National Mathematics Day: अभ्यास के अभाव में गणित में पिछड़ रहे बिहार के बच्चे, नहीं बैठा पा रहे समीकरण

हर साल 22 दिसंबर को नेशनल मैथमेटिक्स डे (राष्ट्रीय गणित दिवस) के रूप में मनाया जाता है. 2012 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महान गणितज्ञ रामानुजन के सम्मान में उनके जन्मदिन 22 दिसंबर को नेशनल मैथमेटिक्स डे के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2022 3:37 AM

राजदेव पांडेय,पटना: आर्यभट्ट और दूसरे प्रतिष्ठित गणितज्ञों की भूमि बिहार में गणित की पढ़ाई पिछड़ती जा रही है. बिहार के सभी विश्वविद्यालय में गणित से स्नातक में नामांकन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 14 हजार के आस-पास है. स्नातकोत्तर में यह संख्या घट कर महज 600 से 700 के बीच सिमट जाती है. पीएचडी के लिए नामांकित होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या बड़ी मुश्किल से दहाई में पहुंच पाती है. जहां तक स्कूली शिक्षा का सवाल है, हमारे राज्य के बच्चों की संख्या की अधिकतम की संख्या औसत ही है.

राष्ट्रीय परफार्मेंस में 12% बच्चे ही मैथ में अच्छे

नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि कक्षा तीन,पांच,आठ, 10 और 12 वीं में विशेष रूप से गणित में हमारे बच्चे औसत ही हैं. सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक क्लास तीन में बिहार के बच्चों का प्रदर्शन राष्ट्रीय परफॉर्मेंस 57 से कम 56 फीसदी है. इसमें औसत से कम प्रदर्शन करने वाले बच्चों की संख्या 25 फीसदी, औसत रहने वाले बच्चों का प्रतिशत 31 प्रतिशत है. इस तरह आधे से अधिक 56 फीसदी बच्चे औसत हैं या औसत से नीचे गणितीय योग्यता रखते हैं. जबकि गणित में अच्छे या दक्ष बच्चों का प्रतिशत 31 और बहुत अच्छे विद्यार्थियों का प्रतिशत 12 ही है.

चिंता की बात

नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2017 में 500 बच्चों में 318 बच्चे सलेक्ट हुए थे. वहीं 2021 के सर्वे में केवल 304 ही सलेक्ट हो सके. जहां तक कक्षा पांच का सवाल है, गणित में हमारा प्रदर्शन नेशनल औसत 44 की तुलना में कुछ कम 43 फीसदी है. इस कक्षा में बिहार के बच्चों में 36% औसत से नीचे और 38 फीसदी औसत रहे. इस तरह 76 फीसदी बच्चे हमारे औसत या औसत से अधिक रहे.

24 फीसदी बच्चे हैं बेहतर व दक्ष

वहीं 24 फीसदी बच्चे ही बेहतर या उससे भी अधिक दक्ष रहे. इसी तरह कक्षा आठ में औसत और औसत से भी कम बच्चों की संख्या 65 फीसदी रही. वहीं कक्षा दस में गणित में औसत या इससे कम क्षमता वाले विद्यार्थियों की संख्या 71 फीसदी रही. अगर हम पिछले नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2017 की तुलना में 2021 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो साफ है कि गणित के सर्वे के लिए चयनित विद्यार्थियों की संख्या ही कम होती जा रही है.

एक्सपर्ट व्यू

  • निश्चित तौर पर गणित में बिहार पिछड़ रहा है. बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है. बस उन्हें दिशा देने की जरूरत है. गणित अभ्यास और प्रतिभा की दम पर पढ़ा जाता है. गणित के शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों की प्रतिभा को तराशें और अभ्यास की आदत विकसित करें. -डॉ एन के अग्रवाल , परामर्शदाता , शिक्षा विभाग

  • गणित पढ़ाते समय इस बात पर फोकस करता हूं कि टॉपिक को इंटरेस्टिंग कैसे बनाया जा सकता है. ताकि विद्यार्थियों का कॉन्सेप्ट क्लीयर रहे. अगर मैं अपने स्कूल के दिनों की बात करूं, तो मैं गणित विषय में बेहतर करता था. इसकी वजह यह थी कि मेरे पिता जी भी विज्ञान के शिक्षक थे, तो उनसे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला. गणित ऐसा विषय है, जिसका जितना अभ्यास करेंगे कंसेप्ट उतना ही क्लीयर होता जायेगा. डॉ शशि भूषण राय, एचओडी(गणित), बीएन कॉलेज

  • मैं आज गणित का शिक्षक हूं, लेकिन मैं क्लास चौथी तक गणित विषय में बेहतर नहीं करता था. लेकिन खुद में यह जज्बा को जगाया कि मुझे सीखना, तो फिर राह आसन होते चले गयी. फिर तो ऐसा हुआ कि गणित के सवाल सॉल्व करने में मजा आने लगा. बच्चों से यही कहता हूं कि शिक्षक जो क्लास में पढ़ाते हैं उसे पूरे ध्यान से सुने और फिर किताब में दिये एग्जामपल के सवालों को हल करें. – राहुल सिन्हा, गणित शिक्षक, संत माइकल हाइ स्कूल

  • बच्चों को खुद में कॉन्फिडेंस जगाना है कि गणित विषय से दूरी नहीं करीब होना है. इस दोस्ती को निभाने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर ही होती है. टॉपिक को ऐसे पढ़ाएं कि बच्चों को यह स्पष्ट समझ में आये कि सवाल आते ही उन्हें समझ में आ जाये कि क्या पूछा जा रहा है? इसके साथ ही गणित के सूत्रों को रटने की बजाए उसे समझने की कोशिश करें तो इससे भी कांसेप्ट क्लीयर रहेगा. – नमीश कुमार, गणित शिक्षक, संत कैरेंस हाइ स्कूल

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