बिहार में बाढ़ : घटने लगा जलस्तर, दिखने लगी तबाही, परेशानी बरकरार

प्रभात खबर टोली पटना : कोसी बराज से डिस्चार्ज घटने के साथ ही नदी का जलस्तर घटने लगा है. हालांकि, जलस्तर घटने के बाद भी लोगों की परेशानी कम नहीं हुई है. अररिया-किशनगंज में पानी निकलने के बाद अब तबाही का मंजर दिखने लगा है. कई पुल-पुलिये व पक्के मकान तक ध्वस्त हो गये हैं. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2017 7:28 PM

प्रभात खबर टोली

पटना : कोसी बराज से डिस्चार्ज घटने के साथ ही नदी का जलस्तर घटने लगा है. हालांकि, जलस्तर घटने के बाद भी लोगों की परेशानी कम नहीं हुई है. अररिया-किशनगंज में पानी निकलने के बाद अब तबाही का मंजर दिखने लगा है. कई पुल-पुलिये व पक्के मकान तक ध्वस्त हो गये हैं. सहरसा, सुपौल, मधेपुरा में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. पूर्णिया के एनएच पर हजारों बाढ़पीड़ित शरण लिये हुए हैं. पूर्णिया के अलग-अलग प्रखंडों में बाढ़ के पानी में डूबने से पांच लोगों की मौत हो गयी. चूनापुर एयरबेस से प्रमंडल के सभी चार जिले में सूखा राशन पैकेट की एयर ड्रॉपिंग की जा रही है.

कटिहार में बाढ़ की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है. शुक्रवार को भी बाढ़ का पानी कई नये इलाके में प्रवेश कर गया है. हालांकि महानंदा नदी के जलस्तर में कमी की वजह से उस इलाके में पानी थोड़ा कम हो रहा है. बाढ़पीड़ितों की स्थिति जस-की-तस है.बाढ़ का पानी दूसरे इलाके में तबाही मचा रहा है. बाढ़ से एक दर्जन से अधिक प्रखंड प्रभावित हैं. अब तक 30 लोगों से अधिक की मौत हो चुकी है. जबकि, 15 लाख से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. शुक्रवार को फलका, हसनगंज, कोढ़ा, मनिहारी, मनसाही, कटिहार शहरी क्षेत्र के नये इलाके में बाढ़ का पानी प्रवेश करने से अफरा-तफरी की स्थिति मची हुई है. बाढ़ का पानी कटिहार-पुर्णिया मुख्य पथ के भसना के पास सड़क पर पानी बह रहा है. राजबाड़ा के पास सड़क संपर्क भंग हो चुका है. हसनगंज प्रशासन ने 142 राहत शिविर चलाने का दावा किया है.

पूर्णिया में बाढ़ की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है. हालांकि जलस्तर में लगातार कमी हो रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में घरों में अब भी बाढ़ का पानी फैला है और बड़ी संख्या में आज भी लोग अपने घरों में कैद हैं. प्रशासनिक स्तर पर बचाव और राहत के कार्य भी जारी हैं. जिला मुख्यालय के कुछ निचले हिस्से में भी पानी फैलने से परेशानी बरकरार है. बताया जाता है कि जिले के 135 पंचायत के 732 गांव की 10 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित है. सरकारी आंकड़ा के अनुसार अब तक 09 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि गैर सरकारी आंकड़े के अनुसार लगभग दो दर्जन लोगों की मौत शुक्रवार तक हो चुकी है. जिले के 08 बाढ़ प्रभावित प्रखंड में 123 राहत शिविर का संचालन किया जा रहा है.

सहरसा में पानी घटने के बाद भी तटबंध के अंदर की परेशानी अभी कम नहीं हुई है. पानी घटने के बाद अब कटाव का खतरा मंडराने लगा है. जबकि सर्वाधिक प्रभावित सलखुआ प्रखंड में परेशानी बढ़ती जा रही है. इधर सुरसर नदी के उफनाने से सौरबाजार, सोनवर्षा, पतरघट व बनमा इटहरी में फैले पानी से लोगों को अभी राहत नहीं मिली है. घर-घर पानी प्रवेश कर जाने से समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. लोग नाव व राहत के लिए सड़क जाम कर रहे हैं तो नेता अधिकारियों का घेराव व प्रदर्शन में जुट गए हैं.

सुपौल जिले के सात प्रखंड बाढ़ के कुल 90 गांव बाढ़ से प्रभावित है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है. जिला प्रशासन द्वारा कुल 133 सरकारी तथा 52 निजी नावों के अतिरिक्त दो मोटर वोट का भी परिचालन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कराया जा रहा है. बाढ़ का पानी घटने के बाद अब कटाव शुरू हो गया है. मरौना के कई गांव कटाव की चपेट में हैं. घोघड़िया पंचयात स्थित वार्ड नंबर 11, 12 व 13 के हरिजन टोला खुखनहा में अब तक 25 परिवारों का घर कोसी की तेज धारा में विलीन हो चुका है. त्रिवेणीगंज मुख्यालय स्थित मेला ग्राउंड से सटे चिलौनी नदी पर बने पुल के ध्वस्त होने से हजारों की आबादी का आवागमन प्रभावित हो गया है.

मधेपुरा में एनएच 107 पर मीरगंज के पास उसी जगह पानी लगातार बह रहा है, जहां 2008 में पानी ने सड़क को भीषण रूप से काट दिया था. उधर आलमनगर और चौसा में कोसी अपना रौद्र रूप दिखा रही है. लगातार बढ़ता पानी लोगों को बेदम किए हुए है. आलमनगर के रतवारा, सोनामुखी, सुखार घाट, गंगापुर आदि क्षेत्रों की स्थिति गंभीर है. कोसी के कटाव का शिकार हो चुके गांव मुरौत के विस्थापित फिर से विस्थापन के लिए बाध्य हैं. चौसा के फुलौत में भी स्थिति ठीक नहीं है. ग्वालपाड़ा के भालुआहि के पास एन एच 106 कट गया. कुमारखंड में सुरसर का पानी कई गांव में पसरा हुआ है.

किशनगंज में महानंदा, कनकई, बूढ़ी कनकई, रतुआ, मेची, डोक के जलस्तर में कमी आने के बावजूद बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्थिति गंभीर बनी हुई है. विस्थापन के पांच दिनों बाद सरकारी राहत व्यवस्था महज एक खानापूर्ति साबित हो रहा है.

अररिया में भी पानी कमा है. बाढ़ के कारण आवागमन की समस्या पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है. यही कारण है कि बिचौलिये सक्रिय हो गये हैं. बाढ़ पूर्व 10 रुपये प्रति किलो बिकने वाला आलू 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. चीनी 45 की जगह 60 रुपये में बिकने लगा है. इधर, जिला प्रशासन के द्वारा राहत शिविर चलाया जा रहा है लेिकन बाढ़पीड़ितों की संख्या के आगे शिविर नाकाफी है.

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