नालंदा के रेलकर्मी, उसकी पत्नी और बच्चे की संदिग्ध हालत में मौत, रेलवे क्वार्टर में ही बरामद हुआ शव

रेलकर्मी के मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है. पुलिस का कहना है कि या तो परिवार ने जहर खाकर जान दे दी है या फिर अंगीठी जलने की वजह से दम घुट गया है. पुलिस ने अब तक जो जांच की है, उसमें घर से कोई सामान गायब नहीं पाया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 1, 2023 9:34 PM

वाराणसी के काशी स्टेशन पर तैनात नालंदा जिला निवासी रेलकर्मी, उनकी पत्नी और ढाई साल के बेटे की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गयी. मृतकों में राजीव रंजन पटेल (33 वर्ष), उनकी पत्नी अनुपमा और बेटा हर्ष शामिल है. राजीव काशी स्टेशन पर इएसएसम के पद पर तैनात थे. रविवार की सुबह हेल्पर जब आइपी रूम की चाबी लेने के लिए उनके आवास पर पहुंचा, तो मामले की जानकारी हुई. घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय थाने की पुलिस मौके पर पहुंच कर जांच-पड़ताल में जुट गयी. बाद में फॉरेंसिक टीम ने भी मौके पर पहुंच कर जांच की.

रेलवे क्वार्टर में तीनों की हुई मौत

बताया जाता है कि राजीव काशी रेलवे स्टेशन के बगल में ही रेलवे क्वार्टर संख्या 29 डी में अपने परिवार के साथ रहते थे. रविवार की सुबह राजीव रंजन पटेल की ड्यूटी थी. उनके स्टेशन नहीं पहुंचने पर हेल्पर संतोष कुमार सहनी उनके आवास पर पहुंचा. काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी कोई नहीं बोला, तो घर के अंदर चला गया. कमरे में बेड पर मच्छरदानी लगी हुई थी और उस पर राजीव, उनकी पत्नी और बेटा सोये हुए थे. तीनों के मुंह से झाग निकल रहा था. रूम में अंगीठी जल रही थी. इसके बाद हेल्पर ने इसकी सूचना अधिकारियों को दी.

मौत का कारण स्पष्ट नहीं

रेलवे के पदाधिकारियों की सूचना पर घटनास्थल पर आदमपुर थाना की पुलिस पहुंची. साथ ही काशी जोन के एडीसीपी राजेश कुमार पांडेय भी पहुंचे गये. उन्होंने बताया कि मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है. या तो परिवार ने जहर खाकर जान दे दी है या फिर अंगीठी जलने की वजह से दम घुट गया है. उन्होंने बताया कि रेलकर्मी के परिजनों को भी सूचना दी गयी है. परिजन घर से रवाना हो गये हैं. पुलिस ने अब तक जो जांच की है, उसमें कोई सामान गायब नहीं पाया.

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चार बहनों में इकलौते भाई थे राजीव

मृत राजीव चार बहनों में इकलौते भाई थे. सभी बहनों की शादी हो चुकी है. बीते वर्ष फरवरी में ही वाराणसी ट्रांसफर होकर आये थे. मृत राजीव रंजन पटेल के चचेरे भाई विजय कुमार बनारस में ही रेल इंजन कारखाना परिसर में रहते हैं. उनका कहना है कि रात तक सब कुछ सही था. सुबह में यह मनहूस खबर मिली.

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