पटना : जदयू अब संसद में भाजपा का सबसे बड़ा सहयोगी

पटना : एनडीए से शिवसेना के बाहर निकलते ही संसद में जदयू भाजपा का सबसे बड़ा सहयोगी दल बन गया है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीच के कुछ समय को छोड़ दें तो वह 1990 के दशक से भाजपा के साथ हैं. इधर लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान भी मोदी कैबिनेट में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 13, 2019 8:57 AM
पटना : एनडीए से शिवसेना के बाहर निकलते ही संसद में जदयू भाजपा का सबसे बड़ा सहयोगी दल बन गया है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीच के कुछ समय को छोड़ दें तो वह 1990 के दशक से भाजपा के साथ हैं. इधर लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान भी मोदी कैबिनेट में दूसरी पारी खेल रहे हैं.
लोकसभा में 543 सदस्य हैं. लोकसभा में भाजपा के कुल 303 सदस्य हैं. लोकसभा चुनाव के पूर्व एनडीए में कुल 20 सहयोगी दल थे. सदन में एनडीए के सदस्यों की संख्या 352 थी. 18 सांसदों वाली शिवसेना के अलग होने के बाद लोकसभा में एनडीए के सदस्यों की संख्या 334 रह गयी है.
जदयू के 16 सदस्य हैं, इस लिहाज से अब वह सदन में एनडीए की दूसरी बड़ी पार्टी बन गयी है जबकि ओवरऑल वह सातवीं बड़ी पार्टी है. वहीं लोजपा भाजपा की तीसरी बड़ी सहयोगी बन गयी है. लोजपा की लोकसभा में कुल छह सदस्य हैं. लोकसभा में भाजपा की अन्य सहयोगी दलों में पंजाब के शिरोमणि अकाली दल और यूपी के अपना दल (सोनेलाल) के दो- दो सदस्य हैं. अन्य सहयोगी दलों में तमिलनाडु की एआइडीएमके, झारखंड के आजसू, नगालैंड की पार्टी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी और राजस्थान की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के एक-एक सदस्य हैं. इसके अलावा कर्नाटक में भाजपा के समर्थित स्वतंत्र सांसद सुमालाथा भी एनडीए का हिस्सा हैं.
लोकसभा में एनडीए के विरोध में जिन दलों की बड़ी संख्या है उसमें कांग्रेस के 52 सांसद, डीएमके के 24 सदस्य, वाइएसआर कांग्रेस के 22 सदस्य, ऑल इंडिया त्रृणमूल कांग्रेस 22 सदस्य और शिवसेना के 18 सदस्य हो गये हैं. इसके अलावा छोटी पार्टियां हैं, जिनमें से किसी के पास पांच तो किसी के पास तीन और एक सदस्य हैं. संसद में चार निर्दलीय सदस्य भी जीत कर आये हैं.

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