जू का ऑडिटोरियम मार्च तक बन कर होगा तैयार

पटना : देश के अनेक चिड़ियाघरों से आये तीस से अधिक अधिकारियों के चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद उपमुख्यमंत्री सह पर्यावरण व वन मंत्री सुशील कुमार मोदी ने जू के अंदर 100 सीट की क्षमता के निर्माणाधीन ऑडिटोरियम का निरीक्षण व इंटरप्रटेशन सेन्टर तथा ओपन एयर थियेटर के निर्माण की समीक्षा की. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 12, 2017 8:01 AM
पटना : देश के अनेक चिड़ियाघरों से आये तीस से अधिक अधिकारियों के चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद उपमुख्यमंत्री सह पर्यावरण व वन मंत्री सुशील कुमार मोदी ने जू के अंदर 100 सीट की क्षमता के निर्माणाधीन ऑडिटोरियम का निरीक्षण व इंटरप्रटेशन सेन्टर तथा ओपन एयर थियेटर के निर्माण की समीक्षा की.
पूरी तरह से वातानुकूलित ऑडिटोरियम की साज–सज्जा व अन्य कार्यों को मार्च तक पूरा करने का निर्देश दिया. ऑडिटोरिम में वन्य जीवन व पर्यावरण संरक्षण से संबंधित फिल्म दर्शक देख सकेंगे.
श्री मोदी ने जू में आने वाले दर्शकों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी के लिए जू प्रशासन की सराहना करते हुए इसे और बेहत्तर व आधुनिक बनाने के लिए समय सीमा के अंदर अनेक कार्ययोजनाओं को पूरा करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि 2014–15 में 21.85 लाख, 2015–16 में 22.61 लाख वहीं 2016–17 में 29.16 लाख तथा इस साल नवम्बर तक 15 लाख दर्शक जू में आए हैं. 2016–17 में टिकट से 8.51 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ.
श्री मोदी ने चिडि़या घर के रख रखाव के लिए सम्पूर्ण स्वच्छता, पॉलिथीन फ्री परिसर, ऑन लाइन टिकट, वेब पोर्टल, आकर्षक ब्रोशर, ट्रैकलेस टॉय ट्रेन, बैटरी संचालित वाहन, साइकिल, कैंटीन आदि की बेहतर व्यवस्था करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि प्रत्येक इनक्लोजर के बाहर संबंधित जानवर के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदर्शित की जाए. म्युजियम की तरह चिडि़या घर में भी गाइड की नियुक्ति की जायेगी जो दर्शकों को वहां के जानवरों के बारे में विस्तार से बतायेगा.
इन बातों की जानकारी
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों द्वारा पदाधिकारियों को चिड़ियाघरों का आधारभूत प्रशासकीय व्यवस्था का संचालन, उपचार चिकित्सा हेतु जानवरों को पकड़ना, प्रजनन के लिए जानवरों की पहचान और उन्हें प्राकृतिक पर्यावरण में रखना, जानवरों का स्वास्थ्य प्रबंधन, संकटग्रस्त जीव जंतुओं का संरक्षण, जानवरों का आदान प्रदान, अभिलेखों का संधारन, आपदा प्रबंधन, दर्शकों की सुविधा, भविष्य में चिड़ियाघरों की भूमिका आदि के बारे में बताया जा रहा है.

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