केके पाठक का वीडियो रिकार्ड कर वायरल करना पड़ा महंगा, दो सब-रजिस्ट्रार हुए सस्पेंड

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पाठक का वीडियो वायरल करने के मामले में सरकार ने सख्त कार्रवाई की है. सरकार की इस कार्रवाई के बाद उन सरकारी कर्मचारियों के बीच कड़ा संदेश गया है जो विभागीय विषयों को सार्वजनिक मंचों पर ले जाने का काम करते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 2, 2023 2:31 PM

पटना. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पाठक का वीडियो वायरल करने के मामले में सरकार ने सख्त कार्रवाई की है. सरकार की इस कार्रवाई के बाद उन सरकारी कर्मचारियों के बीच कड़ा संदेश गया है जो विभागीय विषयों को सार्वजनिक मंचों पर ले जाने का काम करते हैं. सरकारी कर्मचारियों में ऐसी प्रवृति के बढ़ने के बाद ऐसी कार्रवाई की उम्मीद की जा रही थी. वीडियो सामने आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के आदेश दिए थे. कहा था कि मुख्य सचिव इस मामले की जांच कर रहे हैं.

सामने आया था अपशब्द कहे जाने का वीडियो

पिछले दिनों मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के अपर मुख्य सचिव की मीटिंग के दौरान बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को अपशब्द कहे जाने का वीडियो सामने आया, तो भारी बवाल मचा था. वायरल वीडियो में केके पाठक बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को गाली देते हुए सुने जा रहे थे. इसके बाद बासा ने आईएएस अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की थी. विपक्षी दल के नेताओं ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला था. सोशल मीडिया पर भी गालीबाज अफसर पर एक्शन लेने की मांग उठी थी.

निलंबन की अधिसूचना जारी 

केके पाठक का वीडियो रिकॉर्ड कर वायरल करने के मामले में गुरुवार को दो सरकारी कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग ने पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल और मधुबनी के बाबूबरही के अवर निबंधक को विभागीय विषय को सार्वजनिक करने के कारण निलंबित किया है. इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.

मांगा गया था स्पष्टीकरण 

पूर्वी चंपारण जिले के पकड़ीदयाल के अवर निबंधक अहमद हुसैन और मधुबनी के बाबू बरही के सब रजिस्ट्रार प्रणव शेखर को निलंबित किया गया है. निलंबन से पहले 16 फरवरी को अवर निबंधक से स्पष्टीकरण की मांग की गई थी. दोनों से पूछा गया था कि विभागीय बैठक का वीडियो रिकॉर्ड कर वायरल करने पर आपको क्यों ना सस्पेंड किया जाए. इन अधिकारियों ने स्पष्टीकरण का जवाब दिया, लेकिन उसे संतोषजनक ना पाते हुए खारिज कर दिया गया. इसके बाद इन अधिकारियों को निलंबित किया गया है.

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