बिहार : एसटीइटी परीक्षार्थियों के लिए राहत भरी खबर, दोबारा नहीं भरना पड़ेगा फॉर्म

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (एसटीइटी) 2019 को लेकर स्टूडेंट्स को बड़ी राहत दी है. समिति ने कहा है कि एसटीइटी 2019 में सम्मिलित होने के लिए परीक्षा फॉर्म भरे हुए अभ्यर्थियों को पुनर्परीक्षा में शामिल होने के लिए कोई परीक्षा शुल्क नहीं देना होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2020 7:19 AM

पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (एसटीइटी) 2019 को लेकर स्टूडेंट्स को बड़ी राहत दी है. समिति ने कहा है कि एसटीइटी 2019 परीक्षार्थियों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है. एसटीइटी में सम्मिलित होने के लिए परीक्षा फॉर्म भरे हुए अभ्यर्थियों को पुनर्परीक्षा में शामिल होने के लिए कोई परीक्षा शुल्क नहीं देना होगा. इसके साथ पुनर्परीक्षा के लिए अलग से कोई आवेदन भी करने की आवश्यकता नहीं है. समिति ने कहा है कि एसटीइटी की पुनर्परीक्षा के लिए तिथि निर्धारित होते ही परीक्षार्थियों को जानकारी दी जायेगी. गौरतलब है कि बिहार बोर्ड ने 28 जनवरी को ली गयी एसटीइटी परीक्षा शनिवार को रद्द कर दी है. बोर्ड पुन: परीक्षा कराने के लिए शिक्षा विभाग को अनुशंसा भेजेगी. एसटीइटी पेपर-1 परीक्षा के लिए 1,81,738 लोगों ने फॉर्म था. वहीं पेपर-2 के लिए 65,503 लोगों ने परीक्षा फॉर्म भरा था. 37,440 शिक्षकों की सीटों के लिए एसटीइटी परीक्षा आयोजित हुई थी.

परीक्षा लेने से पहले सिलेबस किया जाये जारी

शिक्षा सुधार रोजगार के नीरज कुमार द्वारा दर्ज याचिका संख्या 5650/2020 में मुख्य रूप से चार विषयों के प्रश्नपत्र पर आपत्ति दर्ज की गयी थी. जिसमें बोर्ड की जांच कमेटी ने भी कहा कि जांच में इनमें से तीन विषय विज्ञान, गणित व संस्कृत विषय से संबंधित पूछे सभी प्रश्न सही पाये गये. लेकिन सामाजिक विषय से संबंधित पूछे गये प्रश्न में गड़बड़ी पायी गयी. सामाजिक विज्ञान विषय में अभ्यर्थियों को सहायक विषय/प्रतिष्ठा के अंतर्गत इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र एवं अर्थशास्त्र में से किसी दो विषय में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है, जिसमें अनिवार्यता एक विषय इतिहास व भूगोल अवश्य हो.

प्रश्न पत्र सभी चार विषयों से पूछा गया, वह उचित है. लेकिन, सेटर को प्रश्न पत्र विषयवार चार ग्रुप में बांटना चाहिए था. इसमें इतिहास एवं भूगोल विषय में से किसी एक विषय का उत्तर देना अभ्यर्थी के लिए अनिवार्य होता. शेष तीनों विषय में से किसी एक विषय का उत्तर देने का विकल्प होता. लेकिन, प्रश्न पत्र सेटर ने चारों विषयों को अलग-अलग ग्रुप में नहीं बांट कर सामाजिक विज्ञान के समस्त प्रश्नों को एक ग्रुप में ही डाल दिया, जो उचित नहीं है. समिति ने सामाजिक विज्ञान के प्रश्न सेटर के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए शिक्षा विभाग को अनुशंसा भी भेजी है. इस संदर्भ में नीरज कुमार ने कहा कि शिक्षा विभाग पुन: परीक्षा से पहले सिलेबस जारी करे. सिलेबस से साफ-साफ पता चल जायेगा कि परीक्षा किस पैटर्न पर और किसी विषय से संबंधित होंगे. इससे शिक्षा विभाग को आसानी होगी. शिक्षा विभाग को सिलेबस जारी करना चाहिए. सिलेबस जारी करने के बाद ही परीक्षा तिथि जारी की जाये.

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