उत्तर बिहार में अब होगी एईएस पीड़ितों की जांच, 12 सदर अस्पतालों में लगी इलेक्ट्रोलाइट एनेलाइजर मशीन

एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोंम (एईएस) पीड़ितों की जांच के लिये अब उत्तर बिहार के लोगों को अपने बच्चों को लेकर एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड नहीं आना होगा. वह अपने ही जिलों के सदर अस्पताल में एइएस पीड़ित बच्चों की जांच करा सकेंगे.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 19, 2022 3:14 PM

कुमार दीपू. मुजफ्फरपुर. एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोंम (एईएस) पीड़ितों की जांच के लिये अब उत्तर बिहार के लोगों को अपने बच्चों को लेकर एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड नहीं आना होगा. वह अपने ही जिलों के सदर अस्पताल में एइएस पीड़ित बच्चों की जांच करा सकेंगे. इलेक्ट्रोलाइट एनेलाइजर मशीन उत्तर बिहार के सदर अस्पताल में लगायी गई हैं. स्वास्थ्य विभाग ने एईएस प्रभावित 12 जिलों के जांच घर में मशीन लगा दिया हैं.

यहां लगी मशीनें 

मशीन मुजफ्फरपुर, पटना, गोपालगंज, सारण, सीवान, दरभंगा, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी व वैशाली के सदर अस्पताल में लगायी गई हैं. जहां एईएस पीड़ित मरीज की तत्काल जांच की जा सकेगी. स्वास्थ्य विभाग द्वारा एईएस के प्रभाव वाले क्षेत्रों में मशीन की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए इसे लगाया गया हैं. जानकारी के अनुसार अस्पतालों को दवा एवं उपकरण की आपूर्ति करने वाली संस्था बिहार मेडिकल आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) द्वारा इलेक्ट्रोलाइट एनेलाइजर मशीन लगायी हैं.

एईएस पीड़ितों की सीरम इलेक्ट्रोलाइट जांच है अनिवार्य

एईएस पीड़ितों के इलाज को लेकर राज्य सरकार द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का निर्धारण किया गया है. इस एसओपी के तहत एईएस पीड़ित का सीरम इलेक्ट्रोलाइट जांच किया जाना अनिवार्य है. इस जांच के माध्यम से ही मरीज की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जाता है और उसके अनुसार आवश्यक दवाएं दी जाती है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इलेक्ट्रोलाइट एनेलाइजर मशीन की खरीद होने से उसका उपयोग सामान्य दिनों में सदर अस्पताल में भर्ती बच्चों के इलाज के दौरान भी किया जा सकेगा.

क्या है इलेक्ट्रोलाइट जांच

इलेक्ट्रोलाइट रक्त में पाए जाने वाले तत्व हैं, जैसे कि सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड और बाइकार्बोनेट, इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट इस बात को निर्धारित करता है कि कहीं हमारे खून में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित तो नहीं हैं. कभी-कभी एक नियमित शारीरिक जांच के दौरान भी इस टेस्ट को किया जाता है. इलेक्ट्रोलाइट्स की जांच रक्त या मूत्र परीक्षण से की जा सकती है. रक्त परीक्षण रक्त के नमूने के साथ किया जाता है.

क्या कहते अधिकारी

सदर अस्पताल में इलेक्ट्रोलाइट एनेलाइजर मशीन लगाये गये हैं. टेक्नीशियन के आने के बाद से यहां एइएस पीड़ित बच्चों की जांच शुरू हो जायेगी. इसके लिये मुख्यालय को लिखा गया हैं.

डॉ उमेश चंद्र शर्मा, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल

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