साढ़े पांच हजार कॉमन सर्विस सेंटर के जरिये ग्रामीणों को दी जायेगी इंटरनेट की सुविधा

पटना : बिहार प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा की ओर से मीडिया, सोशल मीडिया पर आयोजित कार्यशाला के उद्धाटन सत्र को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ग्रामीणों को केंद्र और राज्य की योजनाओं व अन्य लाभ दिलाने के लिए शीघ्र ही राज्य के 5.5 हजार कॉमन सर्विस सेंटर के जरिये […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 25, 2018 5:48 PM

पटना : बिहार प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा की ओर से मीडिया, सोशल मीडिया पर आयोजित कार्यशाला के उद्धाटन सत्र को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ग्रामीणों को केंद्र और राज्य की योजनाओं व अन्य लाभ दिलाने के लिए शीघ्र ही राज्य के 5.5 हजार कॉमन सर्विस सेंटर के जरिये इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. राज्य के पॉलिटेक्निक कॉलेजों को भी मुफ्त वाई-फाई की सुविधा दी जायेगी. भाजपा कार्यकर्ता केंद्र और राज्य की योजनाओं का फेसबुक, ट्विटर पर प्रचार करें तथा विरोधियों को शालीन भाषा व तथ्यों के साथ पूरी मजबूती से जवाब दें. अगले चुनाव से पहले बूथ स्तर पर व्हाट्सएप गुप बना कर मतदाताओं से संपर्क करें.

मोदी ने कहा कि 245 करोड़ की लागत से बिहार के 300 से ज्यादा डिग्री व पीजी संस्थानों को मुफ्त वाई-फाई की सेवा दी गयी है. छात्रों से अपील की कि वे मुफ्त वाई-फाई सुविधा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें. फ्री वाई फाई सेवा के लिए निबंधित 1.4 लाख छात्रों में से मात्र 17 हजार ही इस्तेमाल करते हैं.

भारत नेट के तहत कॉमन सर्विस सेंटर के लिए प्रथम चरण में बिहार की 6,105 ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइवर बिछाया जा चुका है, जबकि दूसरे चरण में इस साल दिसंबर तक शेष बची पंचायतों में भी बिछा दी जायेगी. ग्रामीणों को इंटरनेट के जरिये विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ना, जाति, आय प्रमाणपत्र सहित अन्य ऑनलाइन सेवाओं का लाभ देना इसका मकसद है. देश की 1.80 लाख पंचायतों में कॉमन सर्विस सेंटर खोला जा चुका है. 2014 में जहां देश में मात्र 6 करोड़ ब्रॉड बैंड के उपभोक्ता थे, वहीं अब बढ़ कर 41 करोड़ हो चुके हैं. बिहार में आठ करोड़ से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता हैं.

मोदी ने कहा कि डिजिटल लेन देन को बढ़ावा देने के साथ ही सरकारी योजनाओं को लाभार्थियों के आधार से जोड़ा जा रहा है. देश में डीबीटी के जरिये 30 करोड़ लोगों को राशि हस्तांतरित की गयी है, जिससे 90 हजार करोड़ की बचत हुई है.

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