बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और जदयू नेता उदय नारायण चौधरी ने छोड़ी पार्टी, कहा- साल भर से…

पटना : बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और जदयू के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने अचानक जदयू से किनार कर लिया है. उन्होंने बुधवार को मीडिया के सामने इसकी घोषणा की और पार्टी नेतृत्व पर सवाल भी खड़े किये. उन्होंने कहा कि मैंने जदयू को छोड़ने का एलान किया है. चौधरी का कहना है […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 2, 2018 11:33 AM

पटना : बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और जदयू के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने अचानक जदयू से किनार कर लिया है. उन्होंने बुधवार को मीडिया के सामने इसकी घोषणा की और पार्टी नेतृत्व पर सवाल भी खड़े किये. उन्होंने कहा कि मैंने जदयू को छोड़ने का एलान किया है. चौधरी का कहना है कि साल भर से ज्यादा वक्त से जदयू में मेरी बात नहीं सुनी जा रही थी और बिहार में दलितों के साथ हो रहे व्यवहार की वजह से मैंने यह फैसला लिया है. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं गत पांच छह महीने से, जो गड़बड़िया चल रही थी, उसके बारे में पार्टी को आगाह कर रहा था. पार्टी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. यहां तक दलितों का आरक्षण समाप्ति के कगार पर हो गया है. छात्रवृत्ति को समाप्त कर उसे क्रेडिट कार्ड में बदल दिया गया. उन्होंने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण समाप्त कर दिया गया. दलितों को लेकर पार्टी की ओर से कोई बयान नहीं आ रहा है.

उन्होंने कहा कि मैं जदयू में 20 साल से था. उसको सींचने और बनाने में हमारी भूमिका रही है लेकिन जदयू के कार्यकर्ताओं के मनोबल को कुचलकर धनकुबेरों को आगे बढ़ाया जा रहा है और प्राथमिकता दी जा रही है, दलितों के अधिकार को कुचला जा रहा है. महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ गयी हैं. हाल ही में जहानाबाद की घटना देखने को मिली है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसके साथ ही दलित छात्रों की छात्रवृत्ति बंद कर दी गयी और दलित उत्पीड़न अधिनियम में बारे में सरकार चुप है.

प्रोन्नति में आरक्षण (दलितों को) को समाप्त कर दिया गया है जिससे दलित समुदाय के कर्मी प्रोन्नति के मामले में पिछड़ गए हैं. न्यायपालिका में आरक्षण नहीं है, इस पर सरकार कुछ नहीं बोल रही है. इन सभी कारणों से मैं इतना आहत हूं कि आज और अभी से जदयू की प्राथमिक सदस्यता छोड़ता हूं. यह पूछे जाने पर कि क्या इन मुद्दों को लेकर उन्होंने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात की थी, इस पर चौधरी ने कहा कि आज से चार-पांच महीने पहले कई बार उनसे बात की लेकिन उन्होंने कोई पहल नहीं की. किसी बैठक में मुझे नहीं बुलाया गया. मेरी आवश्यकता वह नहीं समझते इसलिए जदयू से इस्तीफा देता हूं. चौधरी ने दावा किया जदयू से और भी लोग निकलने वाले हैं. वहीं जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने चौधरी के पार्टी छोड़ने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार जी ने उन्हें लंबे समय तक बिहार विधानसभा का अध्यक्ष बनाकर सम्मान दिया.

गौरतलब हो कि उदय नारायण चौधरी पिछले कई दिनों से अपनी ही पार्टी समेत सीएम नीतीश कुमार से नाराज चल रहे थे. वो सरकार के खिलाफ लगातार बगावती तेवर अपनाये हुए थे. मंगलवार को उन्होंने दलितों के समर्थन में एक मार्च भी निकाला था जबकि पटना में हुए यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में भी उनकी सक्रियता दिखी थी. हाल के दिनों में उदय नारायण चौधरी ने कई बार जदयू से इतर जाकर पार्टी के खिलाफ बयान भी दिये थे, तभी से यह कयास लगाया जा रहा था कि चौधरी बहुत ज्यादा दिनों तक जदयू में नहीं टिकेंगे. यही हुआ, वह लगातार पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बयान देने के बाद आज उन्होंने जदयू से किनारा कर लिया. उसके बाद उन्होंने शरद यादव के साथ जाने के सवाल पर कहा कि मुझे बुलाया जायेगा, तो मैं जाऊंगा. शरद यादव के स्टैंड की मैंने तारीफ की है. मैं शरद यादव के साथ हूं.

इससे पूर्व एक अप्रैल को जदयू नेता उदय नारायण चौधरी ने बागी तेवर दिखाए थे और बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि बिहार के हालात ठीक नहीं हैं और जल्द यहां राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए. उन्होंने बीजेपी आरएसएस पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि इन लोगों ने ही बिहार में ऐसी स्थिति ला दी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि तेजस्वी में वो क्षमता है कि वो बिहार के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं. उन्होंने कहा था कि तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनने से कोई ताकत नहीं रोक सकती. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा था कि बिहार की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. ऐसे में बिहार की चिंता करना सबका कर्तव्य है. इस तरह तो चुप नहीं रहा जा सकता. उदय नारायण चौधरी के साथ-साथ जदयू के पूर्व प्रदेश युवा अध्यक्ष संतोष कुशवाहा ने भी गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ जदयू छोड़ने की घोषणा की है. उन्होंने पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि अब पार्टी में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है और केवल धन्ना सेठों की पूछ हो रही है.

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