राजद के इस मांग का CM नीतीश ने किया समर्थन, जानें… क्या है मामला

पटना : सामान्य वर्ग को आरक्षण दिये जाने के फैसले के बीच बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराये जाने की मांग छेड़ दी है. उन्होंने कहा कि 2021 में जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. आगामी लोकसभा को लेकर नीतीश कुमार की यह मांग काफी अहम है. बिहार में जेडीयू […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 21, 2019 3:35 PM

पटना : सामान्य वर्ग को आरक्षण दिये जाने के फैसले के बीच बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराये जाने की मांग छेड़ दी है. उन्होंने कहा कि 2021 में जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. आगामी लोकसभा को लेकर नीतीश कुमार की यह मांग काफी अहम है. बिहार में जेडीयू की विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) पूर्व में की गयी जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठाती रही है. उन्होंने कहा कि 1931 के बाद देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है. इसलिए किस जाति की कितनी संख्या है और क्या सामाजिक हालत है वो जातिगत जनगणना से ही पता चल सकता है.

इसके साथ ही राजद के बाद अब जदयू भी ओबीसी के अंतर्गत जातियों के लिए नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में कोटा बढ़ाने की मांग का समर्थन किया है. बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि संख्या बढ़ाने की मांग सही है और मुझे इस मांग पर कोई ऐतराज नहीं है. नीतीश कुमार सोमवार को लोक संवाद कार्यक्रम के बाद पत्रकार वार्ता में इस बात को दोहराया कि जाति के आबादी के अनुरूप अगर आरक्षण हो जाये तो इससे अच्छी कोई बात नहीं. उन्होंने माना कि फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के कारण जिसमें आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक सीमित कर दी गयी है उसके बाद अभी भी भारी कठिनाई है.

विदित हो कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने जमकर जातिगत जनगणना रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठायी थी. हाल ही में जब केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को शिक्षा और रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया तो आरजेडी ने एक बार फिर से जातिगत जनगणना रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी. आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सवाल किया कि केंद्र सरकार आखिर जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है? दरअसल, आरजेडी और अन्य कुछ पार्टियों का कहना है कि जातिगत जनगणना संबंधी रिपोर्ट आने से ओबीसी, एससी, एसटी का आरक्षण दायरा बढ़ेगा.

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