बिहार : प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए बनाया गया कानून, 7 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ा पायेंगे फीस

पटना : बिहार विधानसभा ने प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा निर्धारित सभी प्रकार की फीस के नियमन के लिए सोमवार को एक विधेयक पारित किया. बिहार निजी स्कूल (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2019 पर सदन में चर्चा के बाद शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार को प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा भारी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 18, 2019 8:04 PM

पटना : बिहार विधानसभा ने प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा निर्धारित सभी प्रकार की फीस के नियमन के लिए सोमवार को एक विधेयक पारित किया. बिहार निजी स्कूल (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2019 पर सदन में चर्चा के बाद शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार को प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा भारी और मनमानी शुल्क वृद्धि के संबंध में अभिभावकों और सामाजिक संगठनों से शिकायतें मिली थीं.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा वसूली जाने वाली हर तरह की फीस को विनियमित करने के लिए और पटना उच्च न्यायालय के अगस्त 2018 में पारित आदेश के आलोक में सरकार ने शुल्क को विनियमित करने के लिए लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक पारित किया है. मंत्री ने कहा, "हम निजी स्कूलों के साथ कोई टकराव नहीं चाहते क्योंकि उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में बहुत सकारात्मक भूमिका निभायी है."

बिहार निजी स्कूल (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2019 के अनुसार पूर्व शैक्षणिक सत्र की तुलना में स्कूल सभी प्रकार के शुल्क में अधिकतम 7 प्रतिशत तक की वृद्धि स्वयं आवश्यकता अनुसार कर सकते हैं. विधेयक के अनुसार सरकार को समय-समय पर सात प्रतिशत की दर को पुनरीक्षित करने का अधिकार होगा.

निजी स्कूल के शुल्क में सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की स्थिति में तथ्यों के साथ उसे वृद्धि का औचित्य दर्शाना होगा और स्कूल द्वारा सात प्रतिशत से अधिक कोई भी वृद्धि शुल्क विनियमन समिति की विस्तृत जांच के एवं मंजूरी के अधीन होगी. शुल्क विनियमन समिति का गठन प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में की जायेगी और उसके सदस्य सचिव क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक तथा सदस्यों में प्रमंडलीय मुख्यालय के जिला शिक्षा पदाधिकारी, प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा नामित जिलों के निजी विद्यालयों के दो प्रतिनिधि एवं दो अभिभावक होंगे.

निजी विद्यालय के लिए बनायेगये इस अधिनियम और इसके अधीन बनायी गयी नियमावली और अधिसूचना के किसी प्रावधान का उल्लंघन करने पर प्रथम अपराध के लिए अधिकतम एक लाख रुपये एवं अगामी प्रत्येक अपराध के लिए दो लाख रुपये तथा निर्धारित दंड एक माह के भीतर नहीं जमा करने अथवा बार-बार नियमों का उल्लंघन के लिए दोषी पाये जाने की स्थिति में निजी विद्यालय अथवा सहायता पाने वाले विद्यालय की मान्यता अथवा संबंधन रद्द करने के लिए प्रमंडलीय आयुक्त सरकार को अनुशंसा करेंगे.

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