मानव शृंखला : पर्यावरण की खातिर एकाकार हुआ बिहार, उत्साह से भरा हर दूसरा बिहारी हुआ शामिल

गांधी मैदान में कुछ यूं बना बिहार बिहार ने एक बार फिर इतिहास रचा. जल- जीवन- हरियाली व शराबबंदी के पक्ष में और बाल विवाह व दहेज के खिलाफ हर दूसरा बिहारी रविवार को सड़क पर उतरा. आधे घंटे की मानव शृंखला में सभी तबके के लोग शामिल हुए. अधिकारी सेलेकर आम और खास लोगों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 20, 2020 6:46 AM
गांधी मैदान में कुछ यूं बना बिहार
बिहार ने एक बार फिर इतिहास रचा. जल- जीवन- हरियाली व शराबबंदी के पक्ष में और बाल विवाह व दहेज के खिलाफ हर दूसरा बिहारी रविवार को सड़क पर उतरा. आधे घंटे की मानव शृंखला में सभी तबके के लोग शामिल हुए. अधिकारी सेलेकर आम और खास लोगों ने भी एक- दूसरे का हाथ पकड़ कर पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिया.
आसमान में बादल और ठंड के बावजूद बच्चे, युवा, बुजुर्ग व महिलाओं में मानव शृंखला के प्रति गजब का उत्साह देखने को मिला. मानव शृंखला ने दलीय सीमाओं को भी तोड़ दिया. मुख्य विपक्षी दल राजद और कांग्रेस के कुछ विधायक भी अपने को रोक नहीं पाये. सबसे अधिक 27 लाख 87 हजार लोग पटना जिले में कतारबद्ध हुए. दूसरे नंबर पर समस्तीपुर रहा जहां करीब 27 लाख 80 हजार लोगों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिया. इसके बाद मुजफ्फरपुर, सारण और रोहतास का स्थान रहा.
पर्यावरण की खातिर एकाकार हुआ बिहार
पटना : जभवन पर भले ही बदरी छायी थी. धूप भी छिपी हुई थी लेकिन आम- ओ-खास का संदेश चटक धूप की तरह साफ उजागर हो रहा था. मानव शृंखला पर्यावरण बचाने की चिंता से ओतप्रोत थी. हर चेहरे पर एक ही संकल्प दिख रहा था, बिहार अब जल-जीवन और हरियाली बचाकर ही मानेगा.
राज्य सत्ता के इस सिरमौर इलाके में जात पांत, ऊंच- नीच, छोटा – बड़ा, स्त्री- पुरुष सब भेद छोड़कर एक- दूजे का हाथ थामे हुए थे. वाहन थमे हुए थे. कोई चल रहा था तो बस पुलिस, गश्ती वाहन और एंबुलेंस. एक ओर स्कूली बच्चे थे तो उनके सामने राजभवन-सचिवालय के साहब लोग. सुबह दस बजे से ही डीएवी पब्लिक स्कूल के प्रियम,अक्षतराज,पूनम मानव शृंखला का हिस्सा बने हुए थे.
सवाल पूछने पर कहते हैं, अरे अंकल छोड़िये कि कब से खड़े हैं. आप तो ये पूछिये कि, क्या सब पर्यावरण बचाने खड़े हैं? राजभवन गोलंबर से चितकोहरा पुल, पुराना सचिवालय, हनुमान मंदिर जिधर भी नजर जा रही थी सड़क के दोनों ओर मानव कतार नजर आ रही थी. नालंदा के फरासपुर के सुरेंद्र प्रसाद, चिकसौरा के मुन्ना यह देखने आये थे कि सीएम कैसा आयोजन कराते हैं? शृंखला कैसे बनती है?
मुजफ्फरपुर के रंजीत कुमार यादव पर एक व्यक्ति कटाक्ष करता है कि यहां खड़े हो लालू बुरा मान जायेंगे, तो उन्होेंने कहा, हवा-पानी पर्सनल नहीं होता. बेली रोड पर इओयू के सुमित, रंजीत,सुजीत, प्रभाकर नाथ दुबे साजिद अली जागरूक कर रहे थे. वाहन नहीं मिलने पर एयरपोर्ट से पैदल जा रहा एक परिवार चिड़ियाखाने के पास एक कार से आता संदेश सुनने रुक जाता है. कार में गणेश कुमार अपने तीन भतीजों के साथ थे. कार की छत पर लाउडस्पीकर लगाकर जल -जीवन- हरियाली बचाने के गीत बजाते इस सड़क से उस सड़क पर घूम रहे थे. पुराना सचिवालय परिसर में सड़क के दोनों ओर तिल रखने को भी जगह नहीं थी. जैसे – जैसे सड़कें घुमाव ले रही रही थीं मानव कतार भी घूमी हुई थीं. राजभवन – सचिवालय मार्ग पर मेडिकल कैंप लगा हुआ था. उसके सामने ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव संजय कुमार सिंह पत्नी और बेटे के साथ खड़े थे. उपसचिव कनक बाला सहित पूरा विभाग उनके साथ नजर आ रहा था.
