बिहार के विभिन्न जिलों में लगने वाले रोजगार मेला के नियमों में होगा बदलाव, तैयार किया गया डेटाबेस

नौकरी पाने वालों से श्रम अधिकारी फोन कर चयन के बाद की पूरी जानकारी लेंगे. उनसे पूछा जाएगा कि कंपनी द्वारा कोई अतिरिक्त राशि की मांग तो नहीं की गयी. साथ ही यह भी जाना जायेगा कि नियोजन के समय कंपनी ने जितनी राशि देने की बात कही थी, उतना वेतन मिल रहा है या नहीं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 24, 2023 3:21 PM

बिहार के विभिन्न जिलों में लगने वाले रोजगार व नियोजन मेला के नियमों में बदलाव किया जायेगा, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को बिहार सहित देश के सभी राज्यों में रोजगार मिले और उसे वह नियमित करें. श्रम संसाधन विभाग के मंत्री ने अधिकारियों से बदलाव के संबंध में सुझाव भी मांगा है. वहीं, विभाग के स्तर पर बिहार में लोगों को रोजगार सह नियोजन मेला या जॉब फेयर में कितने को नौकरी मिली है. इसका पूरा डेटाबेस तैयार कर लिया हैं. अब इस डेटाबेस की समीक्षा होगी. जिससे विभाग को यह मालूम हो पायेगा कि अभी रोजगार पाने वाले कितने लोग काम कर रहे हैं या किस कारण से काम को छोड़ा है.

धोखाधड़ी का मामला विभाग के पास कई बार पहले पहुंच चुका है

नियोजन मेला व जॉब कैंप में जिन अभ्यर्थियों को नौकरी दी जाती है. उसके साथ धोखाधड़ी और शोषण किया जाता है. विभाग को कई स्रोतों से लगातार इस संबंध में शिकायत मिलती रहती है. इन्हीं शिकायतों के बाद विभाग ने सभी का डेटाबेस तैयार कराया है. जिससे यह पता चल पायेगा कि नियोजन मेले में जिन्हें रोजगार मिला है, उन्हें कंपनियों ने रखा है या निकाल दिया है.

अब सभी रोजगार पाने वालों से अधिकारी लेंगे फोन पर उनका ब्योरा

अब विभाग इन लोगों से फोन कर पूछेंगे कि उन्हें कब रोजगार मिला. रोजगार मिला तो वह अभी नौकरी में हैं या नहीं .अगर नौकरी में नहीं हैं, तो उन्हें कितने दिनों के बाद कंपनी ने बाहर किया. अगर जो कोई नौकरी में होगा, तो उनसे पूछा जायेगा कि नियोजन के बाद में कंपनी ने उनसे आर्थिक शोषण तो नहीं किया है. कंपनी द्वारा कोई अतिरिक्त राशि की मांग तो नहीं की गयी. साथ ही यह भी जाना जायेगा कि नियोजन के समय कंपनी ने जितनी राशि देने की बात कही थी, उतना वेतन मिल रहा है या नहीं.

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अब तक का आंकड़ा

  • वर्ष : रोजगार पाने वालों की संख्या

  • 2014-15 : 128259

  • 2015-16 : 11108

  • 2016-17 : 54335

  • 2017-18 : 41 034

  • 2018-19 : 25876

  • 2019-20 : 16550

  • 2020-21 : 6400

  • 2021-22 : 5643

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