बिहार बजट सत्र : नीतीश कुमार ने कहा, भागलपुर में बनेगा गांगेय डॉल्फिन रिसर्च सेंटर, दिया सदस्यों के प्रश्नों का जवाब
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल और अनुरोध पर ही गांगेय डाॅल्फिन को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था. मुख्यमंत्री ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि गांगेय डाॅल्फिन के संरक्षण व विकास के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्पित है. गांगेय डाॅल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना के लिए सरकार प्रयास कर रही […]
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल और अनुरोध पर ही गांगेय डाॅल्फिन को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था. मुख्यमंत्री ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि गांगेय डाॅल्फिन के संरक्षण व विकास के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्पित है.
गांगेय डाॅल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना के लिए सरकार प्रयास कर रही है. मैं खुद इसकी समीक्षा कर रहा हूं. अगर पटना विश्वविद्यालय में रिसर्च सेंटर की स्थापना के लिए जमीन नहीं मिली तो इसे भागलपुर में स्थापित किया जायेगा.
विधानसभा में अल्पसूचित प्रश्न के जरिये समीर कुमार महासेठ ने गांगेय डाॅल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि रिसर्च सेंटर की स्थापना के लिए 2014 में केंद्र ने 29 करोड़ उपलब्ध करा दिया. इसके बाद भी अब तक इसकी स्थापना नहीं हुई है.
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्वकाल में इससे संबंधित समिति की बैठक हुई थी. मुख्यमंत्री के नाते मैं भी बैठक में था. मैंने ही गांगेय डाॅल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित करने का अनुरोध किया था. जिस तरह बाघों की संख्या से जंगल के बारे में जानकारी मिलती है उसी प्रकार डाॅल्फिन से गंगा की निर्मलता और अविरलता का पता चलता है. रिसर्च सेंटर की स्थापना के लिए पटना विवि में जमीन चिह्नित कर ली गयी है. काफी प्रयास के बाद भी अब तक जमीन नहीं मिली है. अब भी इस दिशा में प्रयास हो रहा है. कुलपति से अनुरोध किया गया है. अगर जमीन नहीं मिलती है तो रिसर्च सेंटर को भागलपुर में स्थापित किया जायेगा.
अल्पसूचित प्रश्न के जरिये ही संजय कुमार सरावगी ने एक शिक्षक वाले स्कूलों का मामला उठाते हुए कहा कि राज्य में 1500 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है, जिस कारण काफी परेशानी होती है. शिक्षा मंत्री की तरफ से उत्तर देते हुए संसदीय कार्यमंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि नौ जनवरी को सभी जिलों को निर्देश दिया गया है. राज्य में जो भी एक शिक्षक वाले स्कूल हैं, वहां शिक्षकों की तैनाती की जा रही है
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राज्य सरकार अपने कोष से देगी वृद्धावस्था पेंशन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा कि वृद्धावस्था पेंशन के लिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है. सभी लाभार्थियों को पेंशन मिलेगी. 29 लाख लाभार्थियों के लिए केंद्र राशि उपलब्ध कराती है. इसके बाद जो बचेंगे उसे राज्य सरकार अपने स्तर से पेंशन की राशि देगी. विधायक अमरेंद्र कुमार पांडे ने तारांकित प्रश्न के जरिये कहा कि गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड में 70 फीसदी लाभार्थी को ही वृद्धावस्था पेंशन का भुगतान हो रहा है.
कई सदस्यों ने कहा कि पूरे बिहार की यह स्थिति है. समाज कल्याण मंत्री इसका उत्तर दे ही रही थीं कि मुख्यमंत्री ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सदन की चिंता में वे भी शामिल हैं. इसके लिए गहन समीक्षा हुई है. समीक्षा यात्रा के दौरान भी यह बात सामने आयी थी. उन्होंने कहा कि उनके स्तर पर की गयी समीक्षा में यह बात सामने आयी कि राज्य में 56 लाख से अधिक वृद्धावस्था पेंशन के लाभार्थी हैं लेकिन केंद्र सरकार ने तय कर रखा है कि वह 29 लाख के लिए ही राशि उपलब्ध करायेगी. इसके बाद निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार अपने स्तर से बचे लाभार्थियों को पेंशन उपलब्ध करायेगी. अब भी करा रही है. बजट में भी इसके लिए प्रावधान किया गया है.
वहीं, कुमार सर्वजीत ने गया में क्लोन चेक के जरिये कल्याण विभाग से 9.63 लाख की जगह 2.37 करोड़ से अधिक की निकासी का मामला उठाया. इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में गया के डीएम के निर्देश पर वहां के डीडीसी ने जांच की.
इस मामले में वहां के जिला कल्याण पदाधिकारी मृत्युजंय कुमार सिंह, नाजिर सहित अन्य कर्मचारियों के खिलाफ पांच मार्च को प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. इसके अलावा ललन पासवान ने रोहतास के नोहट्टा में पाॅलिटेक्निक काॅलेज खोलने, जीवेश कुमार ने दरभंगा से घोघराहा तक बस चलाने, श्याम रजक ने संजय गांधी जैविक उद्यान में गैंडा प्रजनन केंद्र को चालू करने व वाईपास में लगने वाले जाम का मामला उठाया.
सीएम क्षेत्र विकास योजना की होगी ऑनलाइन मॉनीटरिंग
पटना : मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत अब सभी योजनाओं और इनके क्रियान्वयन के लिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग की व्यवस्था की जा रही है. यह जानकारी योजना एवं विकास मंत्री ललन सिंह ने विधान परिषद में दी. वह रीना देवी के ध्यानाकर्षण का जवाब दे रहे थे.
इसके लिए विभागीय वेबसाइट पर एक खास कॉलम तैयार किया जा रहा है, जिस पर किसी विधायक की तरफ से किसी योजना की अनुशंसा करते ही इसे वेबसाइट पर देखी जा सकती है. अगर योजना स्वीकृत हुई, तो इसकी जानकारी भी वेबसाइट पर मिलेगी. योजना स्वीकृत नहीं भी हुई, तो यह भी वेबसाइट पर दिखेगी और इसका कारण भी इस पर अंकित रहेगा, जिससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि आखिर किस वजह से योजना स्वीकृत नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत विधानमंडल के सदस्यों की अनुशंसा पर योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति जिला स्तर पर सहायक योजना पदाधिकारी और जिला योजना पदाधिकारी के माध्यम से दी जाती है. योजनाओं का कार्यान्वयन कार्यपालक अभियंता, स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन की तरफ से कराया जाता है.
सीएम क्षेत्र विकास योजना के तहत पूरी हुई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन विधानमंडल सदस्य से कराने के लिए विभाग की तरफ से समय-समय पर मार्गदर्शन सभी जिला योजना पदाधिकारी और कार्यपालक अभियंता, स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन को दिये जाते हैं. अब तक विभाग को ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है, जिसमें किसी सदस्य को किसी योजना के उद्घाटन में नहीं बुलाने का मामला सामने आया हो. योजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन से संबंधित तीन प्रमुख निर्देश जारी किये गये हैं.
ये हैं प्रमुख निर्देश
योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति के साथ सदस्यों से शिलान्यास के लिए एकरारनामे की तिथि से एक सप्ताह में सहमति प्राप्त कर ली जाये. सदस्यों की व्यस्तता की स्थिति में एक सप्ताह के बाद योजनाओं का कार्य खुद प्रारंभ कर लिया जाये.
पांच लाख रुपये तक की राशि की योजना का शिलान्यास या उद्घाटन में से एक कार्यक्रम ही कराया जायेगा.
अनेक योजनाओं का संयुक्त रूप से शिलान्यास या उद्घाटन भी कराया जा सकता है.
मोतिहारी चीनी मिल की जमीन को डीएम के स्तर पर बेचने के मामले की होगी जांच
विधान परिषद में गन्ना उद्योग मंत्री खुर्शीद अहमद ने कहा कि मोतिहारी चीनी मिल की जमीन को डीएम के स्तर पर बेचने की शिकायत मिली है.
इस मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पायेगी. परिषद में इस बात के सामने आने पर विपक्षी दल के सभी सदस्य हंगामा करने लगे और इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग करने लगे. इस पर उप-सभापति ने कहा कि कोशिश करें कि इस मामले की रिपोर्ट चालू सत्र में ही पेश कर पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी जाये. मंत्री सतीश कुमार के ध्यानाकर्षण का जवाब दे रहे थे. इसमें मोतिहारी और चकिया चीनी मिल को फिर से आधुनिक रूप से स्थापित करने का मामला उठाया गया था. मंत्री ने कहा कि सरकार के स्तर पर इन चीनी मिलों को नये सिरे से स्थापित करने की कोई योजना नहीं है. अगर इसके लिए किसी निजी कंपनी का प्रस्ताव आता है, तो सरकार उस पर गंभीरतापूर्वक विचार करेगी. इसके लिए कंपनियों को प्रोत्साहन पैकेज भी दिया जायेगा.
राज्य में बनेंगे 232 नये हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर
राज्य सरकार स्वास्थ्य केंद्रों को हर तरह से सुविधा युक्त बनाने के लिए इसे हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के तौर पर विकसित करने की कवायद शुरू हो गयी है. इसके तहत 232 नये हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया गया है.
अनुमति प्राप्त होने के बाद इसकी पहल शुरू कर दी जायेगी. विधान परिषद में यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने रामचंद्र भारती के तारांकित प्रश्न के जवाब में दी. उन्होंने कहा कि 411 उप स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाने का निर्णय लिया जा चुका है. इसे बनाने के लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है. अस्पतालों में आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर खासतौर से ध्यान दिया जा रहा है.
वर्तमान में राज्य में तीन हजार 422 सरकारी अस्पताल किराये के मकान में चल रहे हैं. इनके लिए अपना भवन तैयार करने का प्रयास भी चरणबद्ध तरीके से शुरू कर दिया गया है. राज्य में अभी नौ हजार 949 स्वास्थ्य उप केंद्र कार्यरत हैं. इसमें 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक हजार 368 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं.
तंबाकू से मौत में आयी कमी
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि तंबाकू के खिलाफ आम लोगों को जागरूक करने के अभियान और इसे लेकर बनाये गये कानून के कारण इसे सफलता मिलती नजर आ रही है.
ग्लोबल सर्वे की जारी रिपोर्ट के अनुसार, पहले दोनों तरह के तंबाकू खाने और धूम्रपान वाले से होने वाली कैंसर समेत अन्य बीमारियों से लोगों की मौत के प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गयी है. पहले इसका प्रतिशत 53.50 था, जो अब घटकर 25.90 प्रतिशत हो गया है. इसमें धूम्रपान से होने वाली मौत का प्रतिशत 14.20 से घटकर 5.20 प्रतिशत हो गया है. वहीं, चबाने वाले तंबाकू से होने वाली मौत का प्रतिशत 48.70 से घटकर 35.20 प्रतिशत हो गया है.
डॉक्टरों की दोनों समय बनायी जा रही हाजिरी
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की दोनों समय आते और जाते समय हाजिरी बनायी जा रही है. राज्य स्वास्थ्य समिति की तरफ से रोजाना औसतन 100 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में फोन करके डॉक्टरों की उपस्थिति की जांच करायी जाती है.
डॉक्टरों की मौजूदगी को लेकर औचक निरीक्षण भी किया जाता है. डॉक्टरों की समुचित मॉनीटरिंग विभागीय स्तर पर की जाती है. अब तक की जांच में 300 डॉक्टर गैर-हाजिर पाये गये. इनका एक दिन का वेतन और पदोन्नति रोकी गयी है. मंत्री ने कहा कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति की शिकायत राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से जारी 104 नंबर पर की जा सकती है.