नोडल अधिकारी संजय कुमार बताते हैं कि यह मार्केबुल है. सभी का व्यापक सहयोग मिल रहा है. बीपी मंडल मूर्ति के पास विशप स्पॉट बव्याज स्कूल के बच्चे सुबह नौ बजे आ गये थे. चितकोहरा पुल से अनिसाबाद चौराहे तक वाहनों की कतार की जगह मानव कतार थी.
बालक मध्य विद्यालय अमन टोला, शहीद भगत सिंह एकेडमी, बीडी कॉलेज मीठापुर के शिक्षक और विद्यार्थी इस पर्यावरण बचाने के हवन में आहूति दे रहे थे. हड़ताली मोड़ पर लोक संगीत मंडली जागरूक कर रही थी. इसमें कुछ जागरुक होने तो कुछ लोक संगीत सुनने को मंडली को घेरे खड़े थे .
सूना था लालू राबड़ी आवास
पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताआें की आवाजाही से हर समय गुलजार रहने वाले लालू – राबड़ी आवास (10 सर्कुलर रोड ) सूना दिख रहा था. पर्यावरण को लेकर आयोजित मानव शृंखला का यहां दूर- दूर तक नामोनिशान नहीं था.
हाथ उठाकर सीएम व डिप्टी सीएम करते रहे समर्थन
पटना : गांधी मैदान राज्य भर में बनायी गयी मानव शृंखला का एक बार फिर गवाह बना. रविवार की सर्द सुबह से लेकर दोपहर 12 बजे तक जल- जीवन- हरियाली के समर्थन में गांधी मैदान मानव शृंखला से लेकर कई कार्यक्रम होते रहे. करीब 11 बजकर 10 मिनट पर सीएम नीतीश कुमार गांधी मैदान पहुंचे.
मुख्य कार्यक्रम स्थल के बगल में बनाये गये प्रतीक्षालय में उनका काफिला करीब 10 मिनट तक रुका. 11 बजकर 22 मिनट पर सीएम गांधी मैदान के मुख्य कार्यक्रम स्थल पर आ गये. मानव शृंखला में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाएं डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, उनके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, उनके बगल में विधान परिषद के कार्यकारी सभापति प्रो हारुण रसीद एक- दूसरे के हाथ पकड़े खड़े हुए.
इनके बाद पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव, महाधिवक्ता ललित किशोर, मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और सिंचाई मंत्री संजय झा कतारबद्ध रहे. सीएम के दाहिनी ओर जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह, उनके बगल में यूएनइपी के देश प्रमुख अतुल बघेल, सीएम के परामर्शी अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव दीपक कुमार के बाद डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष वर्मा, वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ, ओएसडी गोपाल सिंह, सीएम के सचिव और सूचना जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार, बुडको एमडी चंद्रशेखर सिंह, गृह सचिव अमीर सुबहानी आदि लोगों की कतार थी.
आमीर सुबहानी के बाद एडीजी आलोक राज और रवींद्र कुमार खड़े थे. साढ़े 11 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक लगी मानव शृंखला में सीएम के साथ सभी लोग बीच-बीच में हाथ ऊपर उठाकर समर्थन करते रहे.
बैंड से स्वागत, गुब्बारा उड़ा कर श्रृंखला की शुरुआत
सीएम के कार्यक्रम स्थल पर उनका स्वागत स्कूली बच्चियों ने बैंड से साथ स्वागत किया. लगभग दस मिनट बजे अनुशासित बैंड पार्टी के अपने वादन से सबका ध्यान आकर्षित किया.
कार्यक्रम की शुरुआत सीएम, डिप्टी सीएम, जल पुरुष ने गुब्बारों का गुच्छा उड़ा कर किया. गुब्बारों के साथ जल- जीवन- हरियाली का बोर्ड भी बाधा गया था. पूरे कार्यक्रम की कवरेज के लिए कार्यक्रम स्थल के पास दो ड्रोन उड़ाये जा रहे थे. वहीं, हवाई फोटोग्राफी के लिए एक हेलीकॉप्टर और एक प्लेन का भी उपयोग किया गया.
