भारतीय ज्ञान परंपरा केवल अतीत नहीं, भविष्य का मार्गदर्शन भी : कुलपति
भारतीय ज्ञान परंपरा केवल बीते समय की बात नहीं है, बल्कि यह आने वाले भविष्य का भी मार्गदर्शन करती है
-आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में भारतीय शिक्षा प्रणाली पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन संवाददाता, पटना भारतीय ज्ञान परंपरा केवल बीते समय की बात नहीं है, बल्कि यह आने वाले भविष्य का भी मार्गदर्शन करती है. आर्यभट्ट, योग, अजंता-एलोरा और कोणार्क जैसे स्मारकों का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत का ज्ञान, वास्तुकला, विज्ञान और दर्शन हर क्षेत्र में योगदान दे रहा है. ये बातें एकेयू के कुलपति प्रो शरद कुमार यादव ने सोमवार को भारतीय शिक्षा प्रणाली विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान के दौरान कहीं. कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, स्कूल ऑफ फिलॉसफी और इंडियन नॉलेज सिस्टम एंड हेरिटेज एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में हुआ. मुख्य वक्ता डॉ मनीहर शिंदे ने बताया कि अमेरिका और अन्य देशों में भारतीय योग और आयुर्वेद को अपनाया जा रहा है. उन्होंने विवेकानंद योगा यूनिवर्सिटी और बोस्टन के सेंटर फॉर एक्सीलेंस का उल्लेख करते हुए भारतीय ज्ञान की वैश्विक पहचान पर जोर दिया. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व दर्शन विभागाध्यक्ष प्रो ऋषिकांत पांडे ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा रत्नों से भरा महासागर है. अगर हम इनमें से एक भी रत्न जीवन में उतार लें, तो जीवन सफल हो सकता है. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो आभा सिंह ने कहा कि विद्या आत्मा का प्रकाश है. कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए डॉ मनीषा प्रकाश ने कहा कि भारतीय शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला, प्रकृति के साथ सामंजस्य और आत्म-जागरूकता भी सिखाती है.
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