बिहार में स्पीड लिमिट डिवाइस लागू नहीं होने से सड़क दुर्घटना में हो रही मासूमों की मौत, पढ़ें

पटना : राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य कमलजीत सोई ने बिहार में स्पीड गवर्नर लगाये बिना वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने का आरोप लगाया है और कहा है कि इस प्रदेश में स्पीड लिमिट डिवाइस एसएलडी नियम लागू न हो पाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में मासूम लोगों की मौत का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 20, 2017 10:47 AM

पटना : राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य कमलजीत सोई ने बिहार में स्पीड गवर्नर लगाये बिना वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने का आरोप लगाया है और कहा है कि इस प्रदेश में स्पीड लिमिट डिवाइस एसएलडी नियम लागू न हो पाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में मासूम लोगों की मौत का सिलसिला जारी है. मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कमलजीत ने आरोप लगाया कि बिहार में स्पीड गवर्नर लगाये बिना वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि इस प्रदेश में स्पीड लिमिट डिवाइस नियम लागू न हो पाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में मासूम लोगों की मौत का सिलसिला जारी है.

उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल 2015 से स्पीड लिमिट डिवाइस लगाया जाना अनिवार्य है और बिहार सरकार ने स्पीड गवर्नर लगाने के संबंध में 25 मई 2016 को उच्चतम न्यायालय में हलफनामा प्रस्तुत किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि स्पीड गवर्नर लगाने के संबंध में उच्चतम न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति के दिशा निर्देशों का बिहार परिवहन विभाग द्वारा अनुपालन नहीं किया जा रहा है. कमलजीत ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में तेजी से वाहन चलाना एक कारण है जिससे 40 से 50 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं होती है.

उन्होंने आरोप लगाया कि इस संबंध में वे बिहार परिवहन विभाग को पत्र लिख चुके हैं पर उसका न तो कोई उत्तर दिया गया और न ही कोई कार्रवाई की गयी. कमलजीत ने कहा कि कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, असम और केरल जैसे राज्यों ने पहले से ही अपने यहां एसएलडी स्कीम लागू करना शुरू कर दिया है केवल एसएलडी लगे वाहनों को फिटनेस जारी किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में एजेंट और एमवीआई स्पीड गवर्नर लगाए बिना वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं क्योंकि राज्य परिवहन विभाग द्वारा एमवीआई अथवा आरटीओ को इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया गया है.

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