सुबह नौ बजे से ही गुलजार हो गया था गांधी मैदान
भले ही मानव शृंखला की शुरुआत साढ़े 11 बजे से किया गया, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी, स्कूली बच्चों और लोक गीत गाने वाली टीम ने सुबह नौ बजे से ही गांधी मैदान का माहौल गुलजार कर दिया था. बच्चों के कतार से बना बिहार का नक्शा, बोर्ड से जमीन पर मानव शृंखला 2020 विशेष आकर्षण का केंद्र बन रहा था. मुख्य कार्यक्रम स्थल के बगल में ही मंच पर जल- जीवन- हरियाली के समर्थन में गायन से गांधी मैदान की फिजा बदल रही थी.
बिहार में धरती का चढ़ता बुखार चुनौती
बिहार में पर्यावरणीय चेतना के लिए दो हजार करोड़ से अधिक की जल-जीवन-हरियाली
योजना प्रभावी की जा रही है. इसकी औपचारिक शुरुआत रविवार को मानव शृंखला के जरिये की जा चुकी है. इस मौके पर मैग्सेसे सम्मान विजेता राजेंद्र सिंह भी मौजूद रहे. जल-जीवन-हरियाली अभियान की चुनौतियों एवं समाधान की दिशा में राजदेव पांडेय ने उनसे खास बातचीत की.
मानव श्रृंखला कितनी उपयोगी होगी?
राजेंद्र – ये चेतना का कार्यक्रम था. युवाओं में अगर चेतना आती है तो ये शुभ लक्षण है. हमें इसकी सफलता के लिए इंतजार करना होगा.
जल-जीवन- हरियाली के सामने सबसे बड़ी चुनौती?
राजेंद्र- मुख्यमंत्री ने बड़ा कदम उठाया है. अब उसे लागू करने के लिए स्पष्ट गाइड लाइन बनानी होगी. उसे ईमानदारी से लागू करना होगा. ये अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संकट के रहते हुए इस दिशा में कुछ सोचा है.
प्रदेश में पानी की जमीन अतिक्रमण से घिरी है, उसे कैसे बचाया जाये?
राजेंद्र- पहले तो पानीदार जमीन को चिह्नित किया जाये. फिर उसका सीमांकन, मैपिंग और रजिस्ट्रेशन कराया जाये, ताकि उसको प्रभावित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.
पर्यावरणीय लिहाज से बिहार के लिए मुख्य संकट क्या है ?
राजेंद्र- बिहार में सबसे बड़ा संकट लू या बढ़ता धरती का बुखार है. इस साल लू से प्रदेश में 48 लोग मरे. पूरा बिहार रेड हीट का शिकार है. ग्रीन हीट के लिए जरूरी है पेड़ लगाये जाएं. भू -जल के लिहाज से बिहार के पांच जिले आेवर ड्रॉफ्ट हो चुके हैं. सरकारी मशीनरी को यह ध्यान देना होगा कि जल- जीवन- हरियाली के तहत कहीं भी गड्ढा खोद देने से ग्राउंड वाटर नहीं बढ़ेगा. इसके लिए विशेषज्ञों की राय लेनी होगी.
बिहार में जल प्रदूषण की समस्या बरकरार है?
राजेंद्र- बिल्कुल एसटीपी तकनीकी तौर सही बनाने होंगे. सीवर और ड्रैनेज लाइन अलग अलग करनी होगी.एसटीपी काम तेजी से बढ़ना चाहिए. भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए.
बिहार सरकार गंगा के लिए कितनी गंभीर दिखती है?
राजेंद्र- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंभीर हैं. उन्होंने गंगा की सील्ट के संदर्भ में केंद्र को दो पेज की चिट्ठी पहले भी लिखी थी. हाल ही में उन्होंने केंद्र से संवाद करके वाटर वे बनाने के लिए अघोषित तौर पर गंगा को 16 तालाबों में बदलने की योजना को रुकवा दिया है. नीतीश को इसके लिए साधुवाद देना चाहिए. फरक्का बांध में उन्होंने ममता बनर्जी को समझाया. तब जाकर वे फरक्का के डाउन स्ट्रीम में निर्माण रोकने पर सहमत हुईं.
