शराबबंदी के बाद : शादी के तीन दशक बाद आयी किरण के जीवन में रोशनी
मुजफ्फरपुर : घर, परिवार और गृहस्थी. किरण के लिए दो साल पहले तक इन शब्दों के कोई मायने नहीं थे. पति-पत्नी के अलावा दो बेटे और दो बेटियों का परिवार भगवान भरोसे एक-एक दिन काटता था. पल्लेदारी करने वाला पति शंकर महतो कमाई का आधे से अधिक हिस्सा शाम को शराब में खर्च करके हिलते-डुलते […]
मुजफ्फरपुर : घर, परिवार और गृहस्थी. किरण के लिए दो साल पहले तक इन शब्दों के कोई मायने नहीं थे. पति-पत्नी के अलावा दो बेटे और दो बेटियों का परिवार भगवान भरोसे एक-एक दिन काटता था.
पल्लेदारी करने वाला पति शंकर महतो कमाई का आधे से अधिक हिस्सा शाम को शराब में खर्च करके हिलते-डुलते घर पहुंचता था, तो किसी की सुधि नहीं लेता. दो साल पहले बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद इस कुनबे को परिवार बनने का अवसर मिला.
अब सबकुछ बदल गया है. किरण बताती है, शुरुआत में कुछ मुश्किल लगा, लेकिन अब नशा पूरी तरह खत्म हो चुका है. शाम को जब वह (शंकर) काम करके घर आते हैं, तो पूरा समय हंसी-खुशी गुजरता है. शेखपुर के शहीद-ए-आजम भगत सिंह नगर में झोंपड़ी लगाकर करीब एक साल से शंकर महतो व किरण देवी बच्चों के साथ रहे हैं. दोपहर में किरण के अलावा बड़ा बेटा अनिल व छोटी बेटी अंजलि घर में थे.
बताया कि बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है. वहीं, छोटा बेटा सुनील शहर में किराना दुकान पर काम करता है. वहीं, शंकर महतो भी काम करने गये थे. किरण ने बताया कि साल भर पहले तक वे लोग सिकंदरपुर बांध के किनारे किराये के घर में रहते थे. नशे की लत के कारण पैसा बचाना मुश्किल था. घर का किराया भी कई बार समय से नहीं दे पाते. दो साल पहले की बातें याद करके मुस्कुराने लगती है.
बोली, अब लग रहा है कि शादी के बाद करीब 30 साल तक नरक का जीवन जीती रही. परिवार का सुख नहीं समझ सकी. पति से हंसी के दो बोल सुने महीनों हो जाते थे, जबकि गाली हर रोज मिलती थी. कहा कि अब परिवार की जिम्मेदारियां समझ में आ रही है. एक बेटी की शादी हो चुकी है. दो बेटों की भी शादी करनी है.