बिहार : शरद की राज्यसभा सदस्यता खतरे में, जानबूझकर सदस्यता बचाने के लिया ”तीर” पर ठोका था क्‍लेम

जदयू के चुनाव चिह्न ‘तीर’ पर नीतीश कुमार के नेतृत्ववाली पार्टी का कब्जा बरकरार रहेगा. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को यह फैसला दिया. आयोग के इस फैसले से शरद यादव के खेमे का झटका लगा है और इससे शरद की राज्यसभा सदस्यता खतरे में पड़ गयी है. जदयू के महासचिव संजय झा ने कहा कि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 18, 2017 7:19 AM
जदयू के चुनाव चिह्न ‘तीर’ पर नीतीश कुमार के नेतृत्ववाली पार्टी का कब्जा बरकरार रहेगा. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को यह फैसला दिया. आयोग के इस फैसले से शरद यादव के खेमे का झटका लगा है और इससे शरद की राज्यसभा सदस्यता खतरे में पड़ गयी है. जदयू के महासचिव संजय झा ने कहा कि शरद गुट जानबूझकर अपनी सदस्यता बचाने के लिए चुनाव आयोग गया था. जब विधायी और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का बहुमत नीतीश कुमार के साथ है तो फिर किस आधार पर चुनाव आयोग शरद गुट को तीर चुनाव चिह्न देता. झा ने फैसले को न्यायपूर्ण बताया.
नीतीश का जदयू असली शरद गुट का दावा खािरज
चुनाव आयोग : तीर चिह्न नीतीश के पास रहेगा
नयी दिल्ली : दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद चुनाव अायोग ने छोटू भाई वसावा द्वारा अपने धड़े को असली जदयू बताने वाली याचिका को खारिज कर दिया. इस फैसले से शरद यादव के गुट को झटका लगा है और यह भी साफ हो गया है कि असली जदयू का नेतृत्व नीतीश कुमार के हाथ में है.
चुनाव आयोग ने सादिक अली मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि नीतीश धड़े को पार्टी के विधायी और राष्ट्रीय परिषद के अधिकतर सदस्यों का समर्थन है.
ऐसे में पार्टी पर उनका दावा बनता है. नीतीश कुमार के पक्ष में जदयू के 71 विधायक, आठ राज्यसभा के सदस्य, दो लोकसभा के सदस्य और 30 विधान पार्षद हैं. राष्ट्रीय परिषद के 195 में से 138 सदस्यों का समर्थन भी उन्हें हासिल है. दूसरी तरफ विरोधी पक्ष को दो राज्यसभा सदस्य, एक विधायक और एक विधान पार्षद का ही समर्थन हासिल है.
आयोग ने कहा कि छोटू भाई वसावा की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और नीतीश कुमार की ओर से सतीश द्विवेदी ने मौखिक तौर पर अपनी बातें रखीं. चार सुनवाई के बाद दाेनों पक्षों की दलील सुनने के बाद यह फैसला दिया गया है. आयोग ने कहा कि दोनों पक्षों ने गुजरात चुनाव लड़ने की बात कही थी और चुनाव चिह्न तीर देने की मांग की थी. वहां चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है. ऐसे में इस विवाद पर जल्दी फैसला करना जरूरी हो गया था.
गौरतलब है कि बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद से दोनों खेमों के बीच चुनाव चिह्न को लेकर विवाद पैदा हो गया था. आयोग के इस फैसले के बाद गुजरात विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू तीर चुनाव चिह्न पर चुनाव मैदान में उतर सकता है. शरद यादव जिस धड़े का प्रतिनिधित्व कर रहे है, उस गुट का अब जदयू से कोई संबंध नहीं रहा.
चुनाव आयोग का फैसला स्वागतयोग्य है. आयोग ने नीतीश कुमार को पार्टी पदाधिकारियों और विधायक, सांसदों के समर्थन के आधार पर यह आदेश दिया है और इसके लिए पार्टी के कार्यकर्ता बधाई के पात्र हैं.
केसी त्यागी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, जदयू
चुनाव आयोग का आदेश न्यायसंगत नहीं है. आयोग के इस आदेश पर किसी पक्ष विशेष के प्रभाव की स्पष्ट छाप दिखायी देती है. आयोग के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देने सहित अन्य विकल्प खुले है.
अरुण श्रीवास्तव, शरद गुट के नेता

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