जिलों में लोग हुए शामिल
– पटना 27, 87,757
– समस्तीपुर 27,80,500
– मुजफ्फरपुर 24,57,402
– सारण 24,33,555
– रोहतास 23,24,994
– भोजपुर 10,49,500
– बक्सर 6,11,415
– कैमूर 10,67,393
– नालंदा 12,98,017
– नवादा 9,13,019
– गया 20,01,389
– जहानाबाद 6,70,300
– अरवल 4,98,836
– औरंगाबाद 12,44,491
– मुंगेर 8,20,176
– लखीसराय 6,83,573
– जमुई 7,92,796
– शेखपुरा 4,06,112
– खगड़िया 7,75,778
– बेगूसराय 13,24,007
– बांका 10,09,897
– भागलपुर 12,99,730
– कटिहार 14,82,792
– किशनगंज 8,83,443
– अररिया 12,31,173
– पूर्णिया 15,22,830
– वैशाली 15,87,540
– सीतामढ़ी 19,36,072
– शिवहर 3,46,300
– पूर्वी चंपारण 22,76,839
– पश्चिमी चंपारण 15,70,171
– दरभंगा 23,05,000
– मधुबनी 21,55,452
– सहरसा 4,80,880
– सुपौल 12,21,316
– मधेपुरा 9,68,477
– सीवान 9,90,467
– गोपालगंज 14,62,000
क्यों जरूरी है हरियाली
सरकार ने शुरू किये हैं कई काम
मिथिलेश
पटना : 13 जुलाई, 2019. बिहार विधानमंडल के सेंट्रल हाॅल में आठ घंटे से अधिक समय तक मौसम और जलवायु पर आये संकट के समाधान पर विचार करने सभी विधायक और विधान पार्षद बैठे थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर यह बैठक आयोजित हुई थी. सबने एकजुट होकर जल- जीवन- हरियाली बचाने के लिए सरकार को आगे बढ़ने का सुझाव दिया. मुख्यमंत्री ने उनके सुझावों पर अमल करते हुए जल -जीवन -हरियाली बचाने काे लेकर कई योजनाओं की शुरुआत करने की घोषणा की.
दरअसल, जल- जीवन- हरियाली पर आये विश्वव्यापी आफत से बिहार सबसे अधिक संकट में है. नेपाल की तराई के करीब और पानी से भरपूर होने के बावजूद बिहार जहरीली हवाओं की जद में है. मौसम के बदलाव के चलते यहां वर्षा की मात्रा कम होती जा रही है. नदी और नहर सूखते जा रहे हैं. खेतों में गहरी दरारें हैं. जल स्तर नीचे गिरता जा रहा है.
पीने के पानी पर भी संकट उत्पन्न हो गया है. दिसंबर के अंतिम दिनों में ही गया जिले के कुछ इलाकों में जल स्तर पंद्रह फुट तक नीचे चला गया था. राज्य में बाढ़ का दायरा बढ़ने लगा है. आमतौर पर बिहार में 15 जून से मॉनसून का प्रवेश हो जाता था, अब यह काफी पीछे चला गया है. अनगिनत पेड़ कटते जा रहे हैं.
गांवों में आमों की अमराहट खत्म होती जा रही है. पटना, गया और मुजफ्फरपुर की हवा जानलेवा साबित हो रही है. मानव जीवन पर आये इस संकट का समाधान नहीं निकाला गया, तो आने वाले दिन भयावह साबित हो सकते हैं. कहते हैं जल और हरियाली है तभी जीवन है. पर, पिछले कई साल से मौसम में आये बदलाव के चलते पटना, गया और मुजफ्फरपुर देश के 102 नन अटेनमेंट शहरों की सूची में शामिल हो गये हैं. मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में पटना में एक भी दिन अच्छी हवा नहीं मिली. गया में दो और मुजफ्फरपुर के लोगों को तीन दिन यह नसीब हुआ.
सरकार के आंकड़े दर्शाते हैं कि पहले राज्य में औसत वर्षा 1200 से 1500 मिमी तक होती थी. मगर, अब यह मात्र 901 मिमी तक सिमट कर रह गयी है. 2018 में राज्य के आधे से अधिक 280 प्रखंड सूखे की चपेट में आ गये.
पटना शहर की पहचान गंगा नदी से भी होती थी. लोग गंगा नदी के पानी को पीने के लिए भी उपयोग करते थे. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से गंगा शहर से काफी दूर हो गयी. बांस घाट, एलसीटी घाट, कलेक्टेरियट घाट जिन पर शहरवासियों की भारी भीड़ इकट्ठा होती थी, अब नदी का पानी दो से पांच किलाेमीटर तक दूर हो गयी है.
