं, उन्हें पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया है.

रघुवंश प्रसाद सिंह ने तीनों पत्र अपने लेटर पैड पर लिखा है. साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री, सिंचाई मंत्री और प्रधान सचिव को पत्र लिख कर तीन कार्यों को पूरा कराने की मांग की है. मालूम हो कि कोविड-19 संक्रमण के बाद कुछ दिक्कतों को लेकर दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती हैं.

रघुवंश बाबू की नीतीश कमार से पहली मांग

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि मनरेगा कानून में ”सरकारी और एससी, एसटी की जमीन में काम होगा” का प्रबंध है, उस खंड में आम किसानों की जमीन में भी काम होगा, जोड़ दिया जाये. इस आशय का अध्यादेश तुरंत लागू कर आनेवाले आचार संहिता से बचा जाये. इससे किसानों को मजदूर गारंटी और मजदूरी सब्सीडी, गड़बड़ी में आयेगी और सरकार पर से खर्च का बोझ घटेगा. जैसे मुखिया से मजदूर काम मांगता है और किसान भी मुखिया से मजदूर मांगेंगे. किसानों की जमीन के रकबा के आधार पर मजदूरों की संख्या को लिमिट रखा जाये. मजदूरी में आधी सरकार और आधी मजदूरी किसान भी दे. यह काम छूट गया था. इसे करा दें, आपकी बड़ी होगी.

रघुवंश बाबू की नीतीश कमार से दूसरी मांग

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम दूसरा पत्र भी लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि ”वैशाली जनतंत्र की जननी है. विश्व का प्रथम गणतंत्र है. लेकिन इसमें सरकार ने कुछ नहीं किया है. इसलिए मेरा आग्रह है कि झारखंड राज्य बनने से पहले 15 अगस्त को मुख्यमंत्री पटना में और 26 जनवरी को रांची में राष्ट्र ध्वज फहराते थे. इसी प्रकार 26 जनवरी को पटना में राज्यपाल और मुख्यमंत्री रांची में राष्ट्रध्वज फहराते थे. उसी तरह 15 अगस्त को मुख्यमंत्री पटना में और राज्यपाल विश्व के प्रथम गणतंत्री वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराने का निर्णय कर इतिहास की रचना करें. इसी प्रकार 26 जनवरी को राज्यपाल पटना में और मुख्यमंत्री वैशाली गढ़ के मैदान में राष्ट्रध्वज फहरायें. इसलिए कि वैशाली विश्व का प्रथम गणतंत्र है. आप इसे 26 जनवरी, 2021 से वैशाली में राष्ट्रध्वज फहरायें. इस आशय की सारी औपचारिकताएं पूरी हैं. फाइल मंत्रिमंडल सचिवालय में लंबित है. केवल पुरातत्व सर्वेक्षण से अनापत्ति प्रमाण पत्र आना बाकी था, जो आ गया है. आग्रह है कि कृपा कर आप इसे स्वीकृत कर दें. वैशाली गढ़ के मैदान में वहां दस-बारह वर्षों से राष्ट्रध्वज फहराया जा रहा है. इसे सरकारी समारोह बनाने हेतु शीघ्र निर्णय कर दें. आगे उन्होंने कहा है कि भगवान बुद्ध की अस्थियां अवशेष की स्थापना हेतु आपने वैशाली में 432 करोड़ की जमीन अर्जित कर 3-4 सौ करोड़ का स्तूप बनवा रहे हैं, लेकिन विश्व का प्रथम गणतंत्र वैशाली के लिए एक यह भारी काम होगा. विश्व में संदेश जायेगा कि विश्व का प्रथम गणतंत्र, वैशाली में होने के कारण वहां राष्ट्रीय दिवसों पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल द्वारा राष्ट्रध्वज फहराया जा रहा है.

रघुवंश बाबू की नीतीश कुमार से तीसरी मांग

रघुवंश बाबू ने नीतीश कुमार से तीसरी मांग पूरी करने की अपील की है. इसमें उन्होंने कहा है कि लोकसभा में शून्यकाल में मेरे द्वारा भगवान बुद्ध का पवित्र भिक्षापात्र अफगानिस्तान के कंधार से वैशाली लाने हेतु सवाल उठाने पर विदेश मंत्री श्री एसएम कृष्णा ने लिखित उत्तर में कहा कि भगवान बुद्ध का पवित्र भिक्षापात्र अब कंधार में नहीं सुरक्षा कारणों से काबुल म्यूजियम में रखा गया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से उद्गम का पता लगा कर उसे वैशाली लाया जायेगा. क्योंकि, भगवान बुद्ध अंतिमवें वर्षावास में वैशाली छोड़ने के समय अपना भिक्षापात्र स्मारक के रूप में वैशालीवालों को दिया था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की लाल फीताशाही की गुटबंदी के कारण पर्याप्त साक्ष्य नहीं है, कह कर ठप करवा दिया. जबकि, अफगानिस्तान वाले मोटे अक्षरों में अपने काबुल म्यूजियम भगवान बुद्ध को भिक्षापात्र लिख कर स्वीकार कर रहा है.

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