यात्री व स्कूली बसों में इमरजेंसी गेट अनिवार्य

परिवहन विभाग वैसी सभी बसों का परमिट रद्द करेगा, जिन बसों में अब भी नियमों का पालन नहीं हो रहा है. इसकी शुरुआत गर्मी छुट्टी के बाद स्कूली बसों से होगी. विभागीय समीक्षा में पाया गया है कि 60 प्रतिशत यात्री व स्कूल बसों में इमरजेंसी गेट नहीं हैं.

By Prabhat Khabar Print | May 25, 2024 11:19 PM

– परिवहन विभाग की समीक्षा में पाया गया कि 60 प्रतिशत बसों में सुरक्षा इंतजाम नहीं अब गाड़ी होगी जब्त – गर्मी छुट्टी के बाद परिवहन अधिकारी सख्ती से जिलों में करेंगे स्कूली बसों की जांच संवाददाता, पटना परिवहन विभाग वैसी सभी बसों का परमिट रद्द करेगा, जिन बसों में अब भी नियमों का पालन नहीं हो रहा है. इसकी शुरुआत गर्मी छुट्टी के बाद स्कूली बसों से होगी. विभागीय समीक्षा में पाया गया है कि 60 प्रतिशत यात्री व स्कूल बसों में इमरजेंसी गेट नहीं हैं. साथ ही, सुरक्षा के इंतजाम भी नदारत हैं. कुछ बसों में इमरजेंसी गेट नहीं हैं और उस गेट के सामने सीट लगा दी गयी है, जिसे जांच करते वक्त अधिकारी भी नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसे सभी अधिकारियों पर विभाग कार्रवाई भी करेगा.विभाग ने जिलों को निर्देश दिया है कि ऐसे सभी बसों का परमिट रद्द करें, जो बसों में इमरजेंसी गेट को बंद करके सीट लगा देते हैं.स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए परमिट दें.वरना बसों का परमिट रिन्यूवल नहीं करें या रद्द करने की अनुशंसा जिला परिवहन पदाधिकारी से करें. अनट्रेंड ड्राइवर भी बसों का करते हैं परिचालन राज्यभर में चलने वाली अधिकतर बसों में ऐसे भी ड्राइवर हैं, जिनके पास प्रशिक्षण की कमी है. ड्राइवर को गाइड करने वाले कंडक्टर को यातायात नियमों का पता तक नहीं है. कहां बसों को रोकना है और कहां नहीं. इन नियमों का पालन नहीं होता है.इस कारण से सड़क दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है. विभाग ने जिलों को निर्देश दिया है कि ड्राइवर और कंडक्टर दोनों का प्रशिक्षण नियमित कराएं, ताकि उन्हें यातायात नियमों की समझ हो सके. इस काम को करने के लिए सभी बस स्टैंड पर अधिकारी मासिक कैंप लगाकर प्रशिक्षण दे सकते हैं. बैक शीशे पर लगी जाली भी बन जाती है मुसीबत जिन बसों में आपातकालीन खिड़की नहीं होती है उनमें बैक शीशा लगा होता है. जो काफी नाजुक होता है और हल्के वार से ही टूट जाता है. हालांकि, इसे तोड़ने के लिए शीशे के पास ही हथौड़ा या फिर रॉड लगी होती है, लेकिन कई डिपो की इस तरह की बसों में बैक शीशे के ऊपर लोहे की जाली जड़वा दी गयी है. इस कारण आपात स्थिति में यह जाली यात्रियों के लिए मुसीबत बन जाती है, क्योंकि दुर्घटना के बाद यात्री शीशा तो तोड़ देते हैं, लेकिन ऐंगल में जड़ी जाली को तोड़ना मुश्किल होता है. ऐसे बसों की भी जांच की जायेगी. सुरक्षा के लिए इन सुविधाओं को अनिवार्य कराने का निर्देश – प्राथमिक उपचार पेटिका – आपातकालीन खिड़की और दरवाजा – आपातकालीन खिड़की न होने पर बैक शीशा हो – जिसे तोड़ने के लिए हथौड़ा व राॅड होनी चाहिए – आपात स्थित के लिए महिला हेल्पलाइन – 100 डायल सहित संबंधित डिपो और परिवहन अधिकारियों, ड्राइवर व कंडक्टर का नंबर

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