मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति राजेंद्र प्रसाद ने दिया इस्तीफा, भ्रष्टाचार का लगा है गंभीर आरोप

भ्रष्टाचार के मामले में फंसे मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के कुलपति प्रोफेसर राजेंद, प्रसाद का त्यागपत्र तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 29, 2022 9:38 AM

पटना. भ्रष्टाचार के मामले में फंसे मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. राजभवन सचिवालय से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के कुलपति प्रोफेसर राजेंद, प्रसाद का त्यागपत्र तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है.

राज भवन को भेजा इस्तीफा

राज भवन सचिवालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मगध विश्वविद्यालय के कुलपति पद से प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने शनिवार की देर शाम अपना इस्तीफा भेज दिया. जिसे कुलाधिपति ने मंजूर कर लिया है. प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद पर अपने पद पर रहते हुए अनेक वित्तीय व अन्य अनियमितता के आरोप लगे हैं. उसकी जांच स्पेशल विजिलेंस यूनिट कर रही है.

कई ठिकानों पर हुई थी छापेमारी

भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद कुलपति राजेंद्र प्रसाद के कई ठिकानों पर सतर्कता अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने एक साथ छापेमारी की थी. इस कार्रवाई में करोड़ रुपए नकद मिले थे. इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका ने खारिज कर दी थी. इन आरोपों और जांच के चलते प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अवकाश पर चल रहे थे.

कोर्ट ने रुख सख्त किया था

वित्तीय अनियमितताओं के मामले में पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हो रही थी. पिछले दिनों ही न्यायालय ने उन पर लगे वित्तीय अनियमितताओं के मामले में कड़ा रुख अख्तियार किया था और और उनके द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उन्हें गिरफ्तारी पर रोक लगाने की छूट नहीं दी जा सकती. इसके बाद ही उन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया था, जिसका परिणाम शनिवार को उनके इस्तीफे के रूप में सामने आया.

जानें प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद पर क्या हैं आरोप

मगध विश्वविद्यालय में तय कीमत से अधिक दाम पर उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद, प्रश्न पत्रों की छपाई और सुरक्षा गार्डों की संख्या ज्यादा बताकर उनके वेतन भुगतान से संबंधित अनेक वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं.

सरकार ने भी लिखा था राजभवन को पत्र

इस घटना को लेकर शिक्षा जगत के अलावे राजनीतिक गलियारे में काफी उनकी आलोचना हुई थी. तब सरकार ने भी उनके खिलाफ जांच कराने की मांग करते हुए कुलाधिपति कार्यालय को पत्र लिखा था.

Next Article

Exit mobile version