चकाचक बूथ, स्वागत को कर्मी, मगर 60% वोटर ही नहीं आये

पटना : जिले में शहरी क्षेत्रों में जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से कई विशेष केंद्र बनाये गये थे. इको फ्रेंडली वसुंधरा केंद्र, दिव्यांग मतदान कर्मियों की ओर से संचालित सक्षम व अपराजिता केंद्र, केवल महिलाओं की ओर से संचालित किया जाने वाला ऑल वीमेन बूथ. इन केंद्रों पर कई विशेष सुविधाएं दी गयी थी. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 20, 2019 4:23 AM

पटना : जिले में शहरी क्षेत्रों में जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से कई विशेष केंद्र बनाये गये थे. इको फ्रेंडली वसुंधरा केंद्र, दिव्यांग मतदान कर्मियों की ओर से संचालित सक्षम व अपराजिता केंद्र, केवल महिलाओं की ओर से संचालित किया जाने वाला ऑल वीमेन बूथ. इन केंद्रों पर कई विशेष सुविधाएं दी गयी थी. पीने के पानी, रैंप, बच्चों को खेलने के लिए केच, लोगों के बांटने के लिए पौधे से लेकर तमाम सुविधाएं की गयी थीं.

मगर, ये सारे उपाय वोटरों के उत्साह को बढ़ा नहीं पाये. सुबह कुछ मतदान केंद्रों पर हल्की भीड़ दिखी, लेकिन दोपहर में एक-दो वोटर आते रहे. शाम को भी कई केंद्रों पर उतनी भीड़ नहीं हो पायी. इन बूथों पर शाम तक 40 फीसदी वोट भी नहीं पड़े थे.
संत जेवियर हाइस्कूल | 10:51 सुबह
सुबह के 10:51 बजे हैं. स्थान-गांधी मैदान संत जेवियर हाइस्कूल. स्कूल गेट से लेकर मतदान टेबल तक जाने के लिए रेड-कार्पेट बिछायी गयी है. बच्चों के खेलने के लिए बूथ के थोड़ी दूर पर केच भी बना है. दो केंद्र हैं.
मगर उस समय वहां पर महज दस मतदाता भी नहीं आये. सेल्फी जोन पर एक-दो लोग फोटो ले रहे थे. 11:11 बजे के लगभग जिलाधिकारी कुमार रवि अपनी पत्नी रश्मि रेखा के साथ वोट करने पहुंचते हैं.
एएन कॉलेज | 01:00 बजे दोपहर
एएन कॉलेज में पांच दिव्यांग बूथ बनाये गये थे. इनमें एक बूथ दिव्यांग महिलाओं का था. जिसे अपराजिता नाम दिया गया था. बूथ संख्या 26 पर 500 मत में से मात्र 23 लोगों ने एक बजे तक अपने मत का प्रयोग किया था. वहीं इसी भवन के दूसरे केंद्र पर 518 मत में से मात्र 117 लोगों ने वोट किया था. तीसरे बूथ संख्या 76 पर 791 मत में से 170 लोगों ने मतदान किया था.
नूतन राजधानी अंचल कार्यालय
इको फ्रेंडली मतदान केंद्र सबसे अधिक सुंदर बनाये गये थे. इसको वसुंधरा केंद्र का नाम दिया गया था. कुल 13 केंद्रों पर मतदान केंद्र करने वाले लोगों के लिए कई सुविधाएं दी गयी थीं. वोट करने के बाद लोगों को गमला सहित पौधे दिये जा रहे थे. कई जगहों पर नारियल पानी की व्यवस्था भी थी.

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