राजगीर ब्रह्मकुंड की बदलेगी तस्वीर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर होगा विकास

Bihar Tourism:  काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर राजगीर ब्रह्मकुंड को संवारा जाएगा. इसके लिए पर्यटन विकास निगम ने 46.42 करोड़ का टेंडर किया जारी किया है. इसका काम 2 सालों में पूरा करने की योजना है. यहां श्रद्धालुओं के लिए उपनयन संस्कार भवन बनाया जाएगा. नया पुल और आधुनिक पार्किंग समेत बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए सुगम सीढ़ियां बनाई जाएंगी.

By Rani Thakur | August 25, 2025 3:15 PM

Bihar Tourism: बिहार के राजगीर स्थित विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मकुंड परिसर की सूरत अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर बदल जाएगी. बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की तरफ से इसके एकीकृत विकास के लिए 46 करोड़ 42 लाख रुपये का टेंडर जारी किया गया है.

24 महीने में पूरा होगा काम

इस योजना के तहत अगले 24 महीनों में यहां श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक सुविधाओं का विकास किया जाएगा. जिससे मलमास मेले जैसे बड़े आयोजनों के दौरान होने वाली भीड़ और अव्यवस्था की समस्याएं स्थायी रूप से खत्म हो जाएंगी. जानकारी के अनुसार इस योजना का मुख्य उद्देश्य ब्रह्मकुंड और इसके आस-पास के क्षेत्र को सुंदर, सुगम और व्यवस्थित बनाना है. इसमें उपनयन संस्कार के लिए अलग भवन से लेकर बुजुर्गों के लिए आसान सीढ़ियां और एक नया निकास पुल का भी निर्माण किया जाएगा.

सरस्वती नदी पर बनेगा नया पुल

बता दें कि वैतरणी नदी की ओर निकलने वाला रास्ता काफी संकरा है. अब सरस्वती नदी के ऊपर एक नया और चौड़ा पुल का निर्माण होगा,  जो भीड़ के समय श्रद्धालुओं के लिए एक आसान वैकल्पिक निकास मार्ग का काम करेगा. गुरुद्वारा के सामने स्थित जंगल रेस्टोरेंट को हटाकर उसकी जगह दोपहिया और चौपहिया वाहनों के लिए पार्किंग स्थल बनाया जाएगा.

सौंदर्यीकरण और नए चेंजिंग रूम

कुंड के नीचे के भाग का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. जहां-तहां बने कपड़े बदलने के कमरों को हटाकर एक जगह पर व्यवस्थित चेंजिंग रूम बनाए जाएंगे.

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ब्रह्मकुंड की मान्यता

मान्यता है कि सतयुग में ब्रह्मा जी के मानस पुत्र राजा वसु ने यहां वाजपेय यज्ञ किया था. इसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं का आह्वान किया गया था. यहीं पर स्थित 22 कुंड और 52 धाराओं में स्नान का विशेष महत्व है. इन कुंडों में कुछ की धाराएं ठंडी तो कुछ की धाराएं गर्म हैं. श्रावणी मेले के बाद भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ है और आगामी पितृपक्ष को लेकर भी लोगों का आना शुरू हो गया है. नई परियोजना से राजगीर आने वाले श्रद्धालुओं का अनुभव बदल जाएगा.

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