बिहार सोनपुर मेला : न हाथियों का मेला, न पक्षियों का बाजार, पर्यटक निराश, लौटे अपने वतन

रविशंकर उपाध्याय सोनपुर : दिन के एक बजे हैं. सुबह की ठंडी हवा अब गरम हो चली थी और यही गर्मी सोनपुर के पर्यटक ग्राम में जापान के टोक्यो से आयी 12 सदस्यीय टीम की लीडर हामासुना मी के चेहरे पर भी दिखायी दे रही थी. वह सभी सदस्यों के साथ मेला क्षेत्र से घूम […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 7, 2017 5:47 AM
रविशंकर उपाध्याय
सोनपुर : दिन के एक बजे हैं. सुबह की ठंडी हवा अब गरम हो चली थी और यही गर्मी सोनपुर के पर्यटक ग्राम में जापान के टोक्यो से आयी 12 सदस्यीय टीम की लीडर हामासुना मी के चेहरे पर भी दिखायी दे रही थी.
वह सभी सदस्यों के साथ मेला क्षेत्र से घूम कर लौटीं, तो उनके लिए इस मेले में कुछ भी नया नहीं था. भारत की आस्थावान भीड़ उन्हें आकर्षित तो करती हैं, लेकिन उस तरह नहीं जो भौंचक्क कर दे. उन्हें ठेठ देसी मेले की खासियत झूले भी नहीं लुभा रहे थे. वह तो आये थे यहां हाथियों का मेला व करतब देखने तथा उसके साथ तस्वीर क्लिक करने, लेकिन पूरे मेले में उन्हें कार्तिक पूर्णिमा को एक छोटा हाथी दिखा, वह भी जाने की तैयारी में था. मेला क्षेत्र में बड़े-बड़े अक्षरों में कई जगह लिखा हुआ है कि हाथी की खरीद-बिक्री नहीं होगी और न ही सार्वजनिक प्रदर्शनी लगेगी.
पक्षी बाजार सूना
विदेशी पर्यटकों का दूसरा बड़ा आकर्षण यहां का पक्षी बाजार था. यहां एक से बढ़ कर एक पक्षी को बिक्री के लिए लाया जाता था, लेकिन इस बार यहां के पक्षी बाजार की चौखट उदास है. पक्षी की बिक्री इस मेले में नहीं हो रही है. पहले की तरह तोते की चटर-पटर और मोर, गौरैया, मैना, साइबेरियन, पहाड़ी मैना, कोयल समेत अनेक पक्षियों के कलरव सुनायी दे रहे हैं.
शाही स्नान में आये तीन हाथी
सारण जिला प्रशासन द्वारा आयोजित शाही स्नान में केवल तीन हाथी लाये गये. वह भी कब आये और गये, पता नहीं चला. इस बार हाथियों की सार्वजनिक प्रदर्शनी नहीं लगायी गयी. वन्यप्राणी पालकों को सख्त आदेश दिया गया है कि पालतू हाथी को अनुमति के बाद केवल सांस्कृतिक प्रयोजन में ही लाया जायेगा. इससे खेल-प्रदर्शनी में भी हाथी का उपयोग नहीं हो रहा है.
हाथी स्नान व दौड़ देखने की इच्छा लिये वापस वतन लौट गये विदेशी सैलानी
दिघवारा : सोनपुर का पशु मेला इन दिनों खूब चर्चा में है. चर्चा मेला में हाथियों की प्रदर्शनी व चिड़िया बाजार पर रोक लगने को लेकर है. इस बार हाथियों की प्रदर्शनी नहीं होने से सबसे ज्यादा निराशा विदेशी सैलानियों को हुई है.
वे लोग मेले में आकर भी हाथियों को नहीं देख पाने के कारण काफी दुखी दिखे. शायद यहीं वजह थी कि इस बार सोनपुर मेले में विदेशी सैलानियों की संख्या महज 20 तक सिमटकर रह गयी. जापान, इटली व नीदरलैंड से जो पर्यटक आये भी तो अपने मन में हाथी स्नान व हाथी दौड़ देखने की अधूरी इच्छा को लेकर अपने वतन को लौट गये.
बिहार राज्य पर्यटक विभाग द्वारा बनाये गये पर्यटक ग्राम में ठहरे विदेशी पर्यटकों ने ‘प्रभात खबर’ के साथ अपने ट्रांसलेटर की मदद से हुई बातचीत में बताया कि उनलोगों को नहाते हुए व घूमते हुए हाथी को नहीं देखने का काफी मलाल है और चिड़िया बाजार को नहीं देख पाने का दुःख भी. उनलोगों ने कहा कि जब मेले में हाथी ही नहीं रहेंगे तो वे लोग सोनपुर क्यों आयेंगे.
हाथियों के नहीं देखने से निराश : एंडो मासायोशी
जापान के ओसाका शहर से पहुंचे 65 वर्षीय एंडो मासायोशी ने प्रभात खबर से अपने को अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि पूर्व में दो बार सोनपुर मेले में आ चुके हैं और यह उनकी तीसरी यात्रा है. मगर इस बार की यात्रा सबसे निराशाजनक रही, क्योंकि वे हाथी को नहाते हुए तस्वीर लेने की उम्मीद से आये थे, जो पूरा नहीं हुआ.

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