जब CM नीतीश ने छात्रों से कहा, बिहार की नदियों का करें अध्ययन, कैसे आती है नदियों में बाढ़ और क्यों

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनआईटी पटना को बिहार की नदियों का अध्ययन करने को कहा है. रविवार को एनआईटी पटना के पूर्ववर्ती छात्र सम्मेलन में उन्होंने कहा कि एनआईटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई में स्ट्रक्चर कैसे अच्छा बने यह तो बताये ही, प्राकृतिक चीजों व पर्यावरण का भी वह अध्ययन करे. इसके लिए बिहार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 5, 2018 6:00 AM
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनआईटी पटना को बिहार की नदियों का अध्ययन करने को कहा है. रविवार को एनआईटी पटना के पूर्ववर्ती छात्र सम्मेलन में उन्होंने कहा कि एनआईटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई में स्ट्रक्चर कैसे अच्छा बने यह तो बताये ही, प्राकृतिक चीजों व पर्यावरण का भी वह अध्ययन करे. इसके लिए बिहार में गंगा, गंडक, कोसी, सोन समेत अन्य प्रमुख नदियों का वह अध्ययन करे.
यहां की नदियों में बाढ़ क्यों और कैसे आती है, सिल्ट जमा हो रही है या नहीं, पानी का बहाव कैसा है, किस धारा में वह बह रही है, इसका अध्ययन करें. इससे बाढ़ का पूर्वानुमान व नदियों की वास्तविक स्थिति के बारे में पता चल सकेगा और इसका लाभ यहां लोगों को होगा. फिलहाल पुराने आंकड़ों पर ही काम हो रहा है, जबकि वास्तविक स्थिति इससे अलग है.
मुख्यमंत्री ने इसके लिए सरकार की ओर से हर संभव मदद देने का भी एलान किया और कहा कि इससे एनआईटी की खास छवि सामने आयेगी. साथ ही अपडेट और विश्वसनीय डाटा उपलब्ध होगा. उन्होंने कहा कि बिहार में कई नदियों में बाढ़ आती है. बाढ़ के हालात में नये-नये तजुर्बा उभर कर सामने आ रहे हैं.
पिछले साल नेपाल और बिहार में 400-500 मिली लीटर बारिश हुई थी, जिससे लोग प्रभावित हुए थे. गंगा नदी में ही सिल्ट बढ़ता जा रहा है. 2016 में गंगा के दोनों किनारों के कई इलाकों में पानी फैल गया था. गंगा में पानी ज्यादा नहीं था, बल्कि सिल्ट की वजह से पानी का फैलाव हुआ था. गंगा को अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम में रोका गया है. इससे पानी और सिल्ट के बहाव में कमी आयी है.
बिहार में गंगा के प्रवेश के साथ 400 क्यूसेक पानी और फरक्का में गिरने समय 1600 क्यूसेक पानी होना होता है, लेकिन ऐसा सिल्ट के कारण नहीं हो रहा है. बक्सर और चौसा में यह निर्धारित पानी आ भी नहीं रहा है, जिससे गंगा की चौड़ाई घट गयी है. नदियों के अध्ययन को लेकर आर्यभट विश्वविद्यालय में रिवर स्टडी को लेकर कोर्स शुरू होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार में बाढ़ के साथ-साथ सूखा, अगलगी, भूकंप जैसी आपदाएं भी आती हैं. भूकंप का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता है, लेकिन बिहार में इसकी ज्यादा संभावना रहती है. इन सब पर भी एनआईटी का सहयोग राज्य सरकार लेगी. समारोह में पद्मभूषण वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा, एनआईटी के निदेशक पीके जैन, गिरीश कुमार चौधरी समेत अन्य मौजूद थे.
पटना एनआईटी बने सर्वश्रेष्ठ एनआईटी
मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना एनआईटी देश का सर्वश्रेष्ठ एनआईटी बने, इसी उद्देश्य से काम करना चाहिए. रुड़की के बाद पटना एनआईटी (बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग) में इंजीनियरिंग की बेहतरीन पढ़ाई होती थी. अब रुड़की आईआईटी हो गया है तो पटना एनआईटी को देश का सर्वश्रेष्ठ एनआईटी बनाया जा सकता है.
जमीन व पैसे दे दिये गये हैं, नये कैंपस को विकसित कीजिए
सीएम ने एनआईटी के निदेशक से कहा कि एनआईटी के नये कैंपस को जल्द-से-जल्द विकसित किया जाये.
नये कैंपस के लिए 125 एकड़ जमीन दे दी गयी है और केंद्र सरकार ने भी 500 करोड़ रुपये दे दिये हैं. वहां 6000 की क्षमता वाली बिल्डिंग का निर्माण कराया जाये. इसके लिए अगर केंद्रीय मंत्री से आग्रह करने की बात होती, तो मैं खुद मजबूती से करूंगा. वर्तमान में एनआईटी का कैंपस इसके लिए काफी नहीं है. यहां 500 सीटों से बढ़ कर 3500 सीटें हो गयी हैं. मुख्यमंत्री ने एनआईटी की मुख्य बिल्डिंग को धरोहर के रूप में रखने की भी सलाह दी.
हमारे समय नहीं पढ़ती थीं लड़कियां
नीतीश कुमार ने 60 साल, 50 साल और 25 साल पहले पास हुए लोगों को सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि हमलोगों के समय छात्राएं नहीं थीं. अगर कैंपस में कोई छात्रा नजर आ जाती थी तो छात्रों को छोड़िए, शिक्षक भी देखने लगते थे.
इन बिंदुओं पर अध्ययन हो
नदियों में बाढ़ क्यों और कैसे आती है?
इन नदियाें में सिल्ट जमा हो रही है या नहीं?
पानी का बहाव कैसा है, किस धारा में नदियां बह रही हैं?
अध्ययन क्यों जरूरी
राज्य में बाढ़ और सूखा से निबटने के लिए फिलहाल पुराने आंकड़ों पर ही काम हो रहा है, जबकि वास्तविक स्थिति इससे अलग है.
क्या होगा लाभ
बाढ़ का पूर्वानुमान और नदियों की वास्तविक स्थिति के बारे में पता चल सकेगा

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