पूर्वी और पश्चिमी हिस्से की इतनी जमीन की जरूरत…
बता दें कि, रनवे का पूरब और पश्चिम दोनों क्षेत्र में विस्तार किया जाना है. एयरपोर्ट प्रशासन की तरफ से करीब सात सौ मीटर जमीन की मांग की गई थी, इसे लेकर भूमि मापन की गई और रिपोर्ट में इसका विस्तार रूप से जिक्र किया गया है. साथ ही नजरी नक्शा भी दिया गया है. रनवे के पूर्वी हिस्से में पांच सौ तथा पश्चिम हिस्से में दो सौ मीटर विस्तारीकरण का प्रस्ताव है. बता दें कि, पूरब में पांच सरकारी आवास, कार्यालय और चिड़ियाखाना के अंदर के कई महत्वपूर्ण चीजें हटानी होगी, जो कि काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है. हालांकि, वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से चिड़ियाघर के अंदर के हिस्से को हटाने की सहमति मिल जाती है तो, रनवे का विस्तार आसानी से हो सकता है. बता दें कि, इस मामले में अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल सचिवालय की ओर से लिए जाने के बाद ही कुछ हो सकता है.
पटना जू की इतनी जमीन की होगी जरूरत…
पटना एयरपोर्ट के रनवे के विस्तार के लिए चिड़ियाघर के जमीन की बात की जाए तो, रनवे को पूरब दिशा की ओर विस्तार करना है. इस हिस्से में 500 मीटर रनवे को आगे ले जाना है. ऐसे में पटना जू का करीब 15 एकड़ भूमि रनवे के लिए जरूरत होगी. अधिकारियों के मुताबिक, चिड़ियाखाना के गेट नंबर दो के पहले तक का हिस्सा रनवे विस्तार के दायरे में आ रहा है. एयरपोर्ट के बाउंड्री से लेकर पीरअली पथ और चिड़ियाखाना का करीब तीन सौ मीटर जमीन का विस्तारीकरण में जरूरत पड़ेगी.
पटना जू के इस हिस्से को पड़ सकता है हटाना
बता दें कि, रनवे के विस्तार के लिए पटना जू के जिन हिस्सों को हटाने की जरूरत पड़ेगी, उनमें निदेशक का कार्यालय, झील का आधा हिस्सा, मछली घर और लगभग छह सौ पेड़ शामिल है. इन सभी को हटाना पड़ सकता है. लेकिन, यह एक बेहद ही चुनौतीपूर्ण कार्य माना जा रहा है. हालांकि, अधिकारियों की ओर से दी गई रिपोर्ट पर अगर राज्य सरकार की ओर से मंजूरी मिलती है तो, बात बन सकती है.
घंटाघर की लंबाई भी होगी छोटी
चिड़ियाघर के अलावा सचिवालय के घंटाघर को भी छोटा करने का प्रस्ताव है. एयरपोर्ट प्रशासन ने घंटा घर की ऊंचाई अधिक होने के कारण विमानों के लैंडिंग में परेशानी बताया है. फिलहाल, घंटाघर की लंबाई 49.5 मीटर है. जानकारी के मुताबिक, विमानों को तीन की बजाय साढ़े तीन डिग्री पर लैंडिंग करना पड़ रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार नहीं है. ऐसे में घंटाघर की लंबाई 17.5 मीटर कम करने की मांग एयरपोर्ट प्रशासन की ओर से की गई है, ताकि विमानों की लैंडिंग रनवे पर आसानी से हो सके.
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