मुख्य बातें
27 नवंबर, 2019 को मुख्यमंत्री ने मानव शृंखला के आयोजन की घोषणा की
11 कंपोनेंट के साथ जल -जीवन- हरियाली मिशन शुरू
तीन साल में खर्च होंगे 24524 करोड़ रुपये
03 दिसंबर, 2019 से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चंपारण से शुरू की जल-जीवन- हरियाली यात्रा
21 जनवरी,2018 को बाल विवाह और दहेजमुक्त विवाह के पक्ष में बनी थी 14000 किलोमीटर लंबी मानव शृंखला
मुजफ्फरपुर : जल- जीवन-हरियाली का लोगों ने दिया संदेश
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर में 964 किमी में बनी मानव शृंखला में लोगों ने हाथ-से- हाथ मिला कर जल -जीवन- हरियाली का संदेश दिया. सुबह में अचानक ठंड बढ़ने के बाद भी लोग सड़कों पर निकले.
बोचहां व मुसहरी प्रखंडों की सीमा पर स्थित आथर गांव में बूढ़ी गंडक नदी में लोगों ने तिरंगा लेकर नाव पर मानव शृंखला बनायी. वहीं, शहर में 32 किमी में बने सात रूटों पर लोग कतारबद्ध दिखे. सबसे लंबी रूट बैरिया से जूरनछपरा-कंपनीबाग-सरैयागंज-पुरानीबाजार नाका-पक्कीसराय से लेप्रोशी मिशन तक 9.5 किमी की लंबी लाइन लगी थी.
कंपनीबाग मस्जिद के पास बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने भाग लिया. कलेक्ट्रेट के पास नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा, आयुक्त पंकज कुमार, आइजी गणेश कुमार, बीएमपी के डीआइजी क्षत्रनील सिंह, डीएम आलोक रंजन घोष, एसएसपी जयंतकांत सहित कई अधिकारी व कर्मचारी कतार में खड़े थे.
गया : सबने जोश से लिया भाग दिखा मेले जैसा नजारा
गया : मानव शृंखला में गया सहित कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद व नवादा जिले में लोगों ने उत्साह से भाग लिया. औरंगाबाद में 469 किलोमीटर में बनी मानव शृंखला में 12.44 लाख, रोहतास में 524 किलोमीटर में बनी मानव शृंखला में 23.24 लाख, नवादा में 348 किलोमीटर में बनी मानव शृंखला में 9.13 लाख, कैमूर में 302 किलोमीटर में बनी मानव शृंखला में आठ लाख व गया में 516 किलोमीटर में बनी मानव शृंखला में 20.01 लाख लोगों ने हिस्सा लिया. रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में पोस्ट ऑफिस चौराहे को बैलूनों से सजाया गया था.
चौक पर मेला जैसा दृश्य रहा, जहां जिलाधिकारी व एसपी सहित बड़ी संख्या में लोगों ने मानव शृंखला बनायी. औरंगाबाद शहर के जसोइया मोड़ पर कार्यक्रम की शुरुआत जिले के प्रभारी सचिव चैतन्य प्रसाद, डीएम राहुल रंजन महिवाल, एसपी दीपक बरनवाल ने बैलून उड़ा कर की.
भागलपुर : दस लाख से अधिक लोग एकजुट होकर हुए शामिल
भागलपुर : मौसम सुबह से खराब दिख रहा था. सुबह 10.30 बजे जब फुहारें पड़नी शुरू हुई, तो लगा कि मानव शृंखला बन नहीं पायेगी. लेेकिन, 11 बजते-बजते बारिश थम गयी और दुकानों के नीचे, जीरो माइल चौक पर विक्रमशिला सेतु के नीचे, यात्री पड़ाव आदि में खड़े और बस में बैठे बच्चे बाहर निकलने लगे.
देखते ही देखते सड़कों के किनारे हाथ से हाथ जुड़ गये. 11.30 बजे तक शृंखला का निर्माण हो गया था. हालांकि, नवगछिया की ओर से विक्रमशिला सेतु की ओर जीविका दीदियों का आना 11.45 बजे तक जारी रहा. विभिन्न सरकारी व निजी स्कूलों के बच्चे बड़े उत्साह के साथ नारे लगा रहे थे.
समाहरणालय गेट को फूलों से सजाया गया था, तो कमिश्नरी गेट को रंग-बिरंगे बैलून से. सड़क रंगोली व नारे लेखन से सजाये गये थे. जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने विक्रमशिला सेतु पहुंच पथ के किनारे पौधरोपण किया. उन्होंने कहा कि 10 लाख से अधिक लोग जिले की 360 किलोमीटर की मानव शृंखला में शामिल हुए